21
जेबे हांय मन यरूशलेमर लगे पंहचलाय आवरी जैतून डोंगरी ले बैतफगेर लगे आय लाय, तेबे यीशु दुईटा चेला मन के ये बलि करी पटायला, 2 """ छमर गांव ने जाहा |हायती पहुच ले ची गोटक गदही बांदलार, आवरी हातार संगे पीला तोमके मीलसी |हांय मन के डीली करी मोर लगे आना |" 3 अगर तोमके कोनी काई बलले, तेबे बला की परभु के ऐ मनर जरुरत आय, तेबे आय अड़की ची दाय तीके पटायला |” 4 ऐ हाई काचे होयला की जोन बचन र बवीस्बकता मन बाटले बली रयेत, हाय पूरा हओं: 5 """सिय्योन र बेटी ले बलला, दक, तोर राजा तोर लगे आउआय; हांय सीधाआय, आवरी गदहा ने बसला आचे; आवरी गदहा र बेटा ने |”" 6 चेला मन जाई करी, जसन यीशु तीके बली रये, असनी ची करलाय 7 आवरी गदही आवरी पीला के आनी करी, तीके अपनार फटीई पीन्दाय लाय, आवरी हांय हायती बसला | 8 तेबे खुबे लोग मन अपनार फटई के बाटले लुकाय लाय, आवरी दुसरा लोक मन गच मन ले खेंदा गोंदी करी बाटे सोंगाय लाय | 9 जोन भीड़ छोमे छोमे जायते आवरी पीटी पीटी हीन्डी आयते रयेत, हाग देई हाग देई बलते रयेत, “ दाऊद र बेटा के होसाना, धन्य आय हांय जोन परभुर नाव ले आऊ आय, बादरी ने होसाना |” 10 जेबे हांय येरूशलेम ने ओलला, तेबे सबु नगर ने धाक फुटला, आवरी लोक मन बललाय, ये कोन आय ?” 11 लोक मन बललाय, “ ये गलील र नासरत र भविस्वकता यीशु आय |” 12 यीशु महा परभुर मंदीर ने जाई करी हांय सबु के, जोन मंदीर ने लेन देन करते रयेत, नीकराय देला, आवरी संदूक र पीड़ा आवरी परवां बीकबा लोक मनर गुड़ा के उल्टायला; 13 आवरी तिके बलला, “ लीखला आचे, मोर घर पारथना र घर बोलाऊ आय; मातर तमी हांके डाकू मनर घर बनाऊ आस |” 14 तेबे काना आवरी कोडिया, मंदिर ले हांतार लगे आयलाय, आवरी हांय तिके चंगा करला | 15 मातर जेबे बड़े याजक आवरी शास्त्री मन ने ये अद्बुत काम मन के,जोन हांय करी रहे, आवरी पिला मन के मन्दिर ने '' दाऊदर बेटाके होशाना” आग दबा बेरा दखला, तेबे हांय मन रिस होयलाय, 16 आवरी हांय बलके मुराय ला; काय तुई सुनबी आस की हांय मन कायबलबा आत?; यीशु तिके बलला,” हाँ काय तमी ये केबी ना पड़लास; पिला आवरी गोरस कायबा पिलार मुंह ले त्तुई खुबे स्तुति कराय लिस ?” 17 तेबे हांय तिके छाड़ी करी नगरर बाहरे बेतनिया ने गला आवरी हांय आंय ताने राती कटायला | 18 सकरिया पाहार जड़ दाय हांय नगर ने बाहाड़ते रला तेबे हांके बुख लागला | 19 सड़ाक रेटे अन्जिरर गोटक गच दखी करी हांय हांतार लगे गला, आवरी पतर के छाड़ी आंय ताने आवरी कांई ना पायला हांके बलला, “एबे ले तुई आवरी पने फल ना दरे |” आवरी अंजीरर गच तुरते सुकी गला | 20 ये दखी करी चेला मन टटका होयलाय आवरी हांय मन बलला, “ ये अंजीरर गच तुरते कसन सुकी गला ?” 21 यीशु तिके उतर देला,” मैं तमके सते बलबी आचे, मातर तमी विश्वास सोंगाह आवरी संदेह ना करा, तेबे ना आवरी ये करबास जोन ये अंजीरर गच के करा गला आचे, मातर अगर डोंगरी के पने बलले, जीकी होई जा, आवरी समुंद ने जाई गसर, तेबे हांय होई जायसी | 22 आवरी जोन कांई पने तमी परथना ने विश्वास करी मानबास आई सबूतमके मिरसी | 23 हांय मंदिर ने जाई करी उपदेस देहतेरहे, तेबे बड़े याजक मन आवरी जुना लोक मन हांतार लगे आई करी पचार लाय, “तुई ये काम काहार अधिकार ले करबी आस ? आवरी टोके ये अधिकार कोन देला आचे ?” 24 यीशु तिके उतर देला, “ मैं पने तमके गोटक गोट पचारबी आची, अगर हे मोके सांगा,तेबे मैं पने तमके सान्गबी की ये काम काहार अधिकार ने करबी आचे | 25 यहुनार बपतिस्मा कोन तानर रहे ? सरग बाटले नोयले माने बाटले ?” तेबे हांय मन एक दूसरा ले विबाद करके दरलाय, “ अगर हामी बलबू सरगर आय बलले, तेबे हांय हामके बलसी, आवरी तुई हांतार विश्वास काय काजे ना करीस? 26 आवरी बलले माने बाटर आय, तेबे हामके भीड़र डर आय, कसन की हांय सबू यहुना के भविस्वकता मानु आत |” 27 तेबे हांय मन यीशु के उतर देलाय, “ हामी ना जानू |” हांय पने हांय मनके बलला, “तेबे मैं पने तमके ना सांगी ये काम काहर अधिकार ले करबी आचे | 28 तुई काय विचार करबी आस ? कोनी मानेर दुई जन बेटा रहेत, हांय आगर लगे जाई करी बलला, ये बेटा आजी दाकर बाड़ी ने काम कर | 29 हांय उतर देला, मैं ना जांई, मातर पाचे किसाय ला | 30 आवरी बाबा दूसरा लगे जाई करी असन ची बलला, हांय उतर देला, अवजीबी मातर ना गला, 31 ये दुनोले कोन बाबार मन के पूरा करला ?” हांय मन बललाय, “आगर” यीशु हांय मन के बलला, “ मैं तमके सते बलबी आची की महसूल दरबा बिता आवरी बेसीया मन तमर ले आगे महा परभूर राज जिबाय | 32 कसन की यहूना धरमर बाट के दकायते तमर लगे आयला, आवरी तमी तार विश्वास ना करलास, आवरी माह्सून आवरी बेसया मन तार विश्वास करलाय: आवरी तुई ये दखी करी पाचे पने ना पछताय लास की तार विश्वास करतास 33 """गोटक आवरी कहका सुना: गोटक घर मालिक रहे, हांय जोन दाकर बाड़ी ने लगाय रहे, हांतार चारो बाटे बाड़ी बुनी रहे, आंय ताने रस र कुंड कोड़ला आवरी लाड़ी बनायला, आवरी किसान मन के तार टेका देई करी परदेस ने गला |" 34 जड़ दाय फल दरबार समय लगे आयला, तेबे हांय अपनार दास मनके हाँतार फल के आनबा काजे किसान मन लगे पटायला | 35 आवरी किसान मन हांतार दास मन के दरी करी कोनी पेटलाय, आवरी कोनी के मारलाय, आवरी कोनीर उपरे पकना पकायला | 36 आवरी हांय आगले खुबे आवरी दास मन के पटायला, आवरी हांय मन हांय पने असनी ची करलाय | 37 पाचे हांय अपनार बेटा के तिकर लगे ये विचार करी पटायला की हांय मन मोर बेटा के मान बाय | 38 मातर किसान मन बेटा के पने दकी करी एक दूसर ले गोटयलाय, “ यर तो बेटा आय, आसा, एके मारु आवरी एतार नाप दरू |” 39 तेबे: हांय मन ताके दरलाय आवरी दाकर बाड़ी ले बाहरे निकराय करी मारलाय | 40 एइकाजे जड़ दाय दाकर बाड़ीर सामी आयसी, तेबे हांय किसान मन संगे काय करसी ?” 41 हांय मन ताके बललाय, “ हांय हांय अडरा लोक मन के अडरा निति लेनास करसी; आवरी दाकर बाड़ीरर टेका दूसरा किसान मन के देहेसी, जोन समयलेहांके फल देबाय |” 42 यीशु तिके बलला, “काय तमी केबिई पवित्र शास्त्र ने ये ना पड़ला आस: जोन पकना के राज मिसतरी मन मुरक समझी रहेत, आंई कोनार चोमर पकनाहोयला ? ये परभू बाट ले होयला,आवरी हामर दखबा ने अदबुत आय |” 43 एइकाजे मैं तोमके बलबी आचे की महा परभूर राज तमर ले दरा जायसी आवरी असन जाती के जोन हांतार फल आनबाय,दिया जायसी | 44 जोनये पकनाने गसरसी, आंय बिली जायसी; आवरी जाहारउपरे हांयघसरसी, हांके बिलाय देयसी |” 45 मुख्या आवरी फरीसी हांतार बचन के सुनी करी समझलाय की हांय तिकर बारे ने बलसी आचे | 46 आवरी हांय मन ताके दरबार चायलाय, मातर लोक मन के डरलाय कसन की हांय मन ताके भविस्वकता मानते रहेत |