मरकुस कर लिखल ईसू कर सुघर-खभेर
एहूना बतीसमा देवईया कर सेवकाई
“सुना,
मंए अपन खभरीहा ला,
तोर आगु भेजत हों,
जेहर तोर बरीक डगर बनाही।
3 सुनसान जघा में एक झे खभरीहा हर चीकरत हवे कि,
परभू ला आए बरीक डगर ला तियार करा,
अऊ ओकर डगर ला सोज करा”
4 एही खभरीहा हर बतीसमा देवईया एहूना रहीस,
जेहर सुनसान जघा में रहत रहीस,
अऊ सीखावत रहीस,
कि पाप कर छमा मिले बर,
अपन मन ला परमेसवर कती फिराए के,
बतीसमा लेआ;
5 एरुसलेम सहर,
अऊ एहूदी जिला कर सब झेमन निकेल के ओकर जग गईन,
अऊ अपन-अपन पाप ला माएन के,
एरदन नदी में ओकर जग ले बतीसमा लेहीन।
6 एहूना हर ऊंट कर रांवा कर बनल ओढ़ना ला पहिने,
अऊ अपन कनिहां में चाम कर,
बनल पटा ला पहिने रहत रहीस। ओहर फंफा,
अऊ जंगली मधुरस खात रहीस।
7 ओहर एकस परचार करत रहीस,
कि मोर पाछू एक झन अवईया हवे,
जेहर मोरोच ले अऊ महान हे,
मंए एकर लाईक नई हों,
कि नीहूर के ओकर,
पनही कर पहिरल डोर ला छोरों।
8 मंए तो तुमन ला पानी ले बतीसमा देहथों,
बकिन ओहर तुमन ला,
पबितर आतमा ले बतीसमा देही।
ईसू कर बतीसमा अऊ परीछा
9 ओही घनी में ईसू हर गलील जिला कर,
नासरत गांव ले आए के,
एरदन नदी में एहूना जग बतीसमा लेहीस।
10 जे घनी ईसू पानी ले निकेल के ऊपरे आईस,
त तुरतेंच ओहर सरग ला ऊघरत देखीस,
अऊ परमेसवर कर आतमा ला परेंवा कस,
अपन ऊपरे उतरत देखीस;
11 अऊ परमेसवर कर अवाज हर सरग ले एकस आईस,
कि तंए मोर दुलरुवा बेटा लागस,
तोर ले मंए ढेरे खुस हों।
12 तब पबितर आतमा हर तुरतेंच ओके सुनसान जघा जाए बर अगुवाई करीस।
13 ओजग सएतान हर चालीस दिन ले ओकर परीछा लेहीस,
ऊहां जंगली जानवर मन रहत रहीन;
बकिन सरगदूत मन ओकर सेवा जतन करत रहीन।
14 जे घनी एहूना ला जेहल में हुरकल गए रहीस,
त ईसू हर,
गलील जिला में जाए के,
परमेसवर कर सुघर-खभेर कर परचार करीस;
15 अऊ कहीस,
“निचट घरी हर आए पहुंचीस हे,
अऊ परमेसवर कर राएज करे कर घनी हर लिघे हवे,
अपन पाप ले मन फिरावा अऊ सुघर-खभेर में बिसवास करा।”
ईसू हर चेला मन ला बलाथे
16 एक दिन ईसू मसीह गलील जिला कर बड़खा दह कर धरी-धरी जात रहीस तब ओहर,
समोन,
अऊ ओकर भाई अनदिरीयास ला जाल फेंकत देखीस,
काबरकि ओमन मछुवारा रहीन।
17 ईसू हर ओमन ला कहीस,
“मोर पाछू आवा,
मंए तुमन ला मछरी ला नही बकिन मईनसे मन ला मोर जग लनोईया बनाहूं।”
18 ओमन तुरतेंच,
जाल मन ला छोंएड़ के,
ओकर पाछू होए लेहीन।
19 बकिन तनीक आगु जाए के ओहर जबदी कर बेटा आकूब,
अऊ ओकर भाई एहूना ला डोंगा में जाल ला तूंगत देखीस।
20 ईसू हर,
तुरतेंच ओमन ला बलाईस,
अऊ ओमन अपन दाऊ जबदी ला,
बनिहार मन कर संगे डोंगा में छोंएड़ के,
ओकर पाछू चएल देहीन।
दुसट आतमा धरल मईनसे मन ला ईसू चंगा करथे
21 ओमन कफरनहूम सहर में गईन,
अऊ ईसू पबितर दिन में,
एहूदी मन कर धरम सभा कर घर में जाए के,
उपदेस देहे लागीस।
22 सबेच मईनसे मन ओकर उपदेस ला सुईन के,
अचमहों होवत रहीन,
काबरकि ओहर एहूदी कानहूंन कर सीखोईया मन कस नही,
बकिन अधिकार कर संगे मईनसे मन ला उपदेस देहत रहीस।
23 ओही घनी ओमन कर सभा घर में,
एक झन मईनसे रहीस,
