सांची सक्ष्या प चालबो
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1 तीतुस तु सदा अस्यान की बाता सखाब्अ कर ज्यो खरी होव्अ। 2 बढ़ा-बुढ़ा मनखा न्अ सक्ष्या देवो क वे सावचेत अर खुदन्अ सम्भाळबाळा बण्अ। वे थ्यावस राखबाळा, गम्भीर, समझदार अर बस्वास अर परेम मं गाढ़ा होव्अ।3 अस्यान'ई बुढ़ी डोकर्या न्अ सखावो क वे पवितर मनखा की जस्यान चोखा बेवारहाळी बण्अ। बराई करबाळी कोन बण्अ अर दारूड़ी कोन्अ होव्अ। वे चोखी-चोखी बाता सखाबाळी बण्अ। 4 जिसुं वे जुवान छोर्या न्अ अपणा-अपणा बाळका सुं अर घरका धणी सुं परेम करबा की सीख दे सक्अ। 5 जिसुं वे संयमी, पवितर, अपणा-अपणा घरा की सम्भाळ करबाळी, दीयालु अर खुदका घरका धणी की आज्ञा मानबाळी बण्अ। जिसुं परमेसर का बचन की बराई कोन्अ होव्अ।
6 अस्यान'ई जुवान छोरा न्अ सखाता रेवो क वे संयमी बण्अ। 7 थे हरेक बात मं खुद आदर्स बणर दखावो। थारो उपदेस पवितर अर गम्भीर होणो चायजे। 8 अस्यान की सदवाणी काम मं लेवो जिकी बराई कोन्अ करी जा सक्अ जिसुं थारा बिरोध्या न्अ लाज आव्अ क्युं क वां कन्अ थारा बिरोध मं बोलबा बेई कांई बी कोन्अ होव्अलो।
9 सेवा करबाळा न्अ सखावो क वे हर बात मं खुदका मालिका की आज्ञा मान्अ। वान्अ राजी करता रेव्अ। पल्टर जुवाब कोन्अ देव्अ। 10 चोरी चालाकी कोन्अ करअ। पण पुरा बस्वासहाळा बणर दखाव्अ। जिसुं आपणा उद्धार करबाळा परमेसर का उपदेस की सब तरा सुं महमा होव्अ।
परमेसर की दीया
11 क्युं क परमेसर की दीया सबळा मनखा का उद्धार बेई प्रगट होई छ। 12 या दीया आपान्अ सखाव्अ छ क आपा ई दनीया मं अभक्ति अर संसार की बरी मन्सा न्अ छोडर अपणा-आपन्अ बसम्अ रांखबाळो होर धरमी बणर पवितर जन्दगी जीव्अ। 13 आज का ई संसार मं उं धनै दन की बाठनाळता रेंवा जद्या आपणा परम परमेसर अर उद्धार करबाळा ईसु मसी की महमा प्रगट होव्अली। 14 aवो आपण्अ बेई खुदन्अ देदियो। क वो सब तरा का पाप सुं आपान्अ बचा सक्अ अर आपान्अ पवितर करर खुदक्अ ताणी अस्या मनख बणाव्अ ज्यो भला काम करबा क ताणी उतावळा रव्अ।
15 यां बाता न्अ पुरा अधिकार की लार खे अर समझातो रे, हिम्मत बन्दातो रे अर बिरोध्या न्अ दकालतो रे। जिसुं कोई बी थन्अ तुच्छ कोन्अ जाण्अ।