गरीब अदावेंन कर दान
21
1 फेर एक दिन ईसू हर धनी मन ला,
परमेसवर कर मंदिर कर दान पेटी में,
भेंट डालत देखीस।
2 तब ओहर एगोट गरीब अदावेंन ला,
दुई गोट तांमा कर सीका डालत देखीस।
3 त ईसू हर कहीस,
“मंए तुमन ला फूरोंच कहथों,
कि ए गरीब अदावेंन हर,
सब झन ले अगराहा भेंट देहीस हे।
4 काबरकि ओमन अपन बगरा धन में ले भेंट देहीन हें,
बकिन ए सवांगीन हर ढेरेच गरीब हवे,
तबो ले जिनगी जीए बर जे जाएत ओकर जग रहीस ओ सब जाएत ला दे देहीस। ”
मंदिर कर बिनास कर अगमबानी
5 जे घनी तनीक मईनसे मन,
परमेसवर कर मंदिर कर बारे में गोठियात रहीन कि मंदिर हर कईसन सुघर पखना ले,
अऊ भेंट चघावल चीज ले बनाल अऊ सजाल गईस हे,
तब ईसू हर कहीस,
6 “एकस दिन आही,
जे घनी ए सब जाएत,
जेला तुमन एजग देखथा,
समुचा नास करल जाही,
एमे ले एकोठे पखना हर दूसर पखना में रईह नई पाही,
सबेच पखना ला खालहे फेंक देहल जाही।”
7 ओमन ईसू जग पूछीन,
“ए गुरुजी ए बात हर कब होही?
अऊ जे घनी ए बात हर होए लागही,
त ओ घनी कर का चिनहा होही?”
8 ईसू हर कहीस,
“सवाचेती रईहा,
कि कोनो तुमन ला धोखा झईन दे,
काबरकि ढेरेच मईनसे मन,
मोर नांव ले आए के कहीं,
मंए मसीह लागों अऊ एहू कस कहीं ओ जुआर हर ठांवें आए गईस हे बकिन तुमन ओकर चेला झईन बनीहा।
9 जे घनी तुमन लड़ाई,
अऊ उपदरो कर चरचा ला सुनीहा,
त झईन डराईहा,
काबरकि ए बात हर आगु जरूर होही,
बकिन ओ घनी दुनिया हर हालूच नई सिराही।”
10 ते घनी ईसू हर ओमन ला कहीस,
“जाति-जाति में अऊ देस-देस में लड़ाई होही,
11 अऊ बड़खा बड़खा भूकंप होही,
अऊ जघा-जघा अकाल अऊ भऊर होही,
अऊ अगास में डरडरावन बात,
अऊ बड़े-बड़े चिनहा परगट होही।
12 बकिन ए सब होए कर आगु,
मईनसे मन मोर चेला बने कर चलते,
तुमन ला धरहीं अऊ सताहीं,
धरम सभा कर घर में सोंएप देहीं,
अऊ तुमन ला जेहल में डाएल देहीं,
ओमन तुमन ला राजा,
अऊ राएजपाल मन कर आगु में लानहीं।
13 बकिन एहर तुमन बरीक,
मोर गवाही देहे कर मोका होही।
14 एकरले अपन मन में ठाएन लेआ कि जबाब देहे कर चिंता,
आगु ले झईन करीहा।
15 काबरकि मंए तुमन ला,
एकस बोल अऊ बुधी देहूं,
कि तुमन कर कोनो बिरोधी मन,
तुमन कर गोएठ ला झूठा ठहराए नई सकहीं अऊ ओकर जबाब देहे नई पाहीं।
16 तुमन कर दाई-दाऊ अऊ भाई अऊ जाएत-सागा कर मईनसे मन अऊ संगतोच मन तुमन ला धरूवाहीं अऊ ओमन तुमन में ले,
थोरोक झेमन ला माएर मरुवाहीं।
17 मोर नांव में बिसवास करे कर चलते,
सबेच मईनसे मन तुमन ले घिरना करहीं।
18 बकिन तुमन कर मूड़ कर एक बाल भी बांका नई होही।
19 मोर ऊपर तुमन कर बिसवास हर बजर रहे कर चलते,
तुमन अपन जिनगी ला बचाए दारीहा।”
एरुसलेम कर बिनास कर अगमबानी
20 “जे घनी तुमन एरुसलेम सहर ला,
सेना मन ले छेंकल देखीहा,
त जाएन जईहा,
कि ओकर उजरे कर घरी हर आए गईसे।
21 जेमन एहूदिया जिला में हवें,
ओमन पहार में भाएग जाएं,
अऊ जेमन एरुसलेम सहर कर भीतरी हवें,
ओमन बाहरी निकेल जाएं,
अऊ जेमन गांव में हवें,
ओमन सहर में झईन जाएं।
22 काबरकि एहर परमेसवर कर डंड देहे कर दिन होही,
तेमेकी जेहर,
परमेसवर कर किताब में लिखल गईस हे,
ओ सबेच बात हर पूरा होए जाही।
23 ओ दिन में जेमन आसापती,
अऊ दूध पीयात रहीं,
ओमन बर ओ दिन हर डरडरावन होही,
काबरकि देस में बड़खा बिपेत परही,
अऊ परमेसवर कर बड़खा डंड हर,
मईनसे मन कर ऊपरे आही।
24 ओमन तलवाएर ले मारल जाहीं अऊ मईनसे मन ला बंदी बनाएं के,
सब जाति मन जग पहुंचाल जाही,
अऊ जब ले गएर एहूदी मन कर,
समय पूरा नई होही,
तब ले एरुसलेम सहर हर,
गएर एहूदी मन कर गोड़ ले,
कूंचल जाहीं।”
मईनसे कर बेटा कर दुबारा अवाई
25 “बेर,
जोन अऊ तरईया मन में,
चिनहा दिखही,
अऊ धरती में जाति-जाति कर मईनसे मन में संकट आही,
काबरकि ओमन समूंदर कर गरज,
अऊ लहर कर अवाज ले ढेरेच अकबकाए जाही।
26 ढेरेच डर कर मारे,
अऊ दुनिया में अवईया संकट ला देख के,
मईनसे मन कर जीव में जीव नई रही,
काबरकि अगास कर सकती मन हीलाल जाहीं।
27 तेकर ओमन मईनसे कर बेटा ला सकती,
अऊ बड़खा महिमा कर संगे,
बदरी में आवत देखहीं।
28 जब ए बात हर होए लागही,
त हिमेत धईर के रईहा,
काबरकि तुमन ला पूरा तरह ले छुटकारा पाए कर घरी हर ठांवें हे।”
अंजीर कर रूख कर अहना
29 तेकर ईसू हर ओमन जग एगोट अहना कहीस,
“अंजीर कर रूख अऊ आने सबेच रूख मन ला देखा।
30 जे घनी ओमे पतई उलहे लागथे,
त तुमन देख के जाएन जाथा,
कि घमनी कर दिन आए गईसे।
31 ओही कस,
जब तुमन ए बात मन ला होवत देखहीया,
त जाएन जईहा,
कि परमेसवर कर राएज करे कर दिन ठांवें हवे।
32 मंए तुमन ला फूरोंच कहथों,
कि जब ले ए सब बात हर नई होए लेही,
तब ले ए पीढ़ी हर नई सीराही।
33 अगास अऊ धरती हर कगराए जाही,
बकिन मोर कहल बचन हर कभों नई कगराही।”
जागत रहा
34 “एकरले सवाचेती रईहा,
तेमेकि तुमन कर मन हर ढेरेच खवाई में,
अऊ मतवारी कराई में,
अऊ दुनिया कर चीज मन कर चिंता में पईर के,
समय ला झईन गंवईहा। अगर एकस तुमन करत हा त ओ दिन हर तुमन कर ऊपरे फंदा नियर,
हबक ले आए परही।
35 काबरकि ओ दिन हर,
धरती कर सबेच रहोईया मन कर उपरे,
एही कस आए जाही।
36 एकरे ले सब घनी जागत रईहा,
अऊ सबेच घनी पराथना करत रईहा,
कि तुमन ए सब अवईया बात ले बांएच सका,
अऊ मईनसे कर बेटा कर आगु में ठड़होए कर लाईक बएन सका।”
37 ओ दिन में ईसू हर मंदिर में मईनसे मन ला सीखात रहीस,
अऊ संझा जुआर ओहर बाहरी जएतून नांव कर पहार में राएत बिताए बर चईल जात रहीस।
38 फेर भिनसरहे,
सब मईनसे मन परमेसवर कर मंदिर में,
ईसू कर गोएठ ला सुने बर आवत रहीन।