फिलेमोन
जे लिखो प्रतिनिधि पौलुसे चिट्ठि
गुलामे जीणे बारे मोखयाल आजकणे मेह्णु तती समझ नेईं, जती हें पुरखी थी। तेस जमाने अमीर मेह्णु अपु गीहे कम कराण जे गुलाम रखतेथ। तेन्के सद यके कम थिउ कि जीं तीं कइ अपु मालिके निआंग मनीण। तेन्हि पुठ मालिके पूरी मर्जी चलतीथ। तुस ईं समझ बटते कि तेन्हि ना जीणे हक थिआ, होर ना मरणे। मालिके इच्छाई खिलाफ कम करणे बाड़े गुलामी जे मरणे सज्जा देण कोई दूरे गल नेओथ।
ई चिट्ठि ऊनेसिमुस नोउएं यक गुलामे बारे असी, जे अपु मालिक फिलेमोन केआं नियोक कइ नश गो थिआ। प्रतिनिधि पौलुस जपल कैद थिआ त तेन ऊनेसिमुस जे यीशु मसीहे बारे शिचालु त ऊनेसिमुस यीशु मसीह पुठ विश्वास किआ। पता से पौलुसे मदत करण लगा। तोउं पौलुसे से अपु मालिक केईं वापिस घेण जे मना। पर तस अपु मालिक केईं वापिस घेण, जीं गड भरणे बराबर थिउ। तस मडणे त मरणे सज्जा मेणे डर थिआ।
पर प्रतिनिधि पौलुसे तसे मालिक जे ई चिट्ठि लिखि। तुस अपफ ई चिट्ठि पढ़ कइ पता करे कि अखिरकार ऊनेसिमुस जोई की की करण जे प्रतिनिधि पौलुस फिलेमोन जे बोता। ई चिट्ठि तेन ईसवी 60 अन्तर लिखो थी।
विषय सूची
नमस्कार (1:1-3)
पौलुस परमेश्वरे धन्यवाद त प्रार्थना करण (1:4-7)
पौलुस नशो गुलाम ऊनेसिमुस जे छने करण (1:8-20)
अखिरि बोके त अशुश (1:21-25)