आखरी दिन कर चिनहा
13
1 जे घनी ईसू हर परमेसवर कर मंदिर ले निकलत रहीस,
तब ओकर चेला में ले एक झन हर ओके ला कहीस,
“ए गुरूजी,
इहां देखा,
कईसन बड़खा पखना अऊ कईसन सुघर मकान हवे।”
2 ईसू हर ओकर जग कहीस,
“का तुमन इहां बड़खा-बड़खा मकान देखत हा,
इहां पखना ले पखना नई बांचही,
जेहर गिराल नई जाही।”
3 जे घनी ईसू हर जएतून नांव कर पहार उपरे मंदिर कर देखार में बईठे रहीस,
तब पतरस,
आकूब,
एहूना,
अऊ अन्‌दरीयास मन अलगे जाए के ओकर जग पूछीन,
4 “हमके ला बता कि ए बात हर कब होही?
अऊ जे घनी ए बात हर होही ओ घनी कर चिनहा का होही?”
5 ईसू हर ओमन जग कहे लागीस,
“सवाचेती रहा कि तुमन ला कोनो बहकाए झईन पाए।
6 ढेरे झन मन मोर नांव में आए के कहीं,
मंए मसीह लागों!
अऊ ओमन ढेरेच मईनसे मन ला बहकाहीं।
7 जे घनी तुमन चाएरो कती ले लड़ाई,
कर गोएठ ला सुनीहा,
तब डराए झईन जईहा,
काबरकि ए बात हर होए बर जरूरी हे,
बकिन ओ घनी दुनिया कर अंत नई होही।
8 काबरकि जाति ले जाति अऊ देस ले देस एक दूसर कर बिरोध में लड़ाई करही,
जघा-जघा में भुईंडोल होही अऊ अकाल परही,
एहर तो दुख परेसानी कर सुरुवात होही।
9 बकिन तुमन अपन में सवाचेती रईहा,
काबरकि मईनसे मन तुमन ला कोट-कछेरी में सोंपहीं,
अऊ धरम सभा कर घर में पीटवाहीं,
अऊ सासन करोईया अऊ राजा मन कर आगु में तुमन ला ठड़हुवाए देहीं बकिन एहर तुमन बरीक मोर गवाही देहे कर मोका होही।
10 अऊ ए जरूरी हे कि,
सब ले आगु सुघर-खभेर सब जाति कर लोग मन ला सूनाल जाही।
11 जे घनी तुमन ला कोट-कछेरी में सोंपहीं,
तब आगु ले फिकर झईन करीहा,
कि हमन का कहबो,
बकिन जे कुछ तुमन ला ओही घनी बताल जाही,
ओहीच ला कईहा,
काबरकि गोएठ करोईया तुमन नई होईहा बकिन पबितर आतमा होही।
12 भाई हर भाई ला,
दाऊ हर बेटा ला मारे बर सोंपहीं,
अऊ लईका मन दाई-दाऊ कर बिरोध में उईठ बईठही अऊ ओमन ला मरुवाए दारहीं।
13 मोर नांव कर चलते,
सब मईनसे मन तुमन जग बएर करहीं,
बकिन जेमन आखरी तक धीरज धरे रहीं,
ओमने कर उदधार होही।”
महासंकट कर घरी
14 (जेमन पढ़ोईया हे ओमन समझ लेहें) ओ घनी कोनो घिनक चीज मंदिर में ढूक जाहीं अऊ ओहर मंदिर ला असाएध कर देही,
ते घनी मईनसे मन मंदिर ला छोंड़ के भाएग जाहीं। “जेजग ओ चीज ला नई होएक चाही,
ओजग ठड़होवल देखहीं” ओ घरी जेमन एहूदिया जिला में होहीं,
ओमन पहार कर ऊपर जरूर भाएग जाहीं,
15 जेमन छत में रहीं,
ओमन घर में काही लेहे बर खालहे झईन उतरे,
अऊ भीतरी झईन जाए,
16 अऊ जेमन खेत में रहीं,
ओमन अपन ओढ़ना लेहे बर पाछू झईन फिरें।
