बिगर निरास होए के हमेसा पराथना करा
18
1 बिगर निरास होए के हमेसा पराथना करे बर,
ईसू हर अपन चेला मन जग ए अहना ला कहीस,
2 “कोनो सहर में एगोट नियायधीस रहत रहीस,
जेहर परमेसवर ला नई डरावत रहीस,
अऊ कोनो के नई गदानत रहीस।
3 ओहीच सहर में एगोट अदावेंन रहत रहीस,
जेहर घरी-घरी आए के ओकर जग कहत रहीस,
मोर ऊपर होवल अनीयाओ कर पलटा में मोके नियाओ चाही।
4 तनीक घनी ले तो,
ओहर अदावेंन कर बात ला नई सुनीस,
तेकर फेर ओहर अपन मन में सोंचीस,
कि मंए तो परमेसवर ला नई डराओं,
अऊ कोनो मईनसे मन कर परवाह नई करों,
5 तबो ले ए सवांगीन हर मोके बऊराहा बनाथे। एकरले मंए ओकर बात में धियान देहूं कि,
ओके ला नियाओ मिले,
काबरकि ओहर घरी-घरी बिनती कएर के मोके ला ढेरेच परेसान करथे।”
6 तेकर परभू हर कहीस,
“सुना,
ए कसरीहा नियायधीस ले कांही सीखा।
7 पाछू ओहू हर,
सही नियाओ करीस;
एकस हवे त परमेसवर हर,
अपन चुनल मन कर,
जेमन राएत दिन ओके चीकरत रथें,
ओमन कर नियाओ जरूर करही,
अऊ ओमन कर मदेत करे में अबेर नई करहीं।
8 मंए तुमन ला फूरोंच कहथों,
परमेसवर झटेच के ओमन कर नियाओ करही। तबो ले मंए मईनसे कर बेटा जब आहूं,
त का धरती में बिसवास ला पाहूं?”
फरीसी अऊ लगान लेवोईया कर अहना
9 फेर ईसू हर,
जेमन अपने-आप ला परमेसवर कर देख में,
सुघर जिनगी जीवईया समझत रहीन,
अऊ दूसर झन ला अनभनिया जानत रहीन,
ओमन बर ए अहना ला कहीस,
10 “एक दिन दुई गोट मईनसे मन,
परमेसवर कर मंदिर में पराथना करे बर गईन,
एगोट फरीसी मईनसे रहीस,
अऊ दूसर हर लगान लेवईया रहीस।
11 फरीसी हर ठड़होए के,
अपन मन में ए पराथना करत रहीस,
‘ए परमेसवर,
मंए तोर धनबाद करथों कि मंए आने मईनसे मन कस ठगलबरा,
पाप करोईया,
बेभिचार करोईया नई हों,
अऊ मंए ए लगान लेवईयोच कस नई हों।
12 मंए हपता में दुई दाएर उपास रथों,
मंए अपन सबेच कमाई कर दसवां हिसा ला तोके देथों।’
13 बकिन लगान लेवईया हर दुरीहां ठड़होए रहीस,
अऊ आंएख ला उठाए के,
सरग कती ला देखोच कर हिमेत नई करीस,
बकिन ओहर अपन छाती ला पीट-पीट के कहीस,
कि ‘ए परमेसवर,
मंए पापी हों,
मोर ऊपर दया कर।’
14 मंए तुमन जग कहत हों,
कि एही पापी मईनसे कर ऊपरे परमेसवर हर फुरमा होईस,
अऊ ओहर अपन घरे गईस। बकिन ओ फरीसी कर संगे एकस नई होईस,
काबरकि जेहर अपने-आप ला बड़खा समझही,
ओहर छोटे करल जाही,
अऊ जे अपने-आप ला छोटे समझही,
ओहर बड़खा करल जाही।”
ईसू हर लईका मन ला आसीस देथे
15 फेर मईनसे मन अपन-अपन लईका मन ला,
ईसू जग लाने लागीन,
कि ओहर ओमन कर ऊपरे हांथ मढ़ाए के आसीस दे,
बकिन जब चेला मन देखीन,
त ओमन ला दबकाए लागीन।
16 ईसू हर लईका मन ला ठांवें बलाए के कहीस,
“लईका मन ला मोर जग आए देआ,
अऊ ओमन ला झईन रोका,
काबरकि परमेसवर कर राएज हर अईसने मन कर हवे। a
17 मंए तुमन ला फूरोंच कहथों कि जे कोनो हर परमेसवर कर राएज ला,
लईका कस नई अपनाहीं,
त ओहर कभोंच ओमे ढूके नई पाही।”
अमर जिनगी पाए कर उपदेस
18 फेर कोनो एहूदी नेता हर ईसू जग पूछीस,
“ए सबले बढ़िहां गुरू,
अमर जिनगी ला पाए बर,
मंए का करों?”
19 त ईसू हर ओकर जग कहीस,
“तंए मोके सबले बढ़िहां काबर कथस?