जेकर भीतरी एगोट असाएध आतमा रहीस।
24 ओहर कीरलाए के कहीस,
ए ईसू,
नासरत गांव कर रहोईया,
हमर काम में अड़ंगा झईन डाल,
का तंए हमके नास करे बर आए हस,
हमन जानथन कि तंए कोन लागस,
तंए परमेसवर कर पबितर जन लागस।
25 ईसू हर,
ओके ला घुड़काए के कहीस,
कले रह,
अऊ ओकर भीतरी ले निकेल जा।
26 तब असाएध आतमा हर ओके ला मुरकेट के,
कीरलात ओकर ले निकेल गईस।
27 एला देख के सब मईनसे मन अकबकाए के एक दूसर जग पूछत रहीन,
कि एहर का बात हवे,
एहर तो कोनो नांवा उपदेस लागे ओहर अधिकार कर संगे गोठियाथे,
अऊ असाएध आतमा मन ला भी अगींया देथे,
अऊ ओमन ओकर गोएठ ला मानथें।
28 एकरे चलते गलील जिला कर सब जघा में,
ओकर नांव कर चरचा तुरतेंच फईल गईस।
ईसू ढेरेच बेमरीहा मन ला चंगा करथे
29 तेकर ईसू हर एहूदी मन कर सभा घर ले निकेल के आकूब,
अऊ एहूना संगे,
समोन,
अऊ अन्दरीयास कर घरे गईस।
30 समोन कर सास ला ढेरेच जर लेहत रहीस,
त ओमन तुरतेंच ईसू ला,
ओकर बारे में बताईन।
31 ईसू ओकर जग गईस,
अऊ ओकर हांथ ला धईर के उठाईस। त ओकर जर हर ओतनेच में उतेर गईस अऊ ओहर ओमन कर सेवा सतकार करे लागीस।
32 सांझ जुआर,
जे घनी बेर हर बूईड़ गईस,
तब मईनसे मन ईसू जग बेमरीहा,
अऊ जेमन ला दुसट आतमा धरे रहीस,
ओमन ला लानीन।
33 ओ सहर कर सब मईनसे मन,
घर कर दुरा कर आगु में झुमेट गईन।
34 ईसू हर ढेरेच झन कर,
कईयो मधे कर बेमारी ला चंगा करीस,
अऊ ढेरेच दुसट आतमा मन ला निकालीस। बकिन दुसट आतमा मन ला गोठियाए नई देहीस,
काबरकि ओमन ईसू ला जानत रहीन।
सुनसान जघा में ईसू हर पराथना करथे
35 बड़े बिहाने बेर उगे कर आगु,
ईसू हर उईठ के सुनसान जघा में गईस,
अऊ ओजग पराथना करे लागीस।
36 तेकर समोन,
अऊ ओकर संगता मन ओके ला खोजे बर गईन।
37 जे घनी ओहर मिल गईस,
त ओकर जग कहीन,
कि सब कोनो तोके ला खोजत हे।
38 ईसू ओमन ला कहीस,
“आवा,
हमरे ठांवें-ठांवें कर गांव में जाई,
मंए उहोंच ला परचार करहूं,
काबरकि मंए एकरे बर निकले हों।”
39 तेकर ओहर गलील जिला में जाए के,
एहूदी मन कर सबेच सभा घर में परचार करत रहीस अऊ दुसट आतमा मन ला निकालत रहीस।
कुड़गा रोगी ला ईसू चंगा करथे
40 एगोट कुड़गा बेमरीहा हर ईसू जग आईस,
अऊ ठेहुनाए के बिनती करीस,
“अगर तंए चाहबे त मोके सुध कएर सकथस।”
41 ईसू हर ओकर ऊपरे सोगे होईस,
एकर ले अपन हांथ ला लमाए के ओके छुईस,
अऊ कहीस,
मंए चाहथों तंए सुध होए जा।
42 त ओहीच घनी ओकर कुड़गा बेमारी हर हएट गईस,
अऊ ओहर सुध होए गईस।
43 तेकर ईसू हर ओला बढ़िहां से चेंताए के,
झट के भेज देहीस;
44 अऊ ओके ला कहीस,
“सुन,
ककरो जग कांही झईन कहबे,
बकिन तंए जाए के अपने-आप ला आजक ला देखाओ अऊ कुड़गा बेमारी ले चंगा होए कर बारे में,
जेला मूसा अगमजानी हर ठहराईस हवे,
ओही कस भेंट ला चघा,
कि सब कोनो समझ जाएं कि तंए सुध होए गए। ”
45 बकिन ओहर बाहरी जाए के,
ए बात कर ढेरेच चरचा करे लागीस,
अऊ एहर एतना फईले लागीस कि,
ईसू मसीह,
ककरो देखत कोनो सहर में जाए नई सकत रहीस। तेकर ले ईसू हर बाहरी सुनसान जघा में रहत रहीस,
तबो ले चाएरो कती ले मईनसे मन ओकर जग आत रहीन।