परभू ईसू अपन सतर चेला मन ला भेजथे
10
1 एकर पाछू परभू हर,
अऊ सतरa मईनसे मन ला ठहराईस,
अऊ जे-जे सहर अऊ जघा में,
ओके जाए बर रहीस,
उहां दुई-दुई झन ला अपन ले आगु भेज देहीस।
2 ईसू हर ओमन ला कहीस,
“पाकल फसल तो ढेरेच हवें,
बकिन बनिहार थोरहें हवें,
एकरले परभू जेहर खेत कर मालीक हवे,
ओकर जग बिनती करा,
कि ओहर अपन खेत कर फसल ला,
लुए बर बनिहार ला भेज दे।
3 अझेर जावा,
सुरता राखीहा कि,
मंए तुमन ला बिगुवा मन कर मंझारे भेंड़ कस भेजत हों।
4 एकरले तुमन जाए घनी,
अपन बर पईसा कर थईला,
झोला अऊ पनही झईन धरