झूठा गुरु मन कर बिनास होथे
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1 जेकस मईनसे मन कर मंझार में झूठा अगमजानी मन रहीन अऊ ओहीच कस तुमन कर मंझार में झूठा गुरू मन होहीं। ओमन नास करे वाला झूठा सिकछा ला कलेकस तुमन कर मंझारे लानहीं अऊ ओमन ओ परभू कर ईनकार करहीं, जेहर ओमन के बेसाईस हवे, एही कस ओमन अपन ऊपरे अचानक बिनास लानहीं। 2 ढेरेच झेमन ओमने नियर खराब चाल चलहीं, अऊ ए झूठा गुरु मन कर चलते, सत कर डगर कर बदनामी होही। 3 अपन लालच में आए के, ए गूरू मन अपन खूद कर बनावल कथा-कहनी कर दुवारा तुमन जग ले फयदा उठाहीं, ओमन कर डंड कर फईसला ढेरेच आगू होए गईस हवे अऊ ओमें अबेर नई होही, सहीच में ओमन नास होही।4 काबरकि परमेसवर हर, ओ सरग दूत मन ला नई छोड़ीस, जेमन पाप करे रहीन, बकिन नियाओ करे बर ओमन ला नरक में भेज के अंधार कुंड में ढकेल देहीस, 5 अऊ तईहा जूग में परमेसवर हर भकति नई करोईया, ए संसार कर मईनसे मन ला नई छोड़ीस अऊ ओहर पानी कर परलय ले ओमन ला नास करीस, बकिन ओहर परमेसवर कर वचन कर परचार करोईया, नूह कर संगे सात झन मईनसे मन ला बचाए लेहीस। 6 अऊ डंड देके परमेसवर हर सदोम अऊ अमोरा सहर मन ला लेस के राख कएर देहीस, अऊ एला एगोट नमूना कर रूप में, ए देखाए बर राखीस कि भक्ति नई करें, ते मईनसे मन कर का होवईया हवे।
7 बकिन ओहर धरमी आदमी लूत के बचाईस, जेहर दूसट मईनसे मन कर खराप चाल-चलन ला देख के ढेरेच दुखी रहीस। 8 काबरकि ओ धरमी लूत हर ओमन कर मंझार में रहत रहीस अऊ ओमन कर बुरा काम ला देख के अऊ सूईन के रोएज दिन अपन सचा मन ला दूख देहत रहीस। 9 एही कस परभू हर जानथे, कि भगत मईनसे मन ला परीछा में ले, कईसे निकालथें अऊ अधरमी मईनसे मन ला कईसे दंड देहत नियाव कर दिन बर राखथे। 10 परभू हर खास करके ओमन ला नई पतियाए, जेमन देंह कर खराब ईछा कर अनुसार चलथें, अऊ अधिकारी मन ला तूछ समझथें, ए मईनसे मन ढीठ अऊ जिदहा हवें, अऊ एमन महिमा ले भरल सरग दूत मन कर बईदनामी करे ले नई डराएं। 11 बकिन ए सरग दूत मन, ओमन ले ढेरेच बलवान अऊ बहंगर हवें, तबो ले एमन परभू कर आगु में ओमन ऊपरे बदनामी कर दोस नई लगाएं। 12 बकिन ए मईनसे मन ओ बात कर बदनामी करथें, जेला एमन नई समझें। एमन बोया अऊ बिगर बुधी कर पसू मन कस हवें, जेमन सिरीप धरे जाए बर अऊ नास होए बर जनमीन हवें अऊ ओमन पसु मन कस नास भी होए जाहीं।
13 दूसर कर बुरा करे बर बदला में एमनेच कर बुरा होही, दिन मान, खाए पी के मऊज करई, एमन के बढ़िहां लागथे। एमन कलंकित अऊ दूसित हवें अऊ जब एमन तुमन कर संगे तिहार में खाथें-पीथें, त अपन खुसी में मउज-मस्ती करथें। 14 ओमन कर आंखी मन में बेभिचार भरीस हवे अऊ एमन पाप करे बर कभों बंद नई करें, जेमन कर मन हर माढ़े नई रहे ओमन के, एमन मन बहकाए लेथें; एमन कर मन हर पूरा तरह ले लालच ले भरीस हवे, एमन परमेसवर कर दुवारा सरापीत हवें। 15 एमन सही डगर ला छोंएड़ के भटक गईंन हवें, अऊ बओर कर बेटा अगमजानी बिलाम कर डगर में होए लेहींन हवें, जेहर गलत काम कर बनी ला पसंद करिस। 16 बकिन बिलाम कर गलत काम बर एगोट गदही हर दबकाईस। गदही जेहर गोठियाए नई सके, ओहर मईनसे कर अवाज में गोठियाईस अऊ ओ अगमजानी कर बोयापन ला रोकीस।
17 ए मईनसे मन बिगर पानी कर कुआं, अऊ गररा घांटा ले उड़ाल बदरी लागें, एमन बर जुग-जुग बरिक ढेरेच करिया अंधार ठहराल गईस हे। 18 काबरकि एमन बेकार अऊ घमंड ले भरल बात करथें अऊ अपन पापी सुभाव कर रिझ-रंग में ओ मईनसे मन ला फंसाथें, जेमन अझेर गलत काम करईया मन कर संगती ला छोंएड़ के आईन हवें। 19 ए झूठा गुरु मन, ओमन ला आजाद करे कर जबान तो करथें, बकिन एमन खूद खराब जिनगी कर गुलाम हवें, काबरकि जे चीज हर मईनसे ला अपन काबू में कएर लेथे, मईनसे हर ओ चीज कर गुलाम होए जाथे। 20 जब ओमन हमर परभू अऊ उदधार करईया ईसू मसीह ला जाने कर चलते, ए संसार कर कईयो मधे कर घिनक काम ले बांएच गईन हवें। तबो ले ओमन फेर ओमें फंएस के ओकर बस में होए जाथें, त ओमन कर पाछू कर हालत हर आगुवोच ले घिनक होए जाथे। 21 काबरकि ओमन बर बढ़िहां होतीस, कि ओमन धरमीपन कर डगर ला नई जाने रहतीन, एकर बदले कि ओला जाने कर पाछू पबितर हुकूम कर पालन नई करीन, जेहर ओमन ला देहल गए रहीस। 22 ओमन बर ए कहावत हर ठीक बईठथे, “कुकुर हर अपन उलटी ला खाए बर, फेर फिरथे,” अऊ, “असनान करवाल बरहा हर चिखला में खंदाए बर फेर चएल देथे।”