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एतार पाचे मुय पृथ्वी र चारो कोना ने चार सरंगदूत के ठिंआ दकली । हाय पृथ्वी र चारो बाटे लेहरा के ढेबाय रएत कसन बलले पृथ्वी नोएले समुदर नोएले कोनी गच ने लेहरा न चलो। 2 पाचे मुंय गोटक आउर सरग दूत के जीवता मापरूर मुहर धरी कटी पूरब ले उपर बाटे आयबार दग्लो, हाय हाई चारो सरगदू ले जाके पृथ्वी आउर समुंद र हानि करबार अधिकार दि जाई रए, ऊंचा शब्द ले हागदी बलला, 3 जेबे तक हानि अपनार मापरूर दारो र मार्था ने मुहर ना लगाय देऊॅ, तेबे तक जगत ना पहंुचा । 4 ष्जोन मन के मुहर दी गला में तीकर गिनती सुनली इ काजे इस्त्रा एलर बेटा-बेटी र 5 यहूदा र गोत्र ले बारा हजार ने मोहर दीया गला रुबेनर गोत्र ले बारा हजार ने गादर ले बारा हजार ने 6 आशेर र गोत्र नेले बारा हजार उपरेए नपताली र गोत्र नेले बारा हजार उपरेए मनशिह र गोत्र नेले बारा हजार उपरेए 7 शमोन र गोत्र नेले बारा हजार उपरेएलेवी र गोत्र नेले बारा हजार उपरेए ईस्साकार गोत्र नेले बारा हजार उपरेए 8 जबूलुन र गोत्र नेले बारा हजार उपरेए युशुफ र गोत्र नेले बारा हजार उपरे आवरी बिन्यामिन र गोत्र नेले बारा हजार उपरे मोहर दीया गला द्य 9 एतार पाचे मुय दकली की आवरी दकाए सबू गोटक जाति आवरी कूल आवरी लोक आवरी भाषा नेले गोटक असन बड़े भीड़ जाके कोनी गेनके ना सकेतए पंडरा फटी पिनी आवरी आपना हाथ ने खजूर र खेंदा धरी करी सिहासन र छमे आवरी मेंडा र छमे ठीया होई करीए 10 आवरी बड़े सब्द ले हाग देई करी बलसी आचेए ष् उधार काचे हामार माहा परभु रए जोन सिहासन उपरे बसला आचेए आवरी मेंडा र जय जय कार होओं द्यष् 11 आवरी सबू सरग दूत हांय सिहासन र आवरी प्राचीन र आवरी चार जिव धारी र चारो बाटे ठीआ आचेत पाचे हांय सिहासन र छमे पाटा पड़ी करी आवरी माहा परभु के जुहार करी बललाए 12 आमेन द्य हामर माहा परभु र स्तुति आवरी महिमा आवरी गिआन आवरी धनेबाद आदर आवरी सामरथ आवरी बल जूग जूग र बनी रओ द्यआमेन द्यष् 13 ए थाने प्राचीन ने ले गोटक मोके बललाए ष्ए पंडरा फटी पिन्दला आचे कोन आय घ्आवरी कोन थानले आयला आचे घ्ष् 14 मुय हाके बलली ष्हे मालिकए तुय ची जनबी आस द्यष् हांय मोके बललाए ष्ए हांय मन आतए जोन हांय माहा दुःख ने ले निकरी करी आयला आतय’ हांय मन आपना आपना फटी मेंडा र लोउ ने धोई करी उजर करला आत द्य 15 ई लागी हांय मन माहा परभु र सिहासन र छमें आचेत ए आवरी हातार मंदीर ने दीन राती हातार सेवा करू आत आवरी जोन सिहासन उपरे बसू आतए हांय हातार उपरे आपनार तम्बू के टान्गु आत द्य 16 हांय मन आवरी भूका आवरी पिआस ना होयेत आवरी ना हांय मन उपरे घाम, ना काई तोपा पायसी । 17 कसन बलले की मेमना जोन सिंहासन र भंजी गता आचेत् तीकर रक्षा करसी आउर तीले प्राण रूपी जलर सोत लगे नेई दीआ करसी आउर मावरू तीकर आंकी ले सबू आंसू के फुची देसी ।