12
आंय समय यीशु सब्दर दिन बेड़ा बाटले होई करी जायते रहे,आवरी हातर चेला मन के बुक लागला तेबे हांय केड़ के टूटाय टुटाय करी कायके मुराय लाय 2 फरीसी मन ये दकी करी हांके बललाय,| “दक,तोर चेला मन ये काम करबा आत,जोन सब्दर दिन ने करबार उचित नुआय |” 3 हांय आंय मन के बलला, “काय तमी ना पड़ला आह्स की दाऊद जड़ दाय हांय आवरी हातार संवारी बुक होयलाय तो काय करलाय? 4 ये कसन महा परभुर गहरे गला,आवरी भेटर रोटी के कायला,जाके कायबारना तो हांके आवरी ना हांतर संगवारी मन के आवरी केवल याजक के उचित रहे? 5 ये काय तमी वेवस्ता ने ना पड़ला की याजक सब्दर दिन मंदिर ने सबदर दिनर निति के टूटाय करी बले निरदोस तेबू आत? 6 आवरी मय तोमके बलबी आची की ये आंय आय जोन बले बड़े आय | 7 अगर तमी हेतार अरत जानास. “मैं दया ले अरिक हाउ आय बलि दान ले नाई,”तो तमी निरदोस के दोसी ना तेबायत | 8 मानेर बेटा तो सब्दर दिनर बले परभू आय| 9 हेतान ले जाई करी हांय तिकर परथना घरे आयला | 10 आंय ताने गोटक माने रहे जाहर हाथ सुकी रहे | हांय मन यीशु उपरे दोस लगायबा काजे हांके पचार लाय, “काय सब्दर दिन ने सभा करबार उचितआय?” 11 हांय तिके बल्ला, “तमी असन कोन आस जाहर गोटक ची मेंडा आचे,आवरी हांय सब्दर दिन ने कुदरा ने गरले, तो हांय हांके दरी करी ना निकराये? 12 अच्छा मानेर मोल मेंडा ले कतक बड़ी करी आय |” 13 तेबे हांय मनुक के बलला, “अपना हाथ के लोमाव |” हांय लोमाय ला आवरी हांय आवरी दुसर हाथर असन अच्छा होयला | 14 तेबे फरीसी मन बहारे जाई करी हातार विरुदी मन विचार करलाय की हांके कसन करी नास करबू | 15 ये जानी करी यीशु आंय तान ले गला | आवरी कुबे लोक हातार पिटी बाटे होयला, आवरी हांय सबू के चंगा करला, 16 आवरी तिके चेतायला की मोके परकट ना करा, 17 जसन की जोन बचन यशायाह भविश्बकता बाटले बला जाई रहे आंय पूरा होओं; 18 ये मर सेवक आय जाके मैं बाचली आची; मर प्रिय,जाहार ले मोर मन अरिक आचे; मैं अपनार आत्मा की हांतार उपरे देंउ आय, आवरी हांय बी जाती मनर निआवर समाचार देयसी | 19 हांय ना जागड़ा करसी आवरी ना कोलार होयासी, आवरी ना बजार ने कोनी हांतार सबद के सुन्बाय | 20 आय रमदलार सरकंडा के ना टूटायसी, आवरी कुंहरा उट्बार बती के ना लिबाये जड़ दायले हांय निआव ले बरसक ना कराये | 21 आवरी दूसरा जाती मन हातार नाव ने आसा सोंगाऊ आत |” 22 तेबे लोक गोटक काना- कोंदा के जाहार ताने बुत आत्मा रहे, आंतार लगे आंलाय आवरी हांय ताके अच्छा करला, आवरी हांय बलके आवरी दकके सकला | 23 एतार ले सबू लोक चकित होई करी बलके मुराय लाय, “ ये काय दाऊरबेटा|” 24 मातर फरीसी मन ये सुनी करी बललाय, “ ये तो बुत आत्मार सरदार बाल जबुलर सायतार बिनार बुत आत्मा के ना निकराये |” 25 हांय तिकर मनर गोट के जानी करी तिके बल्ला, “जोन कोनी राज ने पूट औउ आय,आंय उजड़ी जाऊ आय; आवरी कोनी नगर नोयले कुटुम ने जोन ताने पुट ओऊ आय बनी ना रहे | 26 आवरी अगर जसन सैतान ची सैतान के निकरायेल तो हांय अपनार ची विरुदी होयला, आवरी हान्तार राज कसन बनी रऊ आय? 27 सीदा आवरी मैं सैतानर साहयता ले बुत आत्मा के निकराऊ हाय तो तमर बस कांहार साहयता ले निकराऊ आत? ये काजे आंयची तमर निआव करू आय 28 अगर मैं महा परभूर आत्मार साहयता ले बुत आत्मा के निकराऊ आंय, तो महा परभुर राज तमर लगे आयला आचे | 29 कसन कोनी माने कोनी बल बितार घरे होलि करी आंतार धन के जीकी नेयके सके जेबे तक की आगे हांय बल बिता के ना बांदे? तेबे हांय हातार घर के जीकी नेयसी | 30 जोन मर संगे निआत आंय मर विरुद ने आचे,आवरी जोन मर संगे ना सकले हांय विकरू आय | 31 एइकाजे मैं तमके बलबी आची की मानेर सबू परकारर पाप आवरी निंदा चमा करा जायसी,मातर पवित्र आत्मार निंदा ना चमा करा जाए| 32 जोन कोनी मानेर बेटा विरुद ने कोनी गोट बलाले, हातार ये अपराद चमा करा जायसी, मातार जोन कोनी पवित्र आत्मार विरुद ने काई बलले, हान्तार अपराद ना तो ये लोक ने आवरी परलोक ने चमा करा जायसी | 33 अगर गच के निकमा बलले, तो हातार फल बले निकमा बला; कसन की गच अपनार फल ली चिताय जाऊ आय | 34 ये सापर पिला मन,तमी अडरा होई करी कसन अच्छा गोट के बलके सकू आस? कसन की जोन मन ने भरला आचे, आई मुं ने आसू आय | 35 सीदा मानेर मन ले सीदा भंडार ले सीदा गोट, आवरी अडरा मानेर अडरा भंडार ले अडरा निकरु आय | 36 आवरी मैं तमके बलबी आची की अडरा गोट माने बलबाय निआवर दिने हांय मन सबू आंय गोटर लेका देबाय | 37 कसन की तुई अपनार गोटर लागी निरदोस, आवरी गोटर ची लागी दोसी तेबाय बाय |” 38 ये ताने कोनी शास्त्री मन आवरी फरीसी मन हांके बबलाय, “ये गुरु,हामी तोरले गोटक चिना दकबा काजे होयबू आचे | 39 हांय तिकी उतर देला, “ये जुगर अडरा आवरी भेविचरी लोक चिना डग्राऊ आत, मातर यहुना भविश्बकतार चिना के छाडी कोनी आवरी चीन तिके ना देयत | 40 यहूना तीन राती दिने पानी ने - जन्तुर पेट ने रला, असनि ची मानेर बेटा तिन राती दिने दरतनि बितरे रहेसी | 41 निन्वेर लोक निआवर दिने ये जुगर लोक साव्गे उठी करी तिके दोसी टेबाय बाय, कसन की हांय मन यहुनार परचार सुनी करी मन बाहाड़ायलाय; आवरी दका, एताने आंय आय जोन यहूना ले बले बड़े आय | 42 दकचिनर रानी निआवर दिने ये जुगर लोक संगे उठी करी तिके दोसी टेबायसी,कसन हांय सुलेमानर ज्ञान सुनबा काजे धरतनीर कटा ले आयला; आवरी दका,हांय ये आय जोन सुलेमान ले पने बड़े आय | 43 ”जड़ दाय बुत आत्मा माने मन ले निकरी जाऊ आय, तेबे सुकला जगा ने बिसायबा काजे डगराऊ आय;आवरी पाऊ नुआय | 44 तेबे बलु आय, “मैं मोर हाँइ घरे जोन ताने ले निकरी रली, बाहाड़ी जीबी |” आवरी बाहाड़ी करी हांके मेला, बाड़ा- होंडा आवरी सजायलार पाऊ आय | 45 तेबे हांय जाई करी अपना असंगे आवरी अडरा सात आत्मा मन के अपनार संगे दरी आसू आय, आवरी हांय हाय ताने बसी करी हांय रउ आय, आवरी मानेर आगर दसा आगले बाले अडरा होई जाऊ आय | ये जुगर अडरा लोकर दसा बले असनि ची होयसी | 46 जड़ दाय हांय बिड संगे गोटायते रहे, तेबे हांतार आया आवरी भाई बाहरे टिया रहेत आवरी हांके गोटयबा काजे होयते रहेत | 47 कोनी हांके सांगलाय, “दक,तोर आया आवरी तोर भाई बाहरे टिया आचेत आवरी तोके गोटायबा काजे होयबा आत |” 48 ये सुनी करी ताके सांगबा लोक के उतर देला, “कोन आय मोर आया?आवरी कोन आय मोर भाई?” 49 आवरी चेला मन बाटे अपना हाथ लोमाय करी बल्ला, “ दका मोर आया आवरी मोर भाई ये आत | 50 कसन की जोन कोनी मोर सारगर बाबा हिचा ने चलू आत, हांयी मोर भाई आवरी बहिन, आवरी मोर आया आय |”