ईसू हर गलील कर काना में पहिलो चमतकार करथे
2
1 तेकर दुई दिन कर पाछू गलील परदेस कर काना गांव में, एक जघा बिहाओ कर मांदी भात खवात रहीन अऊ ईसू कर दाईयो हर उहां रहीस। 2 ओ मांदी भात में ईसू अऊ ओकर चेलोच मन ला बिहाव कर नेवता देहे रहीन। 3 मंड़वा भात कर मझार में ओजग अंगूर कर रस हर सिराए गईस तब ईसू कर दाई हर ओकर जग कहीस, “ओमन जग अंगूर कर रस हर सिराए गईसे।
4 तेकर ईसू हर अपन दाई ला कहीस, “दाई, तंए मोके एला काबर सुनाथस? अझेर मोर बूता ला ओर करे कर समय नई आईस हे।”
5 ओकर दाई हर सेवक मन ला कहीस, “ईसू हर जेकस तुमन ला कही ओहीच कस करीहा।”
6 ओठन एहूदी मन कर सुध करे कर रीती रिवाज कर अनुसार, पखना कर छवो ठे हांड़ी राखे रहींन, जेमन में करीबन 120 लीटर पानी अमात रहीस। 7 तेकर ईसू हर ओ सेवक मन ला कहीस, “हांड़ी में पानी भएर देआ।” तब ओ सेवक मन थुल-थुल भएर देहीन। 8 तेकर ओहर कहीस, “अब एमे ले चटिक अकन निकाएल के भवजाईत जग ले जावा।” अऊ ओमन ले गईन। 9 जब भवजाईत हर पानी ला चिखीस, त ओहर अब अंगूर कर रस बएन गए रहीस, अऊ ओ नई जानत रहीस कि ओ रस हर कहां ले आए रहीस, (बकिन जे सेवक मन पानी ला निकाले रहीन ओमन जानत रहीन कि एहर कहा ले आईस हे)। तेकर भोजाईत हर ओ रस ला चिख के दुलहा ला बलाईस अऊ कहीस, 10 “भई, सब झन आगु बढ़िहां अंगूर कर रस ला देथें, अऊ जे घनी मईनसे मन पीके अमुठ जाथें, ते घनी पईनछठ ला देथें, बकिन तंए बढ़िहां अंगूर कर रस ला अझर ले राखे हस।” 11 ईसू हर गलील परदेस कर काना गांव में ए पहिलो चिनह चमतकार देखाए के, अपन महिमा ला देखाईस, जेकर चलते ओकर चेला भेर मन ओकर उपरे बिसवास करीन।
12 एकर पाछू ईसू अऊ ओकर दाई अऊ ओकर भाई मन अऊ ओकर चेला मन कफरनहूम सहर में गईन अऊ तनीक दिन ओजग रहीन।
मंदिर में ईसू जाथे
13 एहूदी मन कर फसह नांव कर तिहारa हर लिघे रहीस, त ईसू हर एरुसलेम सहर में गईस। 14 ईसू हर मंदिर कर अंगन में गोरु, भेंड़ी अऊ परेंवा बेंचोईया अऊ रुपिया पईसा कर अदली-बदली करोईया मन ला बईठल देखीस। 15 तेकर ओहर डोरा कर कोड़ा बनाए के सबेच भेंड़ी अऊ गोरु मन ला मंदिर ले बाहरी खेद देहीस, अऊ रुपिया पईसा कर अदली-बदली करोईया मन कर पईसा ला छींट देहीस, अऊ पीड़हा मन ला खपोएल देहीस 16 अऊ परेंवा बेंचोईया मन ला कहीस, “अरे एमन ला एजग ले हटावा। अऊ मोर दाऊ कर घर ला बजार झईन बनावा।” 17 तब ओकर चेला मन ला सुरता आईस कि पबितर किताब में लिखल हवे, “तोर घर बर मोर रीझ हर मोर हिरदे में आगी कस बरत हे।”b 18 एला सुईन के एहूदी नेता मन, ईसू ला कहीन कि “तोके ए सब जाएत करे कर तो अधिकार हवे, त ए बात ला साबित करे बर, तंए हमके ला कोन मधे कर चिनह चमतकार देखाथस?” 19 तेकर ईसू हर जबाब देहीस, “ए मंदिर ला गिराए देआ, त मंए एला तीन दिन में फेर ठड़हुवाए देहूं।”
20 तब एहूदी नेता मन कहीन, “ए मंदिर ला बनाए में छियालीस बछर लागीसे, अऊ का तंए एला तीन दिन में ठड़हुवाए देबे?” 21 बकिन ईसू हर जे मंदिर कर बारे में गोठियात रहीस, ओहर ओकर देंह रहीस। 22 जब ईसू मरल में ले जी उठीस, तब ओकर चेला मन ला सुरता आईस कि ओहर एकस कहे रहीस अऊ ओमन पबितर किताब अऊ ओ बचन जेला ईसू हर कहे रहीस, ओमें बिसवास करीन।
ईसू हर मईनसे मन कर मन ला जानथे
23 जे घनी ईसू हर फसह नांव कर तिहार घरी में एरुसलेम सहर में रहीस, त जे चिनह चमतकार ईसू हर देखात रहीस ओला देख के, ढेरेच मईनसे मन ओकर ऊपरे बिसवास करीन। 24 बकिन ईसू हर ओमन कर ऊपरे भरोसा नई करीस, काबरकि ओहर सब झन कर बारे में जानत रहीस। 25 ओके एकर जरूरत नई रहीस, कि कोनो मईनसे हर कोनो मईनसे कर बारे में ओके गवाही दे, काबरकि ईसू हर खुद जानत रहीस कि मईनसे मन कर मन में का हवे?