भुलावल भेंड़ कर अहना
15
1 एक दाएर सबेच लगान लेवईया मन अऊ दूसर पापी मन,
ईसू कर गोएठ ला सुने बर,
ओकर जग आवत रहीन।
2 त फरीसी मन,
अऊ एहूदी कानहूंन कर सीखोईया मन कुड़कूड़ाए के कहे लागीन,
“ए मईनसे हर तो पापी मन कर सवागत करथे,
अऊ ओमन कर संगे खाबो-पीबो करथे।”
3 तेकर ईसू हर ओमन जग ए अहना ला कहीस,
4 “माएन लेआ,
तुमन में ले ककरो जग सवो ठे भेंड़ हवे,
अऊ ओमे ले एक ठन हर भुलाए जाही,
त ओहर का करही?
त का ओहर निनानबे भेंड़ मन ला,
डांड़ में छोंएड़ के,
ओ भुलावल भेंड़ ला तब ले खोजत ना रही,
जब ले पाए नई जाही?
5 अऊ जब ओ भेंड़ हर भेंटाए जाथे,
त ओहर ढेरेच खुस होए के,
ओला अपन खांध में उठाए लेथे।
6 तेकर ओहर घरे जाए के अपन संगता मन ला,
अऊ परोसी मन ला एक जग जूटाए के कथे,
‘मोर संगे खुसी मनावा,
काबरकि मोर भुलाल भेंड़ हर भेंटाए गईसे।’
7 मंए तुमन ला फूरोंच कहथों,
कि एही कस अपन पाप ला छोंएड़ के परमेसवर कती अवईया एगोट पापी कर बारे में,
सरग में एतनेच आनंद होही,
जेतना कि निनानबे अईसन धरमी मईनसे मन बर नई होए,
जेमन सोंचथें कि अपन पाप ला छोंएड़ के परमेसवर कती आए कर जरूरत नईएa।”
भुलावल सीका कर अहना
8 “माएन लेआ कि,
कोनो एक ठे सवांगीन हर,
जेकर जग दस ठे चांदी bकर सीका हवे,
अऊ एगोट सीका हर भुलाए जाथे,
त ओहर ढेबरी बाएर के,
घर ला बहाएर बहाएर के,
मन लगाए के खोजथे,
जब ले सीका हर भेंटाए नई जाए।
9 अऊ जे घनी ओके सीका हर भेंटाए जाथे,
ते घनी ओहर खुसी कर मारे अपन सहेली,
अऊ परोसी मन ला जूटाए के कथे,
‘मोर संगे खुसी मनावा,
काबरकि मोर भुलाल सीका हर भेंटाए गईस हे।’
10 मंए तुमन ला फूरोंच कहथों,
कि एही कस एगोट पापी,
जेहर मन फिराही,
त ओकर बर सरग दूत मन,
ढेरेच खुसी मनाहीं।”
भुलाल बेटा कर अहना
11 फेर ईसू ओमन ला कहीस,
“एगोट मईनसे कर दुई गोट बेटा रहीस,
12 ओमे ले छोटे बेटा हर अपन दाऊ जग कहीस,
ए दाऊ,
धन-संपती में ले मोर बांटा ला मोके दे दे। फेर ओकर दाऊ हर,
अपन दुनो बेटा में संपती ला बांएट देहीस।
13 तनीक दिन कर पाछू ओकर छोटे बेटा हर,
अपन सब जाएत ला जूटाए के,
दुरीहां कोनो दूसर देस में चएल देहीस,
जिहां ला ओहर बुरा काम कएर के,
अपन धन-संपती ला सीरवाए दारीस।
14 जे घनी ओ अपन सबेच जाएत ला सीरवाए दारीस,
त ओ देस में ढेरेच अकाल परीस,
अऊ ओहर गरीब होए गईस।
15 एकरे ले ओहर,
ओ देस कर कोनो मईनसे कर घरे गईस,
अऊ ओ मईनसे हर ओके ला अपन खेत में बरहा चराए बर भेजीस।
16 अऊ ओहर एतना भूखे होए लागीस,
