नामीकि मंशा
(रूत ३:१-६)
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1 एक दिन रूतकि सॉसुल उधैं कौ, "इजा, यौ म्यर फर्ज छु कि मी त्यर घर-बार बसैबेर त्यर भल करि जूं। 2 बोअज जैक नौकराणियोंक दगाड़ तु काम करणैछै, उ हमर करीबी रिश्तदार छु। और आज रात उ आपण खाव मिं जौं बताल। 3 यैक लिजी तु नै-ध्वे और बटी-बाटिबेर वां जाये। लेकिन जब तलक बोअज खै-पी नि करि ल्यल, उ बखत तलक उकैं दिखा झन होये। 4 और देखि लिए कि उ को जॉग मिं सितणौ और जब उ से जॉल, तब तु वीक पास जैबेर ढगीण टिपिबेर वीक खुटाणि पड़ि जाऐ। तब उ बताल कि तुकैं के करण छु।" 5-6 रूतल आपण सॉस धैं कौ, "जस तुम कूणाछा, मी उसै करुंल।"बोअजक वैद
(रूत ३:७-१८)
7 उ रात जब बोअजल खॉण-पिण खा, तब उ बड़ खुशि हौ और जैबेर नाजक ढेरक किनॉर मिं सित गोय। तब रूतल सुनसान ऐबेर वीक खुटाणिक ढगीण कैं टिपिबेर पड़ि गेई। 8 जब अधरात मिं अचानक बोअजकि नीन टुटी, तब वील देखौ, "अरे, यौ स्यैणि म्यर खुटाणि मिं कांबे ऐ!" 9 और बोअजल उधैं पुछौ, "तु को छै!" रूतल कौ, "मी तुमेरि दासी रूत छूं। दया करिबेर तुम मिकैं आपण ढगीणी ढगै दियो, जैल मिकैं तुमर सहार मिल सको। किलैकि तु हमर खानदानक छै, जैक पास हमुकैं समावणक हक छु।" 10 बोअजल उधैं कौ, "ओ चेली, तुकैं प्रभु परमेश्वर भौत आशीश दियो किलैकि त्वील आज तलक आपणि सॉसुक लिजी भल करौ। और यै हबेर जादे भल यौ छु, कि तु कभै क्वे जवान लौंडक दगाड़ नि गेई, चाहे उ सेठ हो या गरीब। 11 तु झन डर, जस त्वील मिधैं कौ, मी तुमर लिजी करुंल। किलैकि म्यर गौंक सब मैंस जाणनी कि तु एक मेहनती और भलि चाल-चलन वालि स्यैणि छै।" 12 फिर वील कौ, "यौ बात सांचि छु कि मी तुमर करीबी खाश रिश्तदार छूं, लेकिन मी हबेर लै तुमर एक शांक रिश्तदार आइ छु, जैक हक म्यर हबेर पैली छु कि उ तुमुकैं समाओ। 13 अगर भोव उ मैंस ना कौल, तब मी ज्यून परमेश्वरक कसम खैबेर कूंनू कि मी आपण फर्ज पुर करुंल।" 14 तब उज्याव हुण है पैली रूत वांबे जाण लागी, किलैकि बोअजल उधैं कौ, "कैकणी यौ बातक हाव नि लागणि चैनि कि तु यां ऐ रैछी।" 15 फिर बोअजल कौ, "जो शौल तु ढगि रैछै, तकैं बिछा।" और वील पन्नर पैंसेरि जौं भरिबेर वीक ख्वर मिं धरि देईं। तब उ आपण घर लौट ऐ। 16-17 जब रूत आपण घर वापिस ऐ, तब वीक सॉसुल पुछौ, "इजा, वां के हौ?" तब रूतल बता कि बोअजल उधैं के के कौ, और पन्नर पैंसेरि जौं लै देईं कि तु आपण सॉसुक पास रितै नि जा। 18 नामील कौ, "इजा, तु यौ बातकि ऐल के फिकर नि कर, किलैकि उ मैंस आज यौ बातक फैसॉल हुण तलक ऐरामैल नि बैठल!"