तूफानक बीच जहाज
(प्रेरितों २७:१-२६)
27
1 यैक बाद राजपालल यौ फैसॉल करौ कि उ पौलुस कैं रोमी सम्राटक पास भेजो। यैक लिजी पौलुस और थ्वाड़ दुसॉर कैदियों कैं लै यूलियुस नामक सुबदार कैं सौंप दी गोय। 2 और उं ऑशिया प्रदेश जाणी जहाज मिं भैबेर बॉट लागि ग्याय, और हम लै उनर दगाड़ गोयूं। 3 दुसर दिन हम सब सिदोन मिं पुज्यूं, और यां सुबदारल पौलुस कैं आपण दगड़ुवोंक घर जैबेर उनेरि मधत ली सकणक इजाजत दे।5 यैक बाद फिर हम समुद्र कैं पार करिबेर लुकियाक मुरा नामक बन्दरगाह मिं पुज्यूं। 6 वां सुबदार कैं एक पाणिक जहाज मिलौ जो इटली जाणी छी और वील हमुकैं उमिं बैठा। 7 भौत दिनों तलक माठू-माठ अघिल बढ़नै हम क्रेते द्वीप मिं पुज्यूं।
9 ऐल तलक भौत बखत बित गोछी और ऑब समुद्रक सफर करण और लै मुश्िकल है गोछी, किलैकि ह्यूनक दिन उणिवॉल छी। 10 यैक लिजी पौलुसल सबों धैं कौ, "भाइयो, मिकैं लागणौ कि हमर सफर भौत परेशानिवॉल ह्वल, हमुकैं न केवल आपण माल और जहाजकि परेशानी उठूण पड़ेलि बल्िकन आपण जिन्दगीक लै।" 11 लेकिन सुबदारल पौलुसक बातोंक बदाव जहाजक सैप और मालिकोंक बातों मिं जादे ध्यान दे। 12 उ बन्दरगाह ह्यूनक दिन बितूणक लिजी भल नि छी, यैक लिजी जादे मैंस वांबे बॉट लागणक विचार मिं छी। उं कसिकै फीनिक्स मिं पुजिबेर ह्यून कॉटणक ऑश मिं छी। 13 यैक लिजी उनुल लंगर उठा और पाल ताणिबेर वां फीनिक्स मिं पुजणकि कोशिश करण लागी। 14 लेकिन फिर उ बखतै तूफानी हाव-बयाव चलण लागी। 15 और जहाज तूफानक चपेट मिं ऐबेर हावक सामण बेबस हबेर बगण लागौ।
18 फिर दुसर दिन तुफान और जोरल चलनै रौ। 19 यैक लिजी उं जहाज कैं हल्क करणक लिजी थ्वाड़ माल कैं समुद्र मिं खितण लागीं। 20 जब भौत दिनों तलक न सूर्ज, न क्वे तॉर देखियौ, और ऑब तुफान और लै तैज हबेर चलण भैटौ, तब हमेरि बचणक ऑश लै खतम है गेई।
21 हमुल भौत दिनों बे के नि खै रॉखछी। तब पौलुसल हम सबनक बीच मिं ठॉड़ हबेर कौ, "भाइयो, भल तो यौ हुंछी कि तुम मेरि बात मानिबेर क्रेते बे बॉट नि लागना, तब हमर के नुकसान और हमुकैं के परेशानी लै नि हुंछी। 22 फिर लै मी तुमुधैं गुजारिश करनू कि तुम हिम्मत धरो, तुमुमिंबे कैकै लै जिन्दगी कैं के नि हो, केवल जहाजक नुकसानक अलावा। 23 किलैकि मी जो परमेश्वरक सेवा और भक्ित करनू, वीक दूतल बेईं रात म्यर नजिक ठॉड़ हबेर कौ, 24 "पौलुस, तु झन डर, किलैकि तुकैं रोमी सम्राटक सामण ठॉड़ हुणै छु। और देख, परमेश्वर त्यर कारणल यौं सब मैंसों कैं लै बचाल। 25 यैक लिजी, भाइयो, तुम हिम्मत धरो, किलैकि मिकैं भरौस छु कि जस उनर दूतल मिधैं कौ, उं उस्सै करॉल। 26 हम क्वे द्वीप बे टकरै जूंल, जैल हमर जहाज टुट जॉल, पर हम सब बचि जूंल।"
