16
1 मंए तुमन के ए सबेच बात ला एकर ले कहे हों, कि तुमन कर बिसवास हर झईन डोले। 2 ओमन तुमन ला एहूदी धरम सभा घर अऊ समाज ले काएट देहीं अऊ ओ समय हर आवत हवे, कि जे मईनसे मन तुमन के माएर दारहीं, ओमन सोंचही कि हमरे परमेसवर कर सेवा करत हन। 3 ओमन ए काम मन ला एकर ले करहीं, काबरकि ओमन तो मोर दाऊ ला नई जानें अऊ मंहूच के नई जानें। 4 मंए ए बात मन ला तुमन के एकर बर कहें हों, कि जब ओ समय आही, त तुमन के सुरता आए जाही, कि मंए तुमन के एकर बारे में बताए देहे रहें। ए बात मन ला मंए सुरू ले तुमन के एकर बर नई बताए रहें, काबरकि ओ घनी मंए तुमन कर संगे रहें।
पबितर आतमा कर काम
5 बकिन अब मंए अपन भेजोईया जग जाथों अऊ तुमन में ले कोनो मोके नई पूछत हा, कि “तंए कहां जाथस?” 6 बकिन मंए तुमन के ए बात मन ला कहे हों, एकरे चांड़हे, तुमन कर मन हर दुख ले भईर गईसे। 7 तबो ले मंए तुमन के फूरोंच में कहथों, कि एहर तुमन बर बढ़ियां हवे कि मंए जाथों। काबरकि अगर मंए नई जाहूं, त ओ मदेत करोईया हर तुमन जग नई आही। बकिन अगर मंए जाहूं, त ओला तुमन जग भेजहूं। 8 अऊ जब ओहर आही, त संसार कर मईनसे मन ला बताही कि पाप का हवे, परमेसवर कर देख में सही का हवे अऊ परमेसवर हर काकर नियाओ करही 9 पाप कर बारे में ओहर एकरले बताही, काबरकि ओमन मोर ऊपरे बिसवास नई करें। 10 अऊ परमेसवर कर देख में सही का हवे ओकर बारे में ओहर एकरले बताही कि, मंए दाऊ जग जाथों अऊ तुमन फेर मोके नई देखीहा। 11 अऊ परमेसवर हर काकर नियाओ करही ओकर बारे में एकर ले बताही कि, संसार कर राएज करोईया ला आगुवेच ले दोसी ठहराल गईसे।
12 मोके तुमन जग अऊ ढेरेच गोएठ गोठियाए बर हवे, बकिन ओला तुमन अझेर सहे बर नई सकीहा। 13 बकिन जब ओ सचाई कर आतमा आही, त ओहर तुमन ला पूरा सचाई कर डगर ला देखाही, काबरकि ओहर अपन कती ले कांही नई कही, बकिन जे जाएत सुनही सिरीप ओही ला कही अऊ अवईया बात मन ला तुमन के बताही। 14 ओहर मोर महिमा करही, काबरकि ओहर मोर सत ला मोर जग ले सुएन के, तुमन के बताही। 15 जे जाएत दाऊ कर हवे, ओ सब मोर हवे। ओकरे ले मंए कहें कि, सत कर आतमा हर मोर सत ला मोर जग ले सुएन के तुमन के बताही।
तूमन कर दुख हर आनंद में बदल जाही
16 तेकर ईसू हर चेला मन ला कहीस, “तनिक जुआर में तुमन मोके नई देखीहा, बकिन तनिक जुआर कर पाछू तुमन मोके फेर देखीहा।” 17 तेकर ओकर तनीक चेला मन, एक दूसर ठन कहीन, “ए कहे कर का मतलब हवे, जेला ओहर हमर जग कथे, तनिक जुआर में तुमन मोके नई देखीहा, बकिन तनिक जुआर कर पाछू तुमन मोके फेर देखीहा, एकर बर कि मंए दाऊ ठन जाथों?” 18 तेकर चेला मन पूछे लागीन, “ए तनिक जुआर कर का मतलब हवे? हमरे एला नई समझत हन, कि ओहर का कहत हवे।”
