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कतक दिनेर पाचे आवरी कपरनाहुम ने आयला, आवरी सुन्लाय की हाँय घरेआचे| 2 आवरी अतक लोक कूड़ा होएलाय की दुहारे ने बले टान ना रहे; आवरी हाँय तीके महापरुर गोटके सान्गे रला| 3 आवरी लोक मन गोटक लकवा मरला मने के चार लोक बोई करी हांतार लग्गे आन्लाय| 4 मतर खुबे जप रला गुनुक हांतार लगे कटके ना सकलाए, तेबे हाँय मन हाँयछानीके जहांर तले यीशु निकाराय दलाय; आवरी जड़दाय हांके उजड़ायलाय, तेबे हाँय कटिया जोन लकवा मारलार बेमारी सोई रहे, हाँतार लगे उतराहे देलाए| 5 यीशु आंतार विश्बास दकी करी हाँय बेमार माने के बल्ला, “हे बेटा, तोर पाप क्षमा होएला|” 6 तेबे कतकी शास्त्री मन जोन हाँय लगे बसी रलाय, अपनार- अपनार मन ने विचार करलाय, 7 “ऐ माने काऐ कजे असन बलसी आचे? ऐ तो महापरुर निन्दा करसी आचे| महापरू के छाडी करी आवरी कोन पाप के क्षमा करके सकु आय?; 8 येशू तुरते अपनार आत्मा ने जान ला की हाँयमन अपनार -अपनार मन ले असन विचार कारबा आत, आवरी तीके बल्ला, “ तमी अपना अपना मन ने ऐ विचार काय कजे करबा आस? 9 सरल काय आय? काय लकवा बेमारी के ए बलला की तोर पाप क्षमा होएला, की ऐ बल बार की उठ अपनार कटिया के उठाय करी इंढ बूल? 10 मतर जांहार ले जानी राह की मुनुक कर बेटा के मजपुरे पाप खेमा करबा कजे बले हक़ आचे|; यीशु हाँय लकवा बेमारी के बल्ला, 11 “मोय तोके बल्बी आचे उठ, अपनार कटिया के उठाय करी अपनार घरे इंडी जा|” 12 हांय उठला आवरी तुरते कटिया के उठाय करी सबुर चमेले निकारी करी गला ऐके दकी करी सबू लोक टटका होएलाए, आवरी महापरु के सहराय करी बलके मुरायलाय, “ हामी असन केबीई ना दकी रहू|” 13 यीशु आवरी निकरी करी तरिई रेटे गला, आवरी खुबे लोक रुंडा होई करी आंतार लगे गलाए, आवरी यीशु हाँय मन के उपदेस देऐ के मुरायला| 14 जीबादाय हाँय अल्पाईर बेटा लेवी के चोंगी नाका ने बसी रबार दकला आवरी हांके बल्ला, “मोर पिटी पिटी आव|; आवरी हाँय उती करी यिशुर पिटी पिटी गला| 15 जड़दाय यीशु तीकर घरे भात खायके बसला, तेबे खुबे पट्टी धरु मन आवरी पापी, यीशु आवरी हाँतार चेला मन संगे भात खायके बसलाय; कसन बल्ले हाँय मन खुबे लोक रहेत आवरी यिशुर पिटी बटे होई रहेत| 16 शास्त्री आवरी फरीसी मन ऐ दकी करी की एतो पापी मन आवरी पट्टी धरु मन संगे भात खायसी आचे, अपनार चेला मन के बल्ला, “ ऐतो पट्टी धरु मन आवरी पापी मन संगे खाऊ पिऊ आय|” 17 येशु एके सुनिकरी तिके बल्ला, “अच्छा रबा लोक के बईदर काम नूहाए, मतर बेमारी कजे आय; मोय धर्मी मन के नाई मतर पापी मन के आग दबा कजे आयली आचे|” 18 यहुन्नर चेला मन आवरी फरीसी मन उपास करते रलाय; आवरी हाँय मन आसी करी तीके ऐ बल्लाये, “यहुनार चेला मन आवरी फरीसी मनर चेला मन काय कजे उपास करू आत, मटर तोर चेला मन कसं उपास न करेत?; 19 यीशु तीके बलला, “जड़दाय ले दूल्हा, काय हाँय उपास करके सकू आस? आवरी जड़दाय ले दूल्हा तिकर संगे रहू आय, तेबे अड्दाय ले उपास ना करके सकेत| 20 मतर हांय दिन आयसी जड़दाय दूल्हा हाँय मन ले अलग होएसी; अड़कदाय हांय मन उपास करबार| 21 “नुहा पटई के जुना पटई संगे काप ना बसायत; असन करले नुहा पटई गोंदा जुना पटई तानले सकड़ी करी, आवरी अधिक पट्सी कसन नुहा पटई, जुना पटई ले, आवरी आगले अधिक पाटी जायेसी| 22 नुहा दाक रस के जुना आंडी थाने कोनी ना सोंगायेत, नोएले दाक रस आंडी के पुटाये सी, आवरी दाक रस आवरी आंडी नस्सी जायेसी; मतर नुहा दाक रस के नुहा आंडी भरुआत|” 23 असन होएला की हाँय सुस्ताय बा दिन ने बेडा बटले होई करी जाये रहे, आवरी हाँतार चेला मन इंडी इंडी धान खेड़ के तुटाय के मुराए लाये| 24 तेबे फरीसी मन तीके बल्लाय, “दक सुस्ताये बा दिने बले बुता काय कजे करुआत ऐ शोभा ना देऐ?” 25 हाँय तीके बल्ला, “काय तमी केबीई ना पढला आस जड़दाय दाहुद जरूत रला, आवरी जड़दाय हाँय आवरी आंतार संग्वारी भूक होएलाय तेबे हांय काय करी रला? 26 हाँय कसन अबियातर महाजकर बेरा, महापरुर भवन ने जाई करी भेटेर रोटी के काय ला जहांर खयबा टा याजक मन के छाडी करी कोनी के बले शोभा ना देऐ, आवरी अपनार संगवारी मन के बले देला?” 27 तेबे हाँय तीके बल्ला, “सुस्ताय बार दिन माने मन कजे बनाय लार आचे, ना ई माने लोक सुस्ताये बा दिन कजे| 28 एतारी कजे मुनुकर बेटा सुस्ताय बार दिनर बल्ले परबू आय|”