17 ओ दिन में जेमन आसापती,
अऊ दूध पीयात रहीं,
ओमन बर हाए-हाए,
18 अऊ पराथना करीहा कि ए सब जाएत हर,
जड़हा महीना में झईन होए।
19 काबरकि ओ दिन अईसन,
दुख तकलीफ कर दिन होही,
कि जबले परमेसवर हर ए दुनिया ला बनाईस हे,
तब ले आएज तक नई होईसे,
अऊ कभों नई होही।
20 अगर परभू ओ दिन मन ला नई घटाही,
त कोनोच जीव मन नई बांचहीं,
बकिन परभू हर अपन चुनल मन कर चलते,
जेमन ला परभू चुनीस हवे ओमन बर ओ दिन ला घटाईसे।
21 ओ घनी तुमन ला कोनो हर कही,
“देखा मसीह इहां हे,
अऊ देखा मसीह उहां हे,
ते जुआर ओ बात में बिसवास झईन करीहा,
22 काबरकि झूठा मसीह मन अऊ झूठा अगमजानी मन उईठ ठड़होहीं,
अऊ चिनहा चमतकार देखाहीं,
अगर होए सकथे त चुनल मईनसे मन ला बहकाए देहीं।
23 अब तुमन सवाचेती रईहा,
काबरकि सुना,
मंए तुमन ला सब बात ला आगु ले बताए देहे हों।
24 ओ दिन में दुख-तकलीफ कर पाछू,
बेर हर अंधार होए जाही,
अऊ जोन हर इंजोर नई देही,
25 अऊ अगास कर तरईया मन गिरे लागहीं,
अऊ अगास कर सकती हर हीलाल जाही।
26 तेकर मईनसे मन,
मईनसे कर बेटा ला,
बड़खा सामरथ अऊ महिमा कर संगे,
बदरी में आवत देखहीं।
27 ओ जुआर ओहर अपन सरग दूत मन ला भेज के,
भुईं कर सुरू ले,
अगास कर ठुठूंग तक,
अपन चुनल मईनसे मन ला एक जग जूटाही।”
28 अंजीर कर रूख ले ए अहना सीखा,
जे घनी ओकर डार हर कोंअर-कोंअर होए जाथे,
अऊ पतई निकले लागथे,
तब तुमन जाएन लेथा कि गरमी लिघे हे।
29 अईसने जब तुमन ए सब जाएत ला होवत देखीहा,
त जाएन लेईहा कि ओ घरी हर लिघे हवे,
अऊ दुरेच में हवे।
30 मंए तुमन ला फूरोंच कहथों,
“जब ले ए सब बात हर पूरा नई होए जाही,
तब ले ए पीढ़ी कर मईनसे मन नई मरहीं।
31 अगास अऊ भुईं टएल जाही,
बकिन मोर बचन हर कभों नई टलही।”
कोनो ओ दिन ला नई जाने
32 बकिन “ओ दिन अऊ ओ घरी कर बारे में,
कोनो नई जानथें,
न सरग दूत मन,
अऊ न बेटा बकिन सिरीप दाऊ हर जानथे।
33 सुना,
सवाचेती अऊ पराथना करत रईहा,
काबरकि तुमन नई जानथा,
कि ओ घरी हर कब आही।
34 एहर ओ मईनसे मन कर हाल हवे,
जेहर परदेस जाए कर जुआर अपन घर ला छोंएड़ के जाथे,
अऊ अपन दास मन ला अधिकार देथे,
सब कोनो ला ओमन कर काम बताथे,
अऊ पहरादार ला जागते रहे बर अगींया देथे।
35 एकर ले तुमन जागते रहा,
काबरकि तुमन नई जानथा,
कि घर कर मालीक हर कोन जुआर आही,
सांझ जुआर,
कि आधा राती,
कि मूरगा बसता,
कि भिनसरहा।
36 अईसन झईन होए कि ओहर अनचकहा आए के तुमन ला,
सूतत पाए।
37 अऊ जेला मंए तुमन जग कहथों,
ओला सब झन जग कहथों,
कि जागत रईहा।”