19 ईसू हर जाएन गईस कि, ओमन मोर ठन पूछे बर चाहथें, त ओहर ओमन ला कहीस “का तुमन एक दूसर ले पूछत हवा, कि मोर ए कहे कर का मतलब हवे, कि तनिक जुआर में तुमन मोके नई देखीहा, बकिन तनिक जुआर कर पाछू तुमन मोके फेर देखीहा। 20 मंए तुमन ला सच कहथों, कि तुमन रोईहा अऊ ढेरेच कलफिया, बकिन ए संसार कर मईनसे मन खुसी मनाहीं। तुमन के दुख होही, बकिन तुमन कर दुख हर आनंद में बदेल जाही। 21 जब एगोट सवांगीन हर लईका हलूकाथे, त ओके ढेरेच दुख होथे, काबरकि ओकर दुख कर घरी आए जाए रथे। बकिन जब ओहर लईका हलूकाए दारथे, त जाएन जाथे कि संसार में एगोट मईनसे कर जनम होईस हवे, त खुसी कर मारे अपन दुख ला भुलाए जाथे। 22 ओही कस अझेर तुमन के दुख होवत हवे, बकिन मंए तुमन जग फेर भेंटाहूं, त तुमन आनंद मनईहा अऊ तुमन कर आनंद ला कोनो छीन नई सकही। 23 ओ दिन तुमन मोर जग कांही नई पूछीहा। मंए तुमन के फूरोंच में कहथों, जे जाएत तुमन मोर नांव ले दाऊ जग मांगिहा, त ओहर ओला तुमन के देही। 24 अझेर ले तुमन मोर नांव ले कांही नई मांगे हवा, मांगा त पईहा, ताकी तुमन कर आनंद पूरा होए जाही।
ईसू संसार कर उपर जय पाथे
25 “मंए तुमन के ए गोएठ मन ला अहना में कहे हों। बकिन ओ समय आवत हवे, कि मंए तुमन ठे फेर अहना में नई गोठियाहूं, बकिन मंए तुमन ला दाऊ कर बारे में सफा-सफा बताहूं। 26 तेकर तुमन मोर नांव ले मोर दाऊ ठन मांगिहा अऊ फेर मोके तुमन बर मोर दाऊ ठे मांगे कर जरूरत नई परही। 27 काबरकि दाऊ हर खुद तुमन जग मया करथे, एकर ले कि तुमन मोर जग मया करे हवा अऊ तुमन मोर ऊपरे बिसवास करे हवा, कि मंए दाऊ कती ले आए हों। 28 मंए दाऊ कती ले संसार में आए हों अऊ अब मंए संसार ला छोंएड़ के दाऊ जग फिरथों।”
29 ईसू कर चेला मन कहीन, “ठीक हवे त, अब तो तंए सफा-सफा कहत हस अऊ बिगर अहना कर गोठियावत हस। 30 अब हमरे जाएन गएन कि, तंए सबेच बात ला जानथस अऊ तोर जग काही पूछें कर जरूरत कोनो के नईए। एकर ले हमरे बिसवास करथन, कि तंए परमेसवर कती ले आए हस।
31 एला सुईन के ईसू ओमन ला जबाब देहिस, “का अब तुमन बिसवास करथा?” 32 अऊ सुना ओ समय हर आवत हवे, बकिन आईच गईस हवे, कि तुमन सब झन छितिर-बितिर होए के, अपन-अपन घरे चल देईहा, अऊ तुमन मोके एके झन छोंएड़ देईहा, तबो ले मंए एके झन नई हवों, काबरकि मोर दाऊ मोर संगे हवे।
33 मंए ए गोएठ ला तुमन ला एकर बर कहे हों, ताकि तुमन कर मोर ठे जे नाता हवे, ओकर चलते तुमन के सांती मिले। ए संसार में तुमन के दुख, तकलीफ मिलथे, बकिन हिमेत रखा मंए संसार ऊपर जय पाए हवों।