पौलुसक भाषण
(प्रेरितों २२:१-२१)
22
1 पौलुसल मैंसों धैं कौ, "भाइयो, मेरि बात सुणो।" 2 और जब मैंसोंल सुणौ, कि उ हमेरि बोलि मिं बुलाणौ, तब उं सब शांत है ग्याय।3 पौलुसल कौ, "मी लै यहूदी छूं, और म्यर जनम किलिकियाक तरसुस नगर मिं हौ। लेकिन मेरि पढ़ाइ-लिखाइ यौ नगरै मिं है, और मील आपण पुरखोंक सब नीमों कैं भली कै समझौ। म्यर भितेर लै तुमरै चारि परमेश्वरक आदर करणक लिजी ऑग लागीं छु। 4 उ मैंसों कैं जो यीशु कैं मानछी, मील उनुकैं बन्दी बणैबेर जेल मिं खितछी। 5 यैक गवाह महायाजक और सभाक मैंस छन, किलैकि मील उनुधैं यौ हुकुम-नाम लिखिबेर ली रॉखछी, कि दमिश्क मिं जो लै यीशुक विश्वासी ह्वाल, मी उनुकैं जेल मिं खितिबेर सजा दिलूंल। 6 जब मिं हुकुम-नाम लिबेर दमिश्कक तरफ जाणौछी, तब एकाएक अगाश बे एक उज्याव म्यर चारों तरफ चमकौ। 7 मी भिं मिं छुटि गोय, तब मील यौ अवाज सुणी, "पौलुस, पौलुस, तु मिकैं किलै सत्यूणौछै?" 8 मील कौ, "प्रभु, तुम को छा?" उनुल कौ, "मी यीशु छूं, जकैं तु सत्यूणौछै" 9 जो म्यर दगाड़ छी, उनुल उज्याव देखौ, पर उ अवाज नि सुणि जो मील सुणी। 10 फिर मील कौ, "प्रभु, मी के करुं?" प्रभुल मिधैं कौ, "उठ, दमिश्कक तरफ जा, और वां तुकैं बताई जॉल कि के करण छु।" 11 यैक बाद म्यार दगड़ु मिकैं दमिश्क ली गेईं, किलैकि तेज उज्यावल मिकैं के नि देखीणौछी। 12 तब हनन्याह नामक धार्मिक मैंस जो यहूदियों मिं जांनी-मानी छी, 13 वील म्यर पास ऐबेर मिधैं कौ, "पौलुस भाइ, तु देखण भै जा।" उ बखत बे मी फिर देखण भै गोय। 14 फिर वील मिधैं कौ, "परमेश्वर जनेरि अराधना हमार पितर करछी, उनुल तुकैं यैक लिजी छांटि रॉखौ, कि तु उनेरि मंशा कैं जाणो, और मसीह कैं देखिबेर वीक बातों कैं सुणो। 15 किलैकि तु सब मैंसोंक सामण उनर लिजी यौ बातोंक गवाह छै जो त्वील देख-सुण रॉखीं। 16 यैक लिजी ऑब तु पाणिक-बपतिस्मा लिणक लिजी ढील नि कर, और उनुधैं प्रार्थना करिबेर आपण पापों कैं ध्वे ले।"
17 यैक बाद जब मी एक दिन यरुशलेम जैबेर परमेश्वरक भवन मिं प्रार्थना करणौछी, उ बखत मिकैं प्रभुल दर्शन दे। 18 उनुल कौ, "उठ, यांबे जा, किलैकि यांक मैंस तेरि बात नि मानन।" 19 मील कौ, "प्रभु, उं खुद जाणनी कि मी तुमार मैंसों कैं सभा-घरों बे निकाल-निकालिबेर जेल मिं खितिबेर मारछी। 20 और जब तुमर सेवक स्तिफनुस मारी जाणौछी, तब मी उनर दगाड़ वैं छी, मील उनार लुकुड़ पकड़ि रॉखछी, जो स्तिफनुस कैं मारणाछी। यैक लिजी मैंस मेरि बात जरूड़ मानॉल।" 21 लेकिन प्रभुल मिधैं कौ, "यांबे जा, किलैकि मी तुकैं दूर-दूर तलक दुसॉर जातियोंक पास भेजणी छूं।"
पौलुसकि रोमी नागरिकता
(प्रेरितों २२:२२-३०)
22 जब पौलुसकि यौ बात मैंसोंल सुणी कि ऑब मिकैं अन्य जातियोंक पास जाण छु, तब उं सब जोर-जोरल हकाहाक करिबेर कूण लागीं, "यकैं मारि दियो! यौ ज्यून रुणक लैक न्हैं! यकैं मारि दियो!" 23 और उं आपण लुकुड़ फाड़िबेर अगाश हुं मॉट छलकूण लागीं।
24 तब सेनाक सैपल पौलुस कैं भितेर लिजैबेर चाबुक लगूणक हुकुम दे, जैल उ आपण कसूर बताओ। किलैकि उ जाणन चांछी कि मैंस उकैं देखिबेर इदुक नराज किलै है रईं। 25 जब सिपै पौलुस कैं चाबुक लगूणक लिजी बादणाछी, तब पौलुसल उधैं पुछौ, "के तुमर कानूनक अनुसार क्वे यस मैंस कैं चाबुक लगै सकछा जो कि रोमी नागरिक हो, और जबकि वीक कसूर लै साबित नि हई हो?" 26 यौ सुणिबेर उ सिपैल सेनाक सैपक पास जैबेर कौ, "तुम यौ के करणाछा? उ तो रोमी छु!" 27 यौ सुणिबेर ठुल सैपल पौलुसक पास ऐबेर उधैं पुछौ, "बता, के तु रोमी छै?" वील जबाब दे, "होय।" 28 तब सेनाक सैपल कौ, "मिकैं रोमी नागरिकता घूस मिं भौतै डबल दिबेर मिली।" पौलुसल कौ, "मी तो जनम बे रोमी छूं!" 29 तब उं सिपै जो पौलुस कैं मारणिवॉल छी, हट ग्याय। और सेनाक सैप लै डरि गोय, किलैकि वील एक रोमी मैंस कैं बादणक और चाबुक लगूणक हुकुम देछी।
पौलुस महा-सभाक सामण
(प्रेरितों २३:१-११)
30 यैक दुसर दिन सेनाक सैपल यहूदियोंक अधिकारियों कैं आपण दगाड़ बुलवैबेर पौलुस कैं उनर सामण ठॉड़ करौ, ताकी उ जाणि सको कि मैंस वीक खिलाफ हाल्ल किलै मचूणाछी।