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फेर मुय दकली कि मेमना हांय सात मुर मन ले गोटोक के उगाडला, आउर हांय चार प्राणी मन ले गोटोकर गरज असन सुनला, ‘‘आव" । 2 मुय नजर करली, आउर दका, गोटोक सफेद घोडा आय, आउर हांतार उपरे चेगला बीता धनुष धरला आचे, आउर ताके गोटोक मुकुट देलाय, आउर हाय जय करते निकरला कि आउर जय पाओ । 3 जडदाय हांय दुसरा मुहर के उगाडला, तेबे मुय दुसरा प्राणी के ए बोलते सुनलो कि ‘‘आव" । 4 फेर आउर गोटोक घोडा निकरला जोन लाल रंगर रये, हातार उपरे चेगला बीता के ए अधिकार दी रओत कि पृथ्वी ले मेल उठाओ, कि लोक मन एक दूसरा के मारेते मारोत, आउर हांके गोटोक बडे तलवार देलाय । 5 जडआय हांय तीसरा मुहर खोवला, तेबे मुरा तीसरा प्राणाी के ए बोलते सुनली कि, ‘‘आव" मुय नजर करली आउर दका, गोटोक करिया घोडा आय, आउर हातार चेगला बीतार हाथे तराजू रये, 6 आउर मुय हांय चारों प्राणाी मनर मंजी गोटोक शब्द बोलते सुनली, ‘‘दीनार" र सेर गेंहू आउर दीनारर तीन सेर जौ, मातर तेल आउर अंगूर र रस के नुकसान ना कर 7 जडआय हांय चैथा मुहर अगाडला, तेबे मुय चैथा प्राणी के ए शबद बोलते सुनला ‘‘आव!" 8 मुय नजर करली, आउर दका, गोटोक पीला जसन घोडा आय, आउर हांतार चेगला बीतार नाव मृत्यु आय आउर अधोलोक हांतार पीटी पीटी आय, आउर तिके पृथ्वी र गोटोक चैथाई उपरे ए अधिकार देलाय कि तलवार, आउर अकाल, आउर मरी, माउर जगतर वन प्शु द्वारा लोक मन के मारी पोकाआते । 9 जडदाय हांय पांचवा मुहर के खोलला तेबे मुय बेदी र तले हांय प्राण मन के दकली जोन मापरू र बचन र कारन आउर हांय गवाही र कारन जोन हांय मन दी र ओत बध फरी रओत । 10 हांय मन बडे शब्द ले हागदेई बोललाय ‘‘ हे मालिक, हे पवित्र आउर सत्, तुय केगे तक नियाय ना करिस ? वे आउर जगत र रबा लोक ले हामर लहु र बदला केबो तक ना धरिस ? " 11 हांयमन ले सबु के सफेद कपडा देलाय, आउर तिके बोललाय कि आउर खिडिंक बेर ले बिश्राम करो, जडदाय ले तमर संगी दास आउर भाई जोन तमर अस्म बध होटानार आये हांतार बले गिनती पूरा न हो । 12 जडदाय हांय छतवा मुहर खोलना, तेबे मुय दकली कि गोटाके बडे भूकम्प होयला, आउर सूरज कामरा र असन करिया आउर चंद्रमा लहु असन होटला । 13 आकाश र तारा जगत उपरे असन हासरलाय जसन बडे आंधी हलीकरी अंजीर र गच ले काचा फल झडुआय । 14 आकाश असन सरकला जसन चिट्ठी मोडले सरको जाउआयः आउर जबु डोंगरी आउर टापू आपना आपना जगा ले टली गली । 15 तेबे जगतर राजा, आउर प्रधान आउर सरदार, आउर धनवान आउर सामर्थी लोग, आउर सबु दास आउर सबु आजाद डोंगरी खोह ने आउरी चटटान ने जाई लुकला, 16 आउर डोंगरी आउर चट्टान मन के बोलबात कि ‘‘ हामर उपरे घसरा, आउर मेमना प्रकोप ले लुकाहा । 17 कसन बोलले तिकर प्रकोप र भयानक दिन आयला आचे, ऐबे कौन ठेेठके सके ?