कि जेला बरहा मन खात रहीन,
ओला खाए बर करत रहीस,
अऊ कोनो हर ओके कांहीच नई देहत रहीस।
17 जे घनी ओहर अपन होस में आईस त अपन मन में सोंचे लागीस,
कि मोर दाऊ कर सबेच बनी-भूती करोईया मन जग जरूरत ले अगराहा खाए बर हवे,
बकिन मंए एजग भूखे मरत हों।
18 मंए अब एजग ले अपन दाऊ जग जाहूं,
अऊ ओकर जग कहूं,
ए दाऊ,
मंए परमेसवर कर बिरोध में,
अऊ तोर बिरोध में पाप करे हों।
19 अब मंए तोर बेटा कहाए कर लाईक नई हों,
तंए मोके अपन बनिहार समेझ के राएख ले।”
20 तेकर ओहर उईठ के अपन दाऊ जग गईस,
जे घनी ओहर दुरीहेंच रहीस,
ते घनी ओकर दाऊ हर ओके ला देख के सोगे होईस,
अऊ कुईद के ओके पोटाएर लेहीस,
अऊ चुमहीस।
21 त बेटा हर ओके ला कहीस,
“ए दाऊ,
मंए परमेसवर कर बिरोध में अऊ तोर बिरोध में पाप करे हों,
अऊ अब मंए तोर बेटा कहाए कर लाईक नई हों।”
22 बकिन ओकर दाऊ हर अपन दास मन ला कहीस,
“झटेच के बढ़िहां ले बढ़िहां ओढ़ना ला ले लाना,
अऊ एके ला पहिरावा अऊ ओकर अंगठी में मूंदी अऊ गोड़ में पनही ला पहिरावा,
23 अऊ रोंट बोकरा ला लाएन के मारा,
कि हमन खाई अऊ खुसी मनाई।”
24 काबरकि ए मोर बेटा हर मएर गए रहीस,
फेर अब जी गईस हवे,
एहर भुलाए गए रहीस,
बकिन अब भेंटाए गईस हवे। एकरले ओमन खुसी मनाए लागीन।
25 बकिन ओकर बड़खा बेटा हर खेत में रहीस,
जे घनी ओहर घर कर ठांवें पहुंचीस,
ते घनी ओहर बाजा बजावत अऊ नाचत सुनीस।
26 ओहर अपन एगोट सेवक ला बलाए के पूछीस,
“एजग का होवथे?”
27 सेवक हर ओकर जग कहीस,
“तोर भाई हर फिर के आईस हे,
अऊ तोर दाऊ हर एगोट रोंट बोकरा ला पुजवाईस हे,
काबरकि तोर भाई ला सूघरे-सूघर पाईस।”
28 बकिन बड़खा बेटा हर गुसा कर मारे भीतरी ढूके बर नई करीस,
तेकर ओकर दाऊ हर बाहरी आए के,
ओके ला समझाए लागीस।
29 बकिन ओहर अपन दाऊ जग कहीस,
“सुन दाऊ,
मंए एतेक बछर ले तोर सेवा करत हों,
अऊ कभोंच तोर बात ला नई काटें,
तबो ले तंए मोके कभों एकोठे छेरी कर छउवोच ला नई देहे हस,
कि मंए अपन संगता मन कर संगे खुसी मनातें।
30 बकिन जब तोर ए बेटा हर आईस,
जेहर तोर धन संपती ला वेसया मन में सीरवाए दारीस हवे,
त तंए ओकर बर रोंट बोकरा ला मरुवाए।”
31 ओकर दाऊ हर ओकर जग कहीस,
“ए बेटा,
तंए तो सबेच घनी मोर संगे हवस,
अऊ जे जाएत हर मोर लागे,
ओ सबेच हर तोरोच तो लागे।
32 बकिन अझेर हमके खुसी अऊ आनंद मनाए बर चाही,
काबरकि तोर भाई हर मएर गए रहीस,
बकिन अझेर जीयत हवे,
एहर भुलाए गए रहीस,
बकिन अब भेंटाए गईस हवे।”