15
धीरे ले गोटेयाले, रीस सितरुआय,
मानतर कटुर गोट ले, रीस चेगुआय।
2 बुद बीता चो टोंड ले गियान चो नंगत गोट निकरुआय,
मानतर मूरक चो टोंड ले मूरक गोट ची निकरुआय।
3 जहोवा चो आंईक गुलाय बाटे नंजराते रयसे,
हुन, नंगत आउर अडरा लोग दुनो के दखते रयसे।
4 मन के अस्‍तिर देतो गोट, जीवन चो रूक आय,
मानतर कपट गोट ले, मन मुर-मुरा होयसे।
5 मूरक आपलो बुआ चो सिखिया के घिनियायसे,
मानतर बुद बीता, दागा दिले बले सुनेसे।
6 धरमकारी चो घरे खुबे धन-माल रउआय,
मानतर दुसट चो धन, हुनचो काजे बिपती आय।
7 बुद बीता चो गोट ले गियान बाड़ेसे,
मानतर भकवा, असन बिचार करुक नी सके।
8 जहोवा, दुसट लोग चो जतरा के घिनियाउआय,
मानतर सोज लोग चो पारथना ले हरिक होउआय।
9 दुसट चो चलनी-बुलनी के जहोवा घिनियाउआय,
मानतर धारनिक बाट ने चलतो लोग के मया करुआय।
10 नंगत बाट छांडतो लोग के खुबे डंड मिरेसे,
दागा के बईर करु, उधापड़े मोरेदे।
11 पतालपुर आउर नरक कुंड दुनो जहोवा पुरे उगाड़ा आसे,
फेर मनुक चो मन कसन ने हुनचो ले लुकुक सकेदे?
12 हांसी-खेली करु, दागा ले हरिक नी होये,
आउर सला काजे बुद बीता लगे नी जाये।
13 मन हरिक रलोने थमना बले हरिक दखा देउआय,
मानतर मन तकलीस ने रले आत्‍मा मुरमुरा होउआय।
14 समज बीता चो मन, गियान के डगराते रयसे,
मानतर भकवा चो मन, फोकाहा गोट के ची डगराते रयसे।
15 गरीब आपलो सपाय दिन दुख-तकलीस ने काटेसे,
मानतर मन हरिक रले, रोजे भोज खादलो असन आय।
16 तकलीस संगे खुबे धन रतो पलटा,
जहोवा चो डर संगे खिंडिक धन रले नंगत आय।
17 मया करतो लोग संगे साग-भाजी खातोर,
बईर करतो लोग संगे बोकड़ा-मास खातो ले नंगत आय।
18 रीसाहा, झगड़ा उबजायसे,
मानतर धीरे ले रीस होउ, लड़ई-झगड़ा के सितरायसे।
19 ठगरा चो बाट ने काटामन गुती होलीसे,
मानतर सोज लोग चो बाट, ओसार आउर सरसरा आसे।
20 बुद बीता बेटा, आपलो बुआ के हरिक करेसे,
मानतर भकवा बेटा, आपलो आया के निंदरेसे।
21 मूरक लोग, एड़जा बुता ले ची हरिक होउआत,
मानतर समज बीता, सरसरा बाट ने हिंडुआय।
22 सोर-सुतर नोहलो करलो बुता, फोकाहा होयसे,
मानतर खुबे सला ले बुता, पुरा होयसे।
23 नंगत गोट गोटेयाले लोग हरिक होउआत,
नंगत समया ने बललो गोट ले खुबे भलई होउआय!
24 बुद बीता काजे हुनचो जीवना चो बाट, बाड़ती बाटे नेयसे,
असन बरन ले हुन, पतालपुर जातो ले बाचेसे।
25 जहोवा, गुमानीमन चो घर के भोसड़ाउआय,
मानतर रांडीमन चो धन चो रखेया करुआय।
26 जहोवा, दुसट चो उआट के घिनियाउआय,
मानतर दया चो गोट के हुन पवितर मानुआय।
27 लालची आपलो कुटुम उपरे डंड आनेसे,
मानतर घुस के घिनियाउ जीव रयसे।
28 धरमकारी आपलो मन ले बिचारुन गोटेयाउआय,
मानतर दुसट चो टोंड ले अडरा गोटमन ची निकरुआय।
29 जहोवा, दुसटमन ले लापी रउआय,
मानतर धरमकारी चो पारथना सुनुआय।
30 आंईक चो उजर ले, मन हरिक होयसे,
आउर नंगत खबर ले, देहें-पांयमन चेंगचेंगा होयसे।
31 नंगत जीवना काजे सिखिया देतो दागा के, कान डेरुन सुनतो बीता,
बुद बीतामन संगे रउक सकेदे।
32 सिखिया के पाटसुना करु आपलो जीव के घिनियायसे,
मानतर दागा के मानले समज बाड़ेसे।
33 जहोवा के डरुन चललोने, बुद मिरेसे,
आपने के नानी करले, मान मिरेसे