ईसू कर अधिकार ला नकारथें
20
1 एक दिन ईसू हर परमेसवर कर मंदिर में,
मईनसे मन ला सिखात रहीस,
अऊ सुघर-खभेर ला सुनात रहीस,
त मुख आजक,
अऊ कानहूंन कर सीखोईया मन,
अऊ एहूदी अगुवा मन ओकर जग आईन।
2 ओमन ईसू ला पूछीन,
“हमन ला बताओ,
तंए काकर अधिकार ले,
ए सब काम ला करथस,
अऊ तोके ए अधिकार ला कोन देहीस हे?”
3 ईसू हर ओमन ला जबाब देहीस,
“मंहूच तुमन जग एगोट सवाल पूछथों,
तुमन मोके बतावा,
4 एहूना ला बतीसमा देहे कर अधिकार परमेसवर देहीस हे,
कि मईनसे मन देहीन हे?”
5 तेही घनी ओमन आपस में गोएठ-बात कएर के कहीन,
“अगर हमन कहब,
'एहूना ला बतीसमा देहे कर अधिकार परमेसवर देहीसे' त ओहर कही,
फेर तुमन ओकर बिसवास काबर नई करा?
6 अगर हमन कहब,
कि 'मईनसे मन देहीन हें त सब मईनसे मन हमन ला पखना फेंक के मारहीं,
काबरकि ओमन पका जानत रहीन,
कि एहूना हर अगमजानी रहीस।”
7 एकरले ओमन जबाब देहीन,
“हमन नई जानी कि एहूना ला बतीसमा देहे कर अधिकार कोन देहीस। ”
8 तेकर ईसू हर ओमन ला कहीस,
“त मंहू तुमन ला नई बताओं,
कि काकर अधिकार ले ए सब काम ला करथों।”
दुसट अधीयां लेवईया मन कर अहना
9 तेकर ईसू हर,
ओ मईनसे मन ला ए अहना ला कहीस “एक गांव में एगोट मईनसे रहीस,
ओहर अंगूर कर एगोट बारी लगाईस,
अऊ ओला कोनो किसान मन ला अधियां में देके ढेरेच दिन बर,
परदेस चएल देहीस।
10 जे घनी अंगूर कर फसल ला टोरे कर दिन आईस,
त बारी कर गोंसिया हर अंगूर कर बांटा ला लेहे बर अधियां लेवईया मन जग एगोट सेवक ला भेजीस,
बकिन अधियां लेवईया मन,
ओ सेवक ला माएर-पीट के दुछा हांथ फिराए देहीन।
11 फेर ओहर एगोट अऊ सेवक ला भेजीस,
बकिन अधियां लेवईया मन ओहूच के मारीन पीटीन अऊ बेजती करीन अऊ ओहू ला दुछा हांथ फिराए देहीन।
12 फेर ओहर तीसर सेवक ला भेजीस अऊ अधियां लेवईया मन ओहूच के माएर पीट के बाहरी ढकोएल देहींन।
13 तेही घनी अंगूर कर बारी कर मालीक हर कहीस,
‘मंए का करों?
मंए अपन दुलरुवा बेटा ला भेजहूं,
कहों ओमन ओकर आदर करहीं।’
14 बकिन जे घनी अधियां लेवईया मन गोंसिया कर बेटा ला देखीन,
त ओमन आपस में कहे लागीन,
‘एहर तो बारी कर हकदार हवे,
हमन ओके माएर मरुवाई,
तेकर ओकर सबेच धन हर हमर होए जाही।’
15 अऊ अधियां लेवईया मन ओके अंगूर कर बारी ले बाहरी निकाएल के माएर मरुवाईन।” तेकर ईसू हर पूछीस,
“त बारी कर गोंसिया हर,
ओमन कर संगे का करही?
16 ओहर आही,
अऊ ओ अधियां लेवईया मन ला माएर मरुवाही अऊ अंगूर कर बारी ला आने झेमन ला अधियां में दे देही।” मईनसे मन एला सुनीन,
त ओमन कहे लागीन,
कि “एकस कभों झईन होए।”
17 ईसू हर ओमन कती ला देख के कहीस,
“ए बचन कर का मतलब हे?”
जे पखना ला राएज मीसतिरी मन बेकार समझ लेहीन,
ओही हर कोनहा कर मुख पखना बएन गईस।
18 जे कोनो हर ओ पखना कर ऊपरे गिरही,
ओहर गूरी-गूरी होए जाही,
अऊ जेकर ऊपरे ए पखना हर गिरही,
ओहर छेतका होए जाही।
रोम कर महाराजा ला लगान देहे कर सवाल
19 ओ घनी कानहूंन कर सीखोईया अऊ मुख आजक मन,
ईसू ला ओतनेच जुआर धरे बर करत करीन,
काबरकि ओमन जाएन गए रहीन,
कि ईसू हर ए अहना ला ओमन कर बिरोध में कहीस हे,
बकिन ओमन मईनसे मन ले डरात रहीन।
20 ओमन ईसू कर ताक में रहीन,
अऊ ओमन एगोट भेदीया मन ला,
पईसा देके इमानदार होए कर ढोंग करे बर ईसू जग भेजीन,
ओमन ए सोंचत रहीन,
कि ईसू कर मूंह ले कोनो एकस गोएठ निकले,
जेला हमन पकड़ी अऊ हमन ओके धरुवाए सकी,
अऊ राएजपाल कर अधिकार में सोंप सकी।
21 ओकरे चलते ओ मईनसे मन ईसू जग पूछीन,
“ए गुरूजी,
हमन जानथी कि तंए सहीच गोएठ ला गोठियाथस अऊ सीखाथस,
अऊ ककरोच मूंह देखी नई करस,
बलकी परमेसवर कर डगर ला सचाई ले सीखाथस।
22 हमन ला बताओ,
रोम कर महाराजा ला लगान देथी,
ओहर ठीक हवे कि नही?”
23 बकिन ईसू हर ओमन कर चाल ला समझ गईस अऊ कहीस,
24 “मोके एकठे रोम देस कर सीका aला देखावा,
एकर ऊपरे काकर चेहरा कर छाप अऊ नांव हवे?”
ओमन कहीन,
“महाराजा कर।”
25 ईसू हर ओमन ला कहीस,
“जेहर महाराजा कर हवे,
ओला महाराजा ला देआ,
अऊ जेहर परमेसवर कर हवे,
ओला परमेसवर ला देआ।”
26 ओमन मईनसे मन कर आगु में ईसू ला कोनोच गोएठ में फंसाए नई सकीन,
अऊ ओकर जबाब ला सुईन के ओमन अचरज होईन,
अऊ ओमन चुप रहीन।
मएर के जी उठाई अऊ बिहाओ
27 सदूकी दल कर मईनसे मन कथें कि जेमन मएर गईन हवें,
ओमन फेर जी के नई उठें। ओमन में ले थोरोक झेमन ईसू जग आए के एला पूछीन,
28 “ए गुरुजी मूसा हर हमर बर एकस लिखीस हे,
कि अगर ककरो भाई हर,
अपन परानी कर रहते,
बिगर लईका होए मएर जाही,
त ओकर भाई ओ अदावेंन जग बिहाओ कएर के,
अऊ अपन मरल भाई बरीक लईका जनमाए।
29 माएन लेआ कि,
सात गोट भाई रहीन,
बड़खा भाई हर बिहाओ कएर के,
बिगर लईका होए मएर गईस।
30 तेकर दूसर भाई हर,
ओ अदावेंन जग बिहाओ करीस,
अऊ बिगर लईका होए मएर गईस।
31 तेकर तीसर भाई हर,
ओकर जग बिहाओ करीस,
अऊ ओही कस सातो भाई मन बिहाओ कएर के,
बिगर लईका करे मएर गईन,
32 तेकर पाछू ओहूच अदावेंन हर मएर गईस।
33 अब बताओ,
जे घनी मरल मईनसे मन जी उठहीं,
त ओ सवांगीन हर काकर परानी होही?
काबरकि ओकर जग,
सातो भाई मन बिहाओ करे रहीन।”
34 ईसू हर ओमन ला जबाब देहीस,
“ए जुग कर सवांग,
सवांगीन मन तो आपस में बिहाओ करथें।
35 बकिन अवईया जुग में,
जेमन मरल में ले जी उठहीं,
ओ सवांग अऊ सवांगीन मन कर सादी बिहाओ नई होही।
36 ओमन कभों नई मरहीं,
काबरकि ओमन सरग दूत मन कस होहीं। ओमन परमेसवर कर लईका होहीं,
काबरकि ओमन मरल में ले जी उठीन हवें।
37 बकिन ए बात ला,
कि मरल मन जी उठथें,
एला मूसा हर जलत झाड़ी कर कहनी में देखाईस हे,
कि ओहर परमेसवर ला अबराहम कर,
अऊ इसहाक कर,
अऊ आकूब कर परमेसवर कथे।
38 परमेसवर तो मरल मन कर नहीं,
बकिन जीयत मन कर परमेसवर लागे,
काबरकि ओकर देख में,
सबेच झन जीयत हें।”
39 ए गोएठ ला सुईन के कानहूंन कर सीखोईया मन ले तनीक झेमन कहीन,
“ए गुरुजी,
तंए बढ़िहां कहे।”
40 तेकर पाछू ओमन,
ईसू जग अऊ कांहीच सवाल पूछे कर हीमेत नई करीन।
मसीह काकर बेटा लागे?
41 फेर ईसू हर ओमन जग पूछीस,
“मसीह ला राजा दाऊद कर संतान कथे। एहर कईसे होए सकथे?
42 राजा दाऊद हर भजन-संहिता कर किताब में कथे”
परभू परमेसवर हर मोर परभू जग कहीस,
43 मोर जवनी कती बईठ,
जब ले मंए तोर दुसमन मन ला,
तोर गोड़ मड़हाए कर चंउकी नई बनाए देवों।
44 राजा दाऊद तो ओके परभू कथे,
त मसीह हर सिरीप राजा दाऊद कर संतान ना लागे बकिन ओकर परभूवोच लागे।
एहूदी कानहूंन कर सिखोईया मन ले सवाचेती
45 जे घनी सबेच मईनसे मन ईसू कर गोएठ ला सुनत रहीन,
त ईसू हर अपन चेला मन जग कहीस,
46 “कानहूंन कर सीखोईया मन ले सवाचेती रईहा,
ओमन रोंट-रोंट ओढ़ना पहिर के,
ईते-ऊते बूले बर चाहथें,
अऊ ओमन बजार में मरजाद कर संगे जोहार चाहथें,
अऊ धरम सभा में मुख आसन में बईठे बर,
अऊ खाए कर जुआर ओमन माएन-मरजाद कर जघा में,
बईठे बर पतियाथें।
47 ओमन अदावेंन मन कर धन-संपती ला लुईट लेथें,
अऊ दूसर के देखाए बर,
ढेरेच जुआर ले पराथना करथें,
ओमन ढेरेच बड़खा डंड पाहीं।”