ईसू में बने रहा अऊ फल लाना
15
1 तेकर ईसू हर अपन चेला मन जग कहीस “सही अंगूर नाएर मंए लागों अऊ मोर दाऊ हर किसान लागे। 2 जे डार हर मोर में ले निकलीसे अऊ नई फरे, ओला ओहर काएट देथे अऊ ओ डार जेहर फरथे, ओला ओहर छांटथे, तेमेकि अऊ फरे। 3 जे बचन मंए तुमन ला कहे हों, ओकर चलते तुमन आगुवे ले सुध होए गए हवा। 4 तुमन मोर में बने रहा अऊ मंए तुमन में बने रहूं। अगर डार हर अंगूर कर नाएर में बने नई रही त, ओ डार हर अपन आप में फरे नई सके, ओही कस अगर तुमन मोर में बने नई रईहा, त तुंहूच मन फरे नई सकिहा।
5 मंए अंगूर कर नाएर लागों अऊ तुमन ओकर डार लागा। अगर कोनो मोर में बने रथे अऊ मंए ओमे बने रथों, त ओहर ढेरेच फरथे। काबरकि तुमन मोर बिगर कांहीच करे नई सकीहा। 6 अगर कोनो मईनसे मोर में बने नई रही, त ओला एगोट डार नियर काएट के फेंक देहल जाथे अऊ ओहर झुराए जाथे। त ओला मईनसे मन सकेल के आगी बाएर देथें अऊ ओहर जएर जाथे। 7 अगर तुमन मोर में बने रईहा अऊ मोर बचन तुमन में बने रही, त तुमन जे जाएत चाहथा, ओला मांगा अऊ ओहर तुमन के देहल जाही। 8 मोर दाऊ कर महिमा एही में होथे, कि तुमन ढेरेच अकन फर लाना, तब तुमन मोर चेला ठहरिहा।
9 जेकस दाऊ मोके मया करिस, ओहीच कस मंए तुमन जग मया करे हवों। अब तुमन मोर मया में बने रहा। 10 मंए अपन दाऊ कर हुकुम मन ला माने हों, तेकर ले हमेसा मंए ओकर मया में बने रथों। ओही कस अगर तुंहू मन, मोर हुकुम मन ला मानीहा, त मोर मया में बने रईहा। 11 मंए ए बात मन ला तुमन के एकर ले कहें, कि मोर आनंद तुमन में बने रहे, अऊ तुंहर आनंद पूरा होए जाए। 12 मोर हुकुम एहर लागे, कि जेकस मंए तुमन जग मया करे हों, ओही कस तुहूं मन एक दूसर जग मया करा। 13 सबले बड़खा मया एहर लागे, कि कोनो हर अपन संगता मन बर अपन परान ला देथे। 14 जे हुकूम ला मंए तुमन के देहथों, अगर ओला मानीहा त तुमन मोर संगता होईहा। 15 अब ले मंए तुमन के सेवक नई कहों, काबरकि सेवक हर नई जाने कि, ओकर मालीक हर का करथे। बकिन मंए तुमन के संगता मन कहत हों, काबरकि जे बात ला मंए अपन दाऊ जग ले सुने हों, ओ सबेच बात ला मंए तुमन के बताए देहें हों। 16 तुमन मोके नई चुने हा, बकिन मंए तुमन के चुने हों अऊ ठहराए हों, कि तुमन जाए के ढेरेच फर लाना अऊ तुमन कर फर बनल रहे, कि तुमन मोर नांव ले जे जाएत दाऊ जग ले मांगिहा, ओहर तुमन के देही। 17 ए बात कर हुकुम मंए तुमन के एकर ले देहथों, तेमेकि तुमन एक दूसर ले मया करा।
संसार चेला मन ले बएर करथें
18 “अगर संसार तुमन जग बएर करथे, त तुमन जानथा कि ओहर तुमन ले आगु, मोर जग बएर करीस।” 19 अगर तुमन संसार कर रहता, त संसार कर मईनसे मन तुमन ला अपन समझ के मया करतीन। बकिन तुमन संसार कर ना हवा, काबरकि मंए तुमन ला संसार में ले चुईन के अलगे करे हों, ओकरे ले संसार कर मईनसे मन तुमन जग बएर रखथें। 20 जे बात मंए तुमन ला कहे हवों, ओला सुरता राखिहा, “एगोट सेवक हर अपन मालीक ले बड़े नई होए। अगर संसार कर मईनसे मन मोके सताईन, त तुंहूच मन के सताहीं अऊ अगर ओमन मोर बात ला मानीन, त तुहूंच मन कर बात ला मानहीं। 21 बकिन ए सब जाएत ला ओमन मोर नांव कर चलते तुमन जग करहीं, काबरकि ओमन मोर भेजोईया ला नई जानें। 22 अगर मंए नई आतें अऊ ओमन जग नई गोठियातें, त ओमन पाप कर दोसी नई ठहरतीन। बकिन अझेर ओमन जग अपन पाप बरीक कोनो बहाना नईए। 23 जेहर मोर जग बएर रखथे, ओहर मोर दाऊवो जग बएर रखथे। 24 अगर मंए ओमन कर मझारे ओ काम नई करे रहतें, जेला कभों कोनो नई करीसे, त ओमन पाप कर दोसी नई ठहरतीन। अब ओमन मोर अचमहों कर काम मन ला देखीन बकिन मोके अऊ मोर दाऊ दुनो झन ठे बएर करथें। 25 एहर एकर ले होईस कि ओ बचन हर पूरा होए, जेहर ओमन कर पबितर किताब में लिखल हवे, कि ओमन बिना कारन कर मोर जग बएर करीन।
26 बकिन जब ओ मदेत करोईया सचाई कर आतमा हर आही, जेला मंए दाऊ कती ले भेजहूं, त ओहर मोर बारे में गवाही देही। 27 अऊ तुहूंच मन मोर बारे में गवाही देईहा, काबरकि तुमन सुरूच ले मोर संगे रहत आए हवा।