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1 मंए ए कहत हों कि, हकदार हर जब ले छोटे हवे, तब ले ओमे अऊ कोनो गुलाम में कांही फरक नईए, भले ओ हकदार हर सबेच जाएत कर मालीक रहे। 2 बलकी ओकर दाऊ कर ठहराल घनी तक ओ हकदार हर अपन समपती कर देख-रेख करोईया अऊ ओकर मुंसी कर कबजा में रथे। 3 वईसनेच जे घनी हमूच मन लईका रहेन, त दुनिया कर पहिले कर सिकछा कर गुलाम बने रहेन। 4 बकिन जब निचट घनी हर पूरा होईस, त परमेसवर हर अपन बेटा ला भेजीस, जेहर कुंवार सवांगीन ले जनमीस अऊ ओ बेटा हर मूसा कर कानहूंन ला मानत रहीस। 5 परमेसवर हर अपन बेटा ला एकर बर भेजीस कि, जेमन कानहूंन कर मनोईया रहीन ओमन ला दाम देके छोंड़ाए लेहीस, तेमेकी हमरे गोदनामा लईका बएन सकी।
6 तुमन मन ओकर लईका-छऊआ हवा, एकर बर परमेसवर हर अपन बेटा कर आतमा, जेहर “ए अबा, ए दाऊ” कहिके चिकरथे, ओला हमर हिरदे में भेजीस हवे। 7 एकर बर अब तंए गुलाम ना लागस, बकिन बेटा लागस; अऊ जब बेटा लागस, त तंए परमेसवर कर जरिये हकदार भी लागस।
8 तुमन आगुवेच ले जब परमेसवर ला नई जानत रहा, त तुमन देवी-देवता मन कर गुलाम रहा, जेमन सचा परमेसवर ना लागें। 9 बकिन अब तुमन परमेसवर ला चिन लेहे हा बलकी परमेसवर हर तुमन के चिनहीस, त तुमन ओ कमजोर अऊ ए दुनिया कर अनभनिया पहिले कर सिकछाa कती काबर फिरत हा, का तुमन फेर से ओकर गुलाम होए बर चाहत हवा? 10 तुमन खास दिन, खास महीना, निचट घनी अऊ खास बछर ला मानथा। 11 तुमन कर बारे में मोके डर हवे कि, जे मेहनत मंए तुमन बर करे हवों, ओहर कहों अनभनिया तो नई होए जाही।
पऊलूस कर बिनती
12 ए भाई-बहिन मन, मंए तुमन ठे बिनती करत हों कि तुमन मोर जईसन होए जावा; काबरकि मंहू तुमन कर जईसन होए गए हों। तुमन मोर कांही नई नठाए हा। 13 तुमन जानबेच करथा कि, मंए अपन देंह में अबरहा होए कर चलते, मंए पहिलो दाएर तुहींच मन ला सुघर खभेर सुनाएं रहें। 14 बकिन तुमन मन मोर देंह कर हालत ला जाएन के, जेहर तुमन कर परीछा कर कारन रहीस, तबोले मोके नई घिनाया अऊ अनभनिया नई समझा। बकिन मोके परमेसवर कर दूत, बलकी खुदेच मसीह ईसू नियर समेझ के अपनाए लेहा। 15 त अझेर तुमन कर ओ आनंद हर कहा गईस? मंए तुमन कर गवाह हों कि, अगर ए होए सकतीस त तुमन अपन आंएखोच ला निकाएल के मोके दे देता। 16 त का तुमन जग सही गोठियाए कर चलते मंए अझेर तुमन कर बईरी बईन गएं हों?
17 ओ लबरा उपदेसक मन तुमन के अपन संगी-साथी बनाए बर तो उतसुक हवें, बकीन भले मन ले नहीं। बलकी तुमन ला मोर जग ले अलगे करे बर चाहत हे, तेमेकि तुमन ओमनेच कर संगी-साथी बईन जा। 18 बकिन सबेच घनी भला काम करे में उतसुक रहे, ओहर बढ़िहां हवे, एला सिरीप ओही घनी झईन करे जे घनी मंए तुमन कर संगे रथों। 19 ए मोर लईका मन, जब ले तुमन मसीह नियर नई बईन जईहा, तब ले मंए तुमन बर लईरकोरही दुख कस दुख ला सहत हों। 20 मंए समेझ नई पाथों कि तुमन बर का करल जाए, एकरले मंए चाहथों कि तुमन ठे आओं अऊ आए के दूसरे कस गोठियाओं।
कोन गुलाम, कोन अजाद
21 मोके बतावा तुमन में ले कोन मूसा कर कानहूंन कर कबजा में रहे बर चाहत हवा, तुमन कानहूंन ला नई जाना का? 22 एहर लिखल हवे कि अबराहम कर दुई गोट लईका होईन, एकठे गुलाम सवांगीन ले अऊ एकठे अजाद सवांगीन ले। 23 बलकी जे लईका हर गुलाम सवांगीन ले होईस, ओहर देंह कर रीती ले जनमीस; अऊ जे लईका हर अजाद सवांगीन ले होईस, ओहर परमेसवर कर बात-जबान कर अनुसार जनमीस। 24 ए सबेच बात हर एगोट अहना कस हवे: ए दुनो सवांगीन मन दुई गोट बात-जबान कर चिनहा लागें, एक झन हर तो सीने पहार लागे, जिहां ले मूसा कर कानहूंन मिले रहीस जेहर गुलाम बनाथे; अऊ ओहर हाजिरा लागे। 25 अऊ अझेर कर एरुसलेम सहर हर, अरब देस कर सीने पहार कस हवे, काबरकि ओहर अपन लईका-छऊवा कर संगे सबेच झेमन गुलामी में हवें। 26 बकिन ऊपरे कर एरुसलेम जेहर सरग लागे ओहर अजाद हवे, अऊ ओहर हमर दाई लागे। 27 काबरकि लिखल हवे
“ए बांझ, जेके लईका नई होईस हवे तंए आनंद कर;
जेके लईरकोरही दुख नई होईस हवे,
तंए मूंह खोएल के जय जयकार कर;
काबरकि छोंड़ल सवांगीन कर लईका-छऊवा
बिहावल सवांगीन कर लईका-छऊवा मन ले भी ढेर हवें।”
28 ए भाई-बहिन मन, हमरे इसहाक नियर बात-जबान कर लईका लागन। 29 बकिन जईसने देंह कर अनुसार जनमल लईका हर, ओ घनी आतमा कर अनुसार जनमल लईका ला सतावत रहीस, वईसनेच अझरो ले होवत हे। 30 बकिन परमेसवर कर किताब हर का कहत हे? “गुलाम सवांगीन अऊ ओकर लईका ला निकाएल दे, काबरकि गुलाम सवांगीन कर लईका हर, अजाद सवांगीन कर लईका कर संगे हकदार नई होही। 31 एकर बर ए भाई-बहिन मन, हमरे तो गुलाम सवांगीन कर लईका-छऊवा ना लागन, बलकी अजाद सवांगीन कर लईका-छऊवा लागन।