ईसू फेर आही
3
1 ए मयारू संगता मन, एहर दूसर चिटठी लागे, जेला मंए तुमन के लिखत हों। मंए ए दुनों चिटठी में ओ बात मन ला सुरता करवाए के तूमन कर पबितर हिरदे ला उतसाह करे बर जतन करे हवों। 2 मंए चाहथों कि तुमन ओ बचन मन ला सूरता करा, जेहर ढेरेच आगु पबितर अगमजानी मन कर दुवारा कहल गए रहीस, अऊ हमर परभू अऊ उदधार करईया कर हुकूम ला सूरता करा, जेहर तुमन ला खास चेला मन कर जरिये देहल गए रहीस।3 सब ले आगु, तुमन ए जरूर जाएन लेआ कि आखरी दिन में हंसी मजाक करोईया मन आहीं, जेमन हंसी मजाक कएर के अपन खूद कर खराब ईछा ला पूरा करहीं, 4 अऊ ओमन ए कहीं कि, “ओहर आए कर जबान करे रहीस, बकिन ओकर अवाई कर का होईस? हमर पूरखा मन कर मरे कर घरी ले सब चीज हर ओहीच कस हवे, जेकस कि ए संसार कर सुरू ले रहीस।” 5 बकिन ओमन जाएन बुईझ के ए गोएठ ला भुलाए जाथें, कि तईहा जूग ले परमेसवर कर बचन कर जरिये, अगास हर बनाल गईस अऊ धरतीयोच हर पानी में ले बनिस अऊ पानी में माढ़ल हवे, 6 अऊ ए पानी कर चलते, ओ जुग कर संसार में ढेरेच बड़खा पानी कर बाढ़ आईस अऊ पानी में बूईढ़ के नास होए गईस। 7 बकिन ओही बचन कर दुवारा परमेसवर हर ए समय कर अगास अऊ धरती ला नियाओ कर दिन तक रहे कर अगियां देहिस हे। ओ दिन अगास अऊ धरती ला आगी में लेसल जाही अऊ भकती नई करईया मईनसे मन ला नास करल जाही।
8 ए मयारू संगता मन, ए बात ला झईन भुलईहा, परभू कर नजेर में एक दिन हर एक हजार बछर कर बरोबर हवे अऊ एक हजार बछर हर एक दिन कर बरोबर हवे। 9 परभू हर अपन जबान ला पूरा करे में अबेर नई करे, जेकस कि तनीक मईनसे मन समझथें। बकिन ओहर तुमन कर बारे में कयास करथे, काबरकि ओहर नई चाहे कि कोनो मईनसे हर नास होए, बलकी ओहर चाहथे कि सबेच झन ला मन फिराये कर मोका मिले।
10 बकिन परभू कर दिन हर चोर नियर अचाकन आए जाही। ओही दिन अगास हर एगोट बड़खा गरजन कर संगे गायब होए जाही। अऊ जे जाएत अगास में हवे ओहर आगी कर जरिये टघेल जाही। धरती अऊ ओमे कर सब जाएत हर जएर जाही।
11 जब ए सब जाएत हर, एही नियर नास करल जाही, त सोचा तुमन के कोन कस बने बर चाही? तुमन के चाही कि पबितर अऊ भकती कर संगे जिनगी जिया। 12 परमेसवर कर ओ नियाव कर दिन ला तूमन के अगुरत रहे बर चाही अऊ ओकर हालू आए बर कोसीस करेक चाही, ओ दिन अगास हर आगी में जएर के नास होए जाही, अऊ अकास कर सब जाएत हर गरम कर मारे टघेल जाहीं। 13 बकिन परमेसवर कर बात जबान कर अनुसार हमरे एगोट नांवा अगास अऊ नांवा धरती कर डगर देखथन, जिहां सिरीप धरमीपन डेरा करही।
जागत रहा अऊ तियार रहा
14 एकरे बर ए मयारू संगता मन, जब तुमन ए बात कर डगर देखथा, त तुमन पूरा कोसिस करा कि परभू कर आगू में बिगर दोस अऊ बिना गलती कर पावल जा अऊ तूमन के ओकर संगे सांती मिले। 15 अऊ अपन मन में ए समझ लेआ कि हमर परभू हर एकर बर कयास करथे, कि सब मईनसे मन कर उद्धार होए जाए। एही गोएठ ला हमर मयारू भाई पऊलूस हर भी परमेसवर कर दुवारा देहल बुधि कर अनुसार तुमन के लिखीस हवे। 16 पऊलुस हर अपन सबेच चिटठी मन में, ए गोएठ मन ला बताईस हवे। बकिन ओकर चिटठी मन में तनीक अईसन बात मन हवें, जेला समझे बर कठीन हवे, अनपढ़ अऊ चंचल मईनसे मन एकर गलत मतलब निकालथें, ओमन परमेसवर कर किताब कर आने बचन कर संगे भी अईसनेच करथें, अऊ एही कस में ओमन अपन नास होए कर कारन बनथें। 17 एकरे बर ए मयारू संगता मन, जब तुमन ए गोएठ मन ला आगु ले जानथा, तेकर ले सवाचेती रहा। तुमन खराब मईनसे मन कर बहकावा में आए के अपन माढ़ल बिसवास ला झईन गंवाए देईहा। 18 बलकि हमर परभू अऊ उदधार करोईया ईसू मसीह कर अनूगरह अऊ गियान में बढ़त जावा, ओकर महिमा अझरोच ले अऊ जुग-जुग तक होवत रहे। आमीन।