12
अगर घमण्ड करबार मोर काचे अच्छा नुआय तेबले बले करके पडू आय; ई काचे मय परभु के देला दरशन मन के आवरी उजर मन र गोट गोटायबी | 2 मय मसीह ने गोटक मुनूक के जानी ; चौदा बरस होयला की नाई ना जानी गागर संगे, ना जानी गागर ने ना रई, माहा परभु जाने ; असन मुनूक तीनटा सरग ले उठाय गला | 3 मय असन मुनूक के जानी ना जानी गागर संगे, ना जानी गागर ने ना रई, माहा परभु ची जाने 4 की सरग लोक ने उठाय गला, आवरी असन गोट मन के सुनला जोन बलबार नुआय ; आवरी जाहार मूह ने आनबार मुनूक के अच्छा नुआय | 5 असन मुनूक मन ने तो मय घमण्ड करबी, मातर आपना ने आपना बल के छाड़ी, आपना बारे ने घमण्ड ना करी | 6 कसन की अगर मय घमण्ड करबार चाहयले बले मुरुख ना होई, कसन की सत बलबी; तेबे बले ठेबी जाऊ आय, असन ना होओं की जसन कोनी मके दकू आय नोयले मोर ले सुनू आय, मके हातार ले बड़ी करी माना | 7 ई काचे की मय उजर मनर खूबे ने फूली ना जाई, मोर गागर ने गोटक काटा कोचक लाय, माने सयतान र गोटक दूत की मके मुटका मारसी की मय फूली ना जाई | 8 एतार बारे ने मय परभु के तिन हार बिनती करली की मोर ले ये दूर होओं | 9 मातर हांय मके बलला,“ मोर अनुगरह तोर काचे खुबे आय; कसन की मोर सामरत बल हित ने सिध होऊ आय |” हाई काचे मय खूबे हरिक ले आपना बल नोयबा ने घमण्ड करबी की मसीह र सामरत मोर उपरे छाव करते रओ | 10 एतार लागी मय मय मसीह काचे बल नोयबा ने, आवरी निंदा मन ने, आवरी भूक मरी ने, आवरी उपद्रव ने, आवरी दुःख ने हरिक आची ; कसन की जड़ दाय मय बल हित होऊ आय, तेबे बल बिता होऊ आय | 11 मय मुरख तो बनली, मातर तोमी ची मोके ये करबा काचे मजबूर करलास | तोमके तो मोर बड़ाई करबार रये, कसन की अगर मय काई बले नाई, तो तेबले बले हांय बड़े ले बड़े पेरिरीत मन ले कोनी गोट ने कम नुआय | 12 पेरिरीत र भाव बले तोमर मंजी सबू परकार र धीरजा संगे चिना मन ने, आवरी अद्भुत काम मन ने, आवरी सामरत र काम मन ने दकाय गलाय | 13 तमी कोन गोट मन ने दुसरा कलीस्या मन ने कम राहास, सिरीप ये थाने की मय तोमके आपना भार ना देली |मोर ये अनिआय माफ करा | 14 दका, मय तीसरा हार तोमर लगे आयबा काचे तिआर आची, आवरी मय तमर उपरे काई बोझ ना सोंगाई, कसन की मय तोमर धन नाई मातर तमके ची मया करू आय |कसन की पिला मन के आया बुआ मन काचे धन जमा ना करबार आय, मातर आया बुआ मन के पिला मन काचे | 15 मय तोमर आतमा मन काचे खूबे हरिक ले खरचा करबी, नोयले खूद बले खरच होई जिबी |काय जतक बड़ी करी मय तोमर संगे मया सोंगाऊ आय, अतकी ची घटी करी तमी मोरले मया सोंगाय बास ? 16 असन होयके सके की मय तमर उपरे बोझ देली, मातर चालाकी ले तमके धोका देई करी तमके फसायली ! 17 भला, जोनके मय तोमर लगे पटायली, काय हांय मन ले काहरी बाटले मय छल करी तमके काई मांगली ? 18 मय तीतुस के समझाय करी हातार संगे हांय भाई के पटायली, तो काय तीतुस छल करी तोमके काई धरला ?काय हामी गोटकी आतमा र चलबार ना चलू ?काय गोटकी ची बाट ने ना चलू ? 19 तमी एबले समझ बास की हामी तोमर छमे जबाब देबू आचू |हामी तो माहा परभु के छमे जानी करी मसीह ने बलु आवं, आवरी हे सुन्दर लोक मन, सबू गोट मन तोमर बड़बा काचे ची बलु आवं | 20 कसन की मोके डर आचे, केबई आसन ना होओं की मय आसी करी जसन चाहयबी आची, असन तोमके ना पायबी ; आवरी मोके बले जसन तमी ना चाहास असनी ची पाहा ; आवरी तोमर ने झगड़ा, डाहा, रिस, बिरोध, कूचर, खूद खायबार, टेकाहा आवरी अड़गा करू ; 21 आवरी केनी असन ना होओं की मोर माहा परभु मोर आवरी तोमर थाने आयले मोर उपरे दबाब डालोत आवरी मके खूबे मन काचे आवरी दुःख करके पड़सी, जोन मन आगे पाप करी रयेत आवरी घिन घिना काम आवरी बेबिचार आवरी लूच पन ले, जोन हांय मन करलाय, मन के ना बाहाड़ाय लाय |