सिरीप परमेसवर कर छोंएड़ अऊ कोनो सबले बढ़िहां नईए।
20 तंए परमेसवर कर ए अगींया मन ला तो जानथस,
'बेभिचार झईन करीहा,
ककरो जान झईन लेईहा,
चोरी झईन करीहा,
झूठा गवाही झईन देईहा,
अऊ अपन दाई-दाऊ मन कर माएन-मरजाद करीहा'।”
21 ओहर एला सुईन के कहीस,
“ए सबेच ला तो,
मंए अपन लरीक पन ले मानत आथों।”
22 तब ईसू हर कहीस,
“अझरो ले तोर में एगोट बात कर कमी हवे,
तंए अपन सबेच जाएत ला बेंच दे,
अऊ गरीब मन में बांएट दे,
अऊ आए के मोर पाछू होए ले,
त तोके सरग में धन मिलही।”
23 ओ नेता हर एला सुनीस,
त ओकर जीव हर ढेरेच छोटे होए गईस,
काबरकि ओहर ढेरेच धनी रहीस।
24 ईसू हर ओके ला देख के कहीस,
“धनी मन ला परमेसवर कर राएज में जाए बर,
केतना कठिन हवे।
25 एगोट ऊंट ला सूजी कर बेधा में ढूके बर कठिन हे,
ओकरो ले ढेरेच कठिन हे,
धनी मन ला सरग राएज में जाए बर।”
26 जेतना झेमन ए बात ला सुनीन,
ओमन ईसू जग पूछीन,
“त कोन उदधार पाए सकथे?”
27 ईसू हर जबाब देहीस,
“कि जे बात हर मईनसे मन ले नई होए सके,
ओहर परमेसवर ले होए सकथे।”
28 पतरस हर कहीस,
“सुन,
हमरे तो,
तोर पाछू होए लेहे बर अपन सब जाएत ला छोंएड़ देहे हन।”
29 तेकर ईसू हर कहीस,
“मंए तुमन ला फूरोंच कहथों,
कि जेमन अपन घर,
परानी,
अऊ दाई-दाऊ,
अऊ अपन भाई बहिन,
अऊ लईका-छऊआ मन ला,
परमेसवर कर राएज बर छोंएड़ देहीन हवें,
30 ओमन ए जिनगी में ढेरेच बगरा आसीस पाहीं,
अऊ अवईया जुग में अमर जिनगीयोच ला पाहीं।”
ईसू अपन मऊत कर अगमबानी करथे
31 तेकर ईसू हर बारह खास चेला मन ला,
एक धरी ले जाए के कहीस,
“सुना,
हमन एरुसलेम सहर में जाथन,
अऊ जेतना बात मंए मईनसे कर बेटा मोर बारे में,
जूनहा अगमजानी मन लिखीन हवें,
ओ सबेच हर पूरा होही।
32 काबरकि मोके,
गएर एहूदी मन कर हांथ में सोंएप देहीं,
अऊ ओमन मोर हंसी उड़ाहीं,
अऊ मोर निंदा करहीं,
अऊ मोर उपरे थूंकहीं।
33 अऊ ओमन मोके कोड़ा मारहीं,
अऊ मोके ला मरुवाए देहीं,
बकिन तीसर दिन में मंए जी उठहूं।”
34 बकिन ओ खास चेला मन,
ए कोनोच बात ला नई समझीन,
अऊ ए गोएठ कर मतलब हर ओमन ले लूकाल रहीस,
अऊ जे गोएठ हर कहल गए रहीस,
ओहर ओमन कर समझ में नई आईस।
अंधा भीखारी ला ईसू आंएख देथे
35 जे घनी ईसू हर,
एरिहो सहर कर लिघे पहुंचीस,
त उहां एगोट अंधा मईनसे हर सड़क कर धरी में,
बईठ के भीख मांगत रहीस।
36 ओ अंधा हर भीड़ कर रेंगे कर अवाज ला सुईन के पूछीस,
“ए का होवथे?”
37 ओमन ओके बताईन,
“नासरत गांव कर ईसू ए डगर ले जाथे।”
38 तेकर अंधा हर कीरलाए के कहीस,
“ए ईसू,
दाऊद कर संतान,
मोर ऊपरे दया कएर दे।”
39 जेमन आगु-आगु जात रहीन,
ओमन ओके दबकाए लागीन,
कि तंए कले रह,
बकिन ओ अंधा हर अऊर जोर ले कीरलाए के कहीस,
“ए दाऊद कर संतान,
मोर ऊपरे दया कर दे।”
40 तेकर ईसू हर ठड़होए गईस,
अऊ ओ अंधा ला,
अपन जग लाने बर अगींया देहीस,
अऊ जब ओहर लिघे आईस,
त ईसू हर ओके ला पूछीस,
41 “मंए तोर बर का करों?”
ओहर कहीस,
“ए परभू,
मंए देखे बर करथों।”
42 ईसू हर ओकर जग कहीस,
“तंए देखे लाग,
तोर बिसवास हर तोके चंगा करीस हे।”
43 तेहीच घनी ओहर झटेच के देखे लागीस,
अऊ परमेसवर कर बड़ाई करत-करत ईसू कर पाछू होए गईस,
अऊ सबेच मईनसे मन भी ओके देख के,
परमेसवर कर बड़ाई करीन।