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जोन परकार हांय लोक ने झुटा भविष बकता रयेत, ई परकार तमर थाने बले झुटा उपदेशक होयबाय, जोन नाश करबा बिता पाखंड र उदघाटन लुकी लुकी करी करबाय, आवरी हांय मालिक र जोन तिके घेनला आचे इनकार करबाय, आवरी आपना नीज के झटके बिनाश ने सोंगाय देबू | 2 खुबे हातार असन लुच पन करबाय, जाहार लागी सत र बाट बाटर निंदा करबाय | 3 हांय मन लोक काचे गोट बनाय करी तमके आपना लाभ र कारन बनाय बाय, आवरी जोन दंड र आगेआ तिकर उपरे पईल ले होयला आचे हातार आयबा काचे खिनीक बले बेर निआय, आवरी तिकर बिनाश सोउ नुआय | 4 कसन की जड़ दाय माहा परभु हांय सरग दूत मन के जोन मन पाप करलाय ना चाड़ला, मातर नरक ने पटाय करी अंधार कुंड ने पकाय देला की निआवं र दीन ले बंदी रओत ; 5 आवरी पाचर जुग र सोशार र बले ना छाड़ला मातर भक्ति हीन सोसार उपरे बड़े जल परलय पटायला, मातर धरम र परचारक नूह संगे आट लोक के बाचाय ला ; 6 आवरी सदम आवरी अमोरा र नगर के बिनाश र असन दण्ड देला की ताके भसम करी लाकड़ी ने मिसाय देला की हांय मन आयबा बिती भक्ति हीन लोक के शिखिया काचे गोटक कह्का बना, 7 आवरी धरमी लूत के जोन अधरमी मनर असुध चाल चलन ले खुबे दुखी रये छुटकारा देला | 8 . ( कसन की हांय धरमी तिकर मंजी ने रई करी बले आवरी तिकर अधरम र काम के दकी दकी करी आवरी सूनी सूनी करी, सबु दीने सत मन के दण्ड करते रयेत | ) 9 तेबे परभु र भक्त मन के परीख्या ले निकराव आवरी अधरमी मन के निआव र दीन दाययले दण्ड र दसा ने सोंगाय के बले जाने, 10 ख़ास करी तिके जोन अशुद अभिलाषा मन र पिटी बाटर गागर र अनुसार चलू आत आवरी परभुता के छुत जानू आत | हांय मन टेक, आवरी हटी आत, आवरी बड़े पद लोक के अडरा भला बलबा काचे ना डरेत, 11 तेबे सरग दूत जोन सक्ति आवरी सामरत ने हातार ले बड़े आत, परभु र छमें तिके अडरा भला बली करी दोष ना लगायेत | 12 मातर हांय लोक निरबुधि पशु मन असन आत, जोन धरा जिबा र आवरी नाश होयबा काचे जनम होयला आचे ; आवरी जोन गोट के जानास ची नाई हातार बारे ने दुसर के अडरा भला बलुआस, हांय मन आपनी कुयला थाने नीजे कुई जिबाय | 13 दुसर के अडरा करले पलटा ने तिकरी ची अडरा होऊ आय |तिके दीन दुय पाहार खायबा - पियबा अच्छा कारबार अच्छा लागू आय |ये कलंक आवरी दोष आय ; जड़ दाय हांय मन तमर संगे खायते - पीयते रऊ आत, तेबे आपना बाटले मया र भोझ करी भोग बिलाश करू आत | 14 तिकर आकी ने बेविचार बसला आचे, आवरी हांय मन पाप ना करलार थबके ना सकेत |हांय मन चंचल मन बिता के फूसाऊ आत |तिकर मन के लोभ करबार अभेआस होयला आचे ; हांय मन संताप र बेटा आय | 15 हांय मन शिधा बाट के छाड़ी करी भुलकला आत , आवरी बओर र बेटा विलाम र बाट ने होयला आत, जोन अधरम र भूती के आपनाय ला ; 16 मातर हातार अपराध र बारे ने उलहाना दिया गला,हांय थान ले की ना गोटाय बा गधई मुनूक र गोट ले हांय भविषबकता के हातार बोया पन ले थेबाय ला | 17 ये लोक सुकला चुआ, आवरी लेहरा उड़ायला बादरी आत ;तिकर काचे अनन्त अंधार सोंगाय गला आचे | 18 हांय मन फोकाहा घमण्ड र गोट मन गटाय गोटाय लुच पन र काम र लागी, हांय लोक मन के गागर र अभिलाषा मन ने फशाऊ आत जोन भटकला लोक मन ने ले एबे निकरबा से आत | 19 हांय मन तिके छाड़ी देबार किरीआ तो करू आत, मातर आपना ची कुयला र दास आत ; कसन की जोन मुनूक जोन थान ले हारला आचे, हांय हातार बनू आय | 20 जड़ दाय हांय मन परभु आवरी उधार करू यीशु मसीह र चीना बाटले सौसार र नाना परकार र अशुद्ता ले बाची निकर लाय, आवरी पाचे हांय थाने लटकी करी हारलाय, तेबे हातार पाचर दशा पई ल ले बले अडरा होयला आचे | 21 कसन की धरम र बाट के ना जानबार ची तिकर काचे एतार ले अच्छा होयता की हांके जानी करी, हांय पवितर आगेआ ले बाहड़ी जायताय जोन तिके सोपला आचे | 22 तिकर उपरे हांय कहनी ठीक बसु आय, की कूकुर आपना छाट र बाटले धुआय करी बराहा चीकल ने घोंडर बा काचे बाहड़ी जाऊ आय |