फरीसी मन ले सवाचेती रईहा
12
1 फेर जे घनी हजारो मईनसे मन कर भीड़ जुईट गईस,
अऊ मईनसे मन एक दूसर ले इचटावत रहीन,
ते घनी ईसू हर सबले आगु अपन चेला मन ला कहीस,
“फरीसी मन कर खमीर,
जेहर ओमन कर कपट लागे,
ओ कपट ले सवाचेती रईहा।”
2 ओ दिन आवत हे जे घनी सबेच बात ला परगट करल जाही;
अऊ जेहर लूकाल हे,
ओला मईनसे मन कर आगु बताल जाही।
3 एकरले,
जेला तुमन अंधार में कहेहा,
ओला इंजोर में सूनल जाही,
अऊ जेला तुमन बईंगरा कर भीतरी में ठूरू-फुसू कहेहा,
ओला छानी ऊपर ले घोंसना करल जाही।
सिरीप परमेसवर ला डरावा
4 ए मोर संगता मन,
मंए तुमन ला फूरोंच कहथों,
कि जेमन तुमन कर देंह ला,
माएर के मरुवाए देथें,
अऊ ओकर पाछू कांही नई कएर सकें,
ओमन के झईन डराईहा।
5 मंए तुमन ला चेताए के कहथों,
कि तुमन ला काकर ले डराए बर चाही,
ओही के डरावा जेके ला मारे कर पाछू नरक में डाले कर अधिकार हे। हां,
मंए तुमन जग कहथों,
सिरीप ओही के डरावा।
6 का दुई पईसा में,
पांच ठे गोरेला नई बेंचाए?
तबो ले परमेसवर,
ओमन में ले एको झन ला नई बिसरे।
7 तुमन कर मूड़ कर,
सबेच चुंदी हर गनल गईस हे,
एकरले तुमन झईन डरावा,
तुमन तो ढेरेच गोरेला मन ले भी,
परमेसवर बर किमती हवा।
ईसू कर बात मानेक परही
8 मंए तुमन ला फूरोंच कहथों,
जेमन मईनसे मन कर आगु में मोके माएन लेहीं,
त मईनसे कर बेटा परमेसवर,
कर दूत मन कर आगु में,
ओमन ला माएन लेहूं।
9 बकिन जे कोनो,
मईनसे मन कर आगु में मोके इनकार करही,
ओके परमेसवर कर दूत मन कर आगु में इनकार करल जाही।
10 जे कोनो हर,
मईनसे कर बेटा कर बिरोध में कोनो बात कहीं,
त ओकर पाप हर छमा होए जाही,
बकिन जेहर पबितर आतमा कर निंदा करही,
त ओकर पाप हर कभों छमा नई होही।
11 जे घनी मईनसे मन तुमन ला धरम सभा कर आगु में,
अऊ सासन करोईया,
अऊ अधिकारी मन कर आगु में ले जाहीं,
तब चिंता झईन करीहा,
कि हमन कोन कस अऊ का जबाब देबो,
अखीर का कहबो।
12 काबरकि पबितर आतमा हर,
ओही घनी तुमन ला सीखाए देही,
कि तुमन ला का कहे बर हवे।
एक धनी गंवार मईनसे कर अहना
13 फेर भीड़ में ले एक झन हर ईसू ला कहीस,
“ए गुरूजी,
मोर भाई ला कह,
कि दाऊ कर धन संपती ला,
मोर संगे बांएट ले।”
14 त ईसू हर ओके ला कहीस,
“ए भाई,
कोन हर मोके तुमन कर नियाओ करोईया,
अऊ संपती कर बंटोईया,
ठहराईसे?”
15 ते घनी ईसू हर ओमन ला कहीस,
“तुमन सवाचेती रहा,
अऊ सब मधे कर लालच ले,
अपने-आप ला बचाए रहा,
काबरकि ककरो जिनगी हर,
ओकर ढेरेच संपतीयो रहे ले,
नई बांचही।”
16 फेर ईसू हर,
ओमन जग एगोट अहना कहीस,
“कोनो धनी कर खेत में ढेरेच फसल होईस।
17 तेकर ओहर अपन मन में बिचार करे लागीस,
‘मंए का करों काबरकि ए फसल ला राखे बर मोर जग एतना बड़खा कोठी नईए।’
18 अऊ ओहर कहीस,
‘मंए एकस करहूं,
अपन कोठी ला टोएर के एकरले बड़खा कोठी बनाहूं,
अऊ उहां अपन सब अनाज,
अऊ धन संपती ला राखहूं।’
19 अऊ अपन मन ले कहूं,
कि,
तोर जग ढेरेच बछर बरीक,
ढेरेच संपती राखल हे सुख से रह खा-पी अऊ मजा कर।
20 बकिन परमेसवर हर ओके ला कहीस,
‘ए गंवार!
आएज राती तोर परान ला ले लेहल जाही त जे धन ला तंए जोगाए के राखे हस,
ओहर काकर होही?’
21 एहीच कस ओहूच मईनसे हर हवे,
जेहर अपन बर धन जूटाथे,
बकिन परमेसवर कर संगे ओकर बढ़िहां रिसता नईए।”
धन अऊ अधिकार कर बारे में परभू सिकछा देथे
22 फेर ईसू हर अपन चेला मन ला कहीस,
“एकरले मंए तुमन ला फूरोंच कहथों,
कि रोज दिन अपन जिनगी कर चिंता झईन करीहा,
कि हमन का खाबो अऊ का पहिरबो।
23 काबरकि भोजन ले परान,
अऊ ओढ़ना ले देंह हर बईड़ के हे,
24 कऊंआ मन ला देखा,
ओमन नई बुने अऊ नई लुएं,
अऊ ओमन कोठी में अनाज ला नई राखे,
तबो ले परमेसवर हर ओमन ला खवाथे। तुमन कर कीमत हर परमेसवर बरीक तो ओ चराईयो मन ले केतना बईड़ के हे।
25 का तुमन चिंता कएर के,
अपन जिनगी ला एको तनीक बड़हाए सकत हा?
बिलकूल नहीं।
26 एतना छोटे काम ला तुमन करे नई सका,
त अऊ बड़खा काम कर चिंता काबर करथा?”
27 “जंगल कर फूल मन ला देखा,
कि ओमन कईसे बाड़थें,
ओमन मेहनत नई करें,
अऊ ओमन ओढ़ना नई बनाएं,
तबो ले मंए तुमन ला फूरोंच कहथों,
बादसाह राजा सुलेमानोच हर अपन सबेच धन संपती रहीयो के,
ए फूल मन कस सुघर सफरे नई सकीस।
28 अगर परमेसवर एतना बढ़िहां ले ए फूल मन ला पहिराथे,
जेमन आएज हवें अऊ काएल आगी में लेसल जाहीं,
त तुमन बिसवास काबर नई करा कि परमेसवर तुंहू मन ला एकरो ले बढ़िहां पहिराही?
29 अऊ तुमन ए बात कर खोज में झईन रईहा,
कि का खाबो,
कि का पीबो,
अऊ तुमन ए बात मन कर चिंता झईन करीहा।
30 काबरकि जेमन परमेसवर ला नई जाने,
ओमन ए सब जाएत कर खोज में रथें,
बकिन तुमन कर दाऊ परमेसवर हर जानथे,
कि तुमन ला ए सब जाएत कर जरूरत हे।
31 बकिन सबले आगु,
परमेसवर कर राएज ला खोजा,
त ए सब जाएत हर तुमन ला मिलही।”
32 “ए छोटे भेंड़ मन कर झूंड,
झईन डरावा,
काबरकि तुमन कर दाऊ ला एहर बढ़िहां लागीस कि तुमन ला अपन राएज में राखही।
33 अपन धन-संपती ला बेंच के दान कएर देआ,
अऊ अपन बर अईसन पईसा कर थईला बनावा,
कि जेहर नई जूनहाए,
मने कि सरग में अईसन धन-संपती जूटावा,
जेहर नई सीराए,
अऊ जेकर ठांवें चोर नई जाए सके,
अऊ ओला दीयां नई खाए।
34 काबरकि जिहां तोर खजाना रही,
उहां तोर मन हर लगे रही।”
परभू कर दुबारा अवाई बर तियार रहा
35 परमेसवर कर काम करे बरीक कनिहां ला बाएंध के,
ढेबरी ला बाएर के,
हमेसा तियार रईहा।
36 अऊ तुमन ओ मईनसे मन कस बना,
जेमन अपन मालीक कर डगर देखत रथें,
कि ओहर बिहाओ ले कब फिर के आही,
अऊ दुरा ला कब खटखटाही,
कि ओकर बर दुरा ला हालूच के उघारी। a
37 धनय हे ओ दास मन,
जेमन ला ओकर मालीक हर आए के जागल पाथे,
मंए फूरोंच कहथों,
कि ए मालीक हर कनिहां बाएंध के ओमन कर सेवा करही,
अऊ खाए बर बईठाहीं,
अऊ ठांवें आए के परोसही।
38 अगर ओहर आधा राती,
नहीं तो भिनसरहा जुआर आही,
त ओ दास मन ला जेमन ला जागत पाही,
त ओ दास मन धनय हवें।
39 बकिन तुमन एला जाएन लेआ,
कि अगर घर कर मालीक हर जानतीस,
कि चोर कोन घनी आही,
त ओहर जागत रतीस,
अऊ अपन घर में चोरी होए नई देतीस।
40 तंहू मन हमेसा तियार रहा,
काबरकि जे घनी ला तुमन सोंचे भी नई रईहा,
ओही घनी मंए मईनसे कर बेटा आए जाहूं।
41 तेकर पतरस हर कहीस,
“ए परभू,
ए अहना ला सिरीप हमर बर कथस,
कि सब झन बर।”
42 परभू हर कहीस,
“बिसवास लाईक,
अऊ बूईधमान दास ओहर हे,
जेकर मालीक हर,
ओके ला अपन कमीया मन कर ऊपरे मुखिया ठहराए कि ओमन ला,
सही समय में खाए बर दे।
43 अगर ओ मालिक हर आए के देखथे कि,
ओकर दास हर अपन काम ला,
जिमेदारी ले करथे त ओके इनाम देही।
44 मंए तुमन ला फूरोंच कहथों,
कि मालीक हर ओ दास ला,
अपन सबेच संपती कर जिमेदारी देही।
45 बकिन अगर ओ दास हर सोंचही,
कि मोर मालीक हर आए में अबेर करत हे,
त ओहर मालीक कर आने दास-दासी मन ला मारे पीटे लागही,
अऊ खाए पीके दरूहा होए लागही।
46 तब ओ दास कर मालीक हर एक अईसना दिन में आही,
जब ओहर अपन मालीक कर डगर नई देखत रही,
अऊ ओकर आए कर समयोच ला ओहर नई जानत रही,
त मालीक हर ओ सेवक ला,
ढेरेच डंड देके जेजग बिसवास नई करोईया मन रहीं,
ओजग भेज देही।
47 ओ सेवक,
जेहर अपन मालीक कर ईछा ला जानत रहीस,
अऊ तियार नई रहीस,
अऊ अपन मालीक कर ईछा कर अनुसार काम नई करीस,
त ओहर ढेरेच मार खाही।
48 बकिन जेहर मालीक कर ईछा ला बिगर जाने मार खाए लाईक काम करही,
ओहर थोरहें मार खाही। एकरेले जेके ला ढेरेच देहल गईसे,
ओकर जग ले ढेरेच मांगल जाही अऊ जेके ढेरेच सोंपल गईसे,
ओकर जग ले अऊ ढेरेच लेहल जाही।”
ईसू कर कारन फूट होवथे
49 मंए धरती में आगी लगाए बर आए हों,
अऊ ए मोर एतना ईछा हवे,
कि अझरे ले आगी हर बरे लागतीस।
50 मोके तो एगोट बतीसमाb लेहे बर हे,
अऊ जबले ओहर पूरा नई होए जाही,
तब ले मंए ढेरेच परेसानी में हों।
51 का तुमन ए समझथा,
कि मंए धरती में मेल-मीलाप कराए बर आए हों?
मंए तुमन ला कहथों,
नही,
बलकी फूट डाले बर आए हों।
52 काबरकि अब ले परिवार कर पांच झन कर मंझार में फूट होही,
तीन झे मोर कती होहीं,
अऊ दुई झे मोर बिरोध में होहीं अऊ एहीच कस दुई झे मोर कती होहीं,
अऊ तीन झे मोर बिरोध में होहीं।
53 दाऊ हर बेटा कर संगे,
अऊ बेटा हर दाऊ कर संगे बिरोध करहीं,
दाई हर बेटी संगे,
अऊ बेटी हर दाई संगे बिरोध करही,
अऊ सास हर बहूरीया संगे,
अऊ बहूरीया हर सास कर संगे बिरोध करही।
समय कर चिनहा
54 ईसू हर भीड़ ला कहीस,
“जे घनी तुमन बदरी ला पछीम कती ले चघत देखथा,
त तुमन झटेच के कहथा,
कि पानी बरसही,
अऊ ओही कस होथे।
55 अऊ जे घनी दखिन कती ले बईहर चलत देखथा,
अऊ तुमन कहथा गरमी बड़ही अऊ ओहीच कस होथे।
56 ए कपटी,
तुमन धरती अऊ अगास कर रंग-रूप ला देख के,
जाएन जाथा कि का होही,
बकिन ए जुग में का होवथे,
तेकर भेद ला काबर नई चिनहा?”
57 “तुमन अपनेच मन में फईसला काबर नई कएर लेआ,
कि सही का हर हवे?
58 जे घनी तुमन अपन बिरोधी कर संगे,
कोट-कछेरी में हाजीर होए बर जात हस,
त डगरे में ओकर जग ले छुटे कर उपाए कएर ले,
एकस झईन होए,
कि ओहर तोके नियाओ करोईया कर आगु में घींच के ले जाए,
अऊ नियाओ करोईया हर तोके सिपाही ला दे दे,
अऊ ओ सिपाही हर तोके ला जेहल में हुरेक दे।
59 मंए तुमन ला फूरोंच कहथों,
कि जब तक तुमन एक-एक पईसा भएर नई देईहा,
तब तक उहां ले छुटे नई पईहा।”