जहाजकि दुर्घटना
(प्रेरितों २७:२७:४४)
27 आज यौ तूफानकि चौदूं रात छी और हम इथां-उथां भटकणाछी। तबै जहाज चलूणियोंल चिता कि हम क्वे जॉगक सुकी किनॉर मिं पुजणयूं! 29 उनुकैं डर लागणैछी कि कैं हम पखॉणों मिं नि टकरै जूं, यैक लिजी उनुल जहाज रोकणक लिजी वीक पछिनक तरफ बे चार लंगर पाणि मिं खिती और बेशबरील उज्याव हुणक इंतजार करण लागी। 30 लेकिन नाविक जहाज बे भॉजण चाणाछी, यैक लिजी उनुल जहाजक अघिलक तरफ बे लंगर खितणक बहानल नॉन नाव कैं पाणि मिं उतारि दे। 31 यौ देखिबेर पौलुसल सुबदार और सिपैनों धैं कौ, "अगर उं जहाज मिं नि रौला, तब हम नि बचि सकन।" 32 यौ सुणिबेर सिपैनोंल नॉन नावोंक ज्यौड़ काटिबेर समुद्र मिं खिति देई।
33 जब उज्याव हुण लागौ, तब पौलुसल सबों कैं आपण दगाड़ खॉण खॉणक लिजी जोर दिबेर कौ, "भाइयो, तुमन कैं खॉण नि खाई और फिकर करन-करनै चौद दिन है गेईं। 34 यैक लिजी मी तुमुधैं खॉण खॉणक लिजी बिनती करनू, यौ करण मिं तुमर भल छु। तुमुमिंबे कैकै बाव लै नि हराओ।" 35 यौ कैबेर पौलुसल सबोंक सामण र्वट लिबेर परमेश्वर कैं धन्यवाद दिणक बाद उकैं टोड़िबेर खॉण लागीं। 36 यैल सबों कैं हिम्मत ऐ और तब उनुल लै खॉण खा। 37 जहाज मिं हम सब मिलैबेर द्वी सौ छियत्तर मैंस छी। 38 जब सब खैबेर भरी ग्याय, तब उनुल ग्युंक बोरियों कैं लै समुद्र मिं खितिबेर जहाज कैं हल्क करि दे।
39 जब सूर्ज निकलौ, तब उनुल एक खाड़ी देखी, जैक फेर मिं बउवै-बउ छी। उनुल उ देश कैं नि पछ्याण, लेकिन फिर लै उनेरि मंशा छी कि है सको तो जहाज कैं एक फेर मिं ठॉड़ करि दिंनू। 41 पर जहाज पाणि भितेरक बउ मिं ठांसी गोय, और वीक पछिलक हिस्स टुटण लागौ। 42 सिपैनोंल यस सोचौ कि कैं यस नि हो कि कैदी बौं काटिबेर भाजि जाओ, उं उनुकैं मॉर दिण चांछी। 43 लेकिन सुबदारल पौलुस कैं बचूणक मंशाल उनेरि मंशा टाइ दे। वील हुकुम दे कि जो बौं काटि सकनी, उं पैली फाव मारिबेर समुद्रक फेर मिं ऐ जाओ। 44 और बकाय मैंस तक्तों और जहाजक दुसॉर चीजोंक सहारल पछिल बे ऐ जाया, और इसिक सब मैंस भली कै सुकी किनॉर मिं पुजि ग्याय।