याकूबे
लिखो चिट्ठि
हें पांगेई यक सुआ पुराणु घीत असु, “फुला फुलन्‍दे बारो बार, जउवन फुलन्‍दा एको बार। ढोल बजंदी बारो बार, जउवन फुलन्‍दा एको बार।” इसाई विश्वास अन्तर ए घीत सुसुर बिश्तु, किस कि यीशु मसीह सद यके लिंग हें जगाई मरणे बेलि हें सम्हाई पापे सज्जा खतम भोई गा, होर तेस पुठ विश्वास करणे बेलि तेन असी परमेश्वरे सम्हाणि धर्मी बणाए। पर हें विश्वासे जीण यके लिंग ना भुन्तु, बल्कि असी हर बेले जीण एन्तु। असी बार बार अपु जिन्‍दगी सुसुरेरण एन्ती, किस कि जमोरा हें सभाव पापे शड़ुआ लग गो असा। इस चिट्ठि अन्तर असी जिन्‍दगी जीणे बारे कुछ जरूरी शिच सलाह असी।
सतसंगे पुराणि परंपरा मानियेल त ई चिट्ठि प्रभु यीशु मसीहे भाई याकूबे लिखो असी। से इस चिट्ठ अन्तर यक विश्वासी भाई या भेण कीं उरतो-बरतो लौते, तसे बारे लिखो असु। त तुस की सोचते ना, कि सद मसीह पुठ विश्वास करणे बेलि तुं बचुण पक्कु असु? तुस अपु विश्वास कीं कइ हरालते? अमीर त गरीब विश्वासी के बारे की सलाह असी? एन्हि छड़ दी कइ हउ बि सुआ चीजे बारे इस चिट्ठ अन्तर याकूबे बताओ असु।
त चले इस चिट्ठि पढ़ कइ पता कते कि प्रभु यीशु मसीहे भाई याकूब यक विश्वासी जीणे बारे की की शिचालता।
विषय सूची
नमस्कार (1:1)
विश्वास त बुद्धि (1:2-8)
गरीब त अमीर (1:9-11)
परीक्षा त फल (1:12-18)
वचन शुणुण त मनुण (1:19-27)
केहर-बेहर न करण (2:1-13)
बजन कमे, मरो विश्वास (2:14-26)
जिभुड़ पाठ रखुंण (3:1-12)
स्वर्गे बुद्धि (3:13-18)
मतोक जुए मितरी (4:1-10)
होरी पंची करण केआं खबरदार (4:11-12)
शुकुण बारे रोभ ना किढ़ (4:12-17)
अमीर मेह्‍णु समझाण (5:1-6)
सीढ़ुण अन्तर लाह रखुंण (5:7-11)
सोह ना करण (5:12)
विश्वास जुए प्रार्थना करणे शक्ति (5:13-20)