ईसू मरल में ले जी उठीस
24
1 हपता कर पहिलो दिन भिनसरहे,
सवांगीन मन ओ गमकेदार तेल ला जेला ओमन बनाए रहीन,
ओला लेके मठ में गईन।
2 ओमन पखना ला मठ कर दुरा ले ढलगल देखीन,
3 बकिन जे घनी ओमन भीतरी ढूकीन त परभू ईसू कर लास ला उहां नई पाईन।
4 अऊ ओमन ए सब बात ला देख के अकबकाए गए रहीन,
त दुई गोट मईनसे मन चमकत ओढ़ना ला पहिर के,
ओमन कर ठांवें हबकले आए के ठड़होए गईन।
5 अऊ सवांगीन मन ढेरेच डराए गईन अऊ खंपाए के भुईं में गिर गईन तेकर फेर ओ मईनसे मन,
ओमन ला कहीन,
“तुमन जीयत ला मरल मन में काबर खोजथा?
6 ओहर एजग नईए बकिन जी उठीस हे। सुरता करा कि जे घनी ओहर गलील जिला में तुमन कर संगे रहीस त का कहे रहीस,
7 ओहर कहे रहीस कि मईनसे कर बेटा ला पापी मन कर हांथ में जरूर सोंपल जाही अऊ कुरूस में चघाए के माएर मरुवाहीं अऊ तीसर दिन में जी उठही।”
8 तेकर ओ सवांगीन मन,
ईसू कर गोएठ कर सुरता करीन।
9 फेर ओमन,
मरघेटिया ले फिर के ए सब गोएठ ला ओ गियारहो चेला मन ला अऊ दूसर सब झन ला बताईन।
10 ए सवांगीन मन कर नांव मरियम,
जेहर मगदलीनी गांव कर रहीस अऊ ओना अऊ आकूब कर दाई मरियम रहीस। अऊ ओमन कर संगे अऊ दूसर सवांघीनो मन रहीन ओमन आए के ए सब गोएठ ला खास चेला मन ला बताईन।
11 बकिन ओमन कर ए गोएठ हर चेला मन ला कहनी कस लागीस अऊ ओमन सवांगीन मन कर गोएठ में बिसवास नई करीन।
12 तेकर पतरस हर उईठ के मरघेटिया कती कुदत गईस अऊ नीहूर के भीतरी ला देखीस,
त ओके सिरीप मलमल कर कफन हर दिखीस,
अऊ जे जाएत होए रहीस ओला देखके अचमहों करत,
अपन घरे चईल देहिस।
इमाऊस कर डगर में ईसू परगट होथे
13 ओहीच दिन ईसू कर चेला मन ले दुई झन इमाऊस नांव कर गांव में जात रहीन,
जेहर एरुसलेम ले अंदाजी गियारह किलोमीटर दुरीहां में रहीस।
14 ओमन ए सब बात,
जेहर होए रहीस,
अपने-अपन में गोठियात एरुसलेम सहर कती जात रहीन;
15 जे घनी ओमन आपस में गोठियात अऊ सोंच-बिचार करत जात रहीन,
ते घनी ईसू हर खुद आए के ओमन कर संगे संगे रेंगे लागीस।
16 बकिन परमेसवर ओमन के ईसू ला चिनहे नई देहीस।
17 ईसू हर ओमन ला पूछीस,
“तुमन रेंगत-रेंगत का गोठियात जात हा?”
ओमन मनटूठा होए के ठड़होए गईन।
18 एला सुईन के ओमन में ले कीलोपास नांव कर मईनसे हर ओके ला जबाब देहीस,
“का तंए एरुसलेम में एके झन परदेसी हस,
जेहर नई जानस कि ए दिन में उहां का-का होईसे?”
19 ईसू हर ओमन ला पूछीस,
“का बात होईसे?”
ओमन ईसू जग कहीन,
“नासरत गांव कर ईसू हर परमेसवर अऊ सब मईनसे मन कर देख में एगोट अगमजानी रहीस। जेहर चमतकार करत रहीस अऊ ओकर उपदेस में सामरथ रहीस।
20 अऊ ओके मुख आजक अऊ हमर अधिकारी मन,
धरूवाईन अऊ माएर मरुवाए कर सजा देहे बर सोंएप देहीन अऊ ओमन ईसू ला कुरूस में चघाए देहीन।
21 बकिन हमन के असरा रहीस कि एहीच हर इसराईली मन ला छोंड़ाहीं अऊ फूरोंच ए सब बात ला होए ले आएज तीसर दिन हवे;
22 अऊ हमर संग कर तनीक सवांगीनो मन,
हमके अचमहों में डाएल देहीन हें,
जेमन आएज बड़े बिहाने मरघेटिया में गए रहीन,
23 अऊ ओमन ईसू कर लास ला ओजग नई पाईन,
तेकर ओमन ए कहत आईन कि हमन सरगदूत मन ला देखेन अऊ ओमन कहत रहीन कि ओहर जीयत हे।
24 तेकर हमर संगता मन में ले थोरहें झन मन ओ मरघेटिया में गईन अऊ जेकस सवांगीन मन कहे रहीन,
ओही कस ओजग पाईन,
बकिन ओके ला नई देखीन।”
25 तेकर ईसू हर ओमन ला कहीस,
“ए बोया मन,
तुमन अगमजानी मन कर सब बात में बिसवास करे बर काबर अबेर करथा?
26 का ए जरूरी नई रहीस,
कि मसीह ए दुख ला भोएग के महिमा में ढूके?”
27 तेकर ओहर मूसा अऊ सब अगमजानी मन ले सुरू कएर के अऊ परमेसवर कर किताब में ले,
अपन बारे में लिखल बात कर मतलब ओमन के समझाए देहीस।
28 जे घनी ओमन इमाऊस गांव कर ठांवें पहुंचीन,
जिहां ला ओमन जात रहीन,
ते घनी ईसू हर एकस देखाईस कि ओमन ले आगु बड़हे बर हवे।
29 बकिन ओमन ढेरेच बिनती कएर के ओके ला रोकीन,
“तंए हमर संगे रुईक जा,
काबरकि अंधार होए जात हे अऊ बेर बूईड़ जाथे।” तेकर ईसू हर ओमन कर संगे रहे बर घर कर भीतरी गईस।
30 जे घनी ईसू हर ओमन कर संगे खाए बर बईठीस त ओहर रोटी ला धईर के धनबाद करीस अऊ ओला टोएर के ओमन के देहे लागीस।
31 तेकर ओहीच घनी,
ओमन कर आंएख हर उघेर गईस अऊ ओमन ईसू ला चिन गईन,
बकिन ओमन कर देखत ओहर छपरीत होए गईस।
32 ओमन एक-दूसर जग कहत रहीन,
“जे घनी ओहर हमर संगे डगर में गोठियात रहीस अऊ परमेसवर कर किताब कर मतलब ला हमके समझात रहीस,
त हमर मन हर उतसुक नई होईस का?”
33 ओमन ओहीच जुआर उईठ के एरुसलेम सहर में फिर गईन अऊ गियारहो चेला अऊ ओमन कर संगता मन ला एक जग जूटल पाईन।
34 ओमन कहत रहीन,
“परभू हर फूरोंच मरल में ले जी उठीस हे,
अऊ समोन जग परगट होईस हे।”
35 तेकर ओ दुई झेमन डगर में जे बात होए रहीस ओला ओमन के बताए देहींन अऊ एहू ला बताईन,
कि ओमन कईसे ईसू ला चिनहींन जे घनी ओहर रोटी टोरत रहीस।
ईसू हर चेला मन जग परगट होथे
36 जे घनी ओमन ए बात ला बतात रहीन,
ओहीच घनी ईसू हर आए के ओमन कर मंझार में ठड़होए गईस अऊ कहीस,
“तुमन ला सांती मिले।”
37 बकिन ओमन घबराए गईन अऊ डराए गईन अऊ सोंचीन कि हमन कोनो भूत ला देखत हन।
38 ईसू हर ओमन ला कहीस,
“काबर घबरावत हा?
अऊ तुमन अपन मन में संका काबर करत हा?
39 मोर हांथ अऊ मोर गोड़ ला देखा कि मंहीच लागों। मोके छुई के देखा,
काबरकि भूत कर हाड़ा अऊ मांस नई रहे,
जेकस तुमन मोर में देखत हा।”
40 (ए कही के ईसू हर ओमन के,
अपन हांथ अऊ गोड़ ला देखाईस।)
41 ओमन के ढेरेच खुसी कर मारे,
बिसवास नई होवत रहीस,
अऊ ओमन अचरज करे लागीन,
त ईसू हर ओमन जग पूछीस,
“का तुमन जग कांही खाए बर हवे?”
42 ओमन ईसू ला भूंजल मछरी कर टुटका ला देहींन।
43 ईसू हर झोंएक के ओला ओमन कर आगु में खाईस।
44 फेर ईसू हर ओमन ला कहीस,
“जेकस मंए तुमन कर संगे रहत घनी कहे रहें कि मोर बारे में मूसा कर कानहूंन अऊ अगमजानी मन कर किताब अऊ भजन संहीता में लिखल हे,
ओ सब बात हर जरूर पूरा होही।”
45 तेकर ईसू हर परमेसवर कर किताब ला समझे बर,
ओमन कर बुधी ला खोएल देहीस,
46 ईसू हर ओमन ला कहीस,
“परमेसवर कर किताब में एकस लिखल हे कि मसीह हर दुख भोगही अऊ मरल में ले तीसर दिन जी उठही।
47 पाप ला छोंएड़ के परमेसवर कती आही,
त पाप कर छमा पाही एकर परचार ओकर नांव कर अधिकार में एरुसलेम ले लेके सब जाति में करल जाही।
48 तुमन ए सब बात कर गवाह हवा।
49 अऊ सुना,
जेकर जबान मोर दाऊ हर करीस हवे,
मंए ओला तुमन बर भेजहूं;
बकिन जबले तुमन सरग ले सकती नई पईहा,
तब ले तुमन,
एरुसलेम सहर में रुके रईहा।”
ईसू हर सरग जाथे
(मरकुस 16:19-20; खास चेला 1:9-11)
50 तेकर ईसू हर ओमन ला बएतनियाह गांव कती ले गईस अऊ अपन हांथ ला उठाए के ओमन ला आसीस देहीस।
51 जे घनी ईसू हर ओमन ला आसीस देहत रहीस,
ओही घनी ओमन जग ले अलगे होए गईस अऊ परमेसवर ओके ला सरग में उठाए लेहीस।
52 तेही घनी ओमन ईसू कर अराधना कएर के,
अऊ ढेरेच खुस होए के एरुसलेम में फिर गईन;
53 अऊ ओमन हमेसा परमेसवर कर मंदिर में रहिके परमेसवर कर अराधना करे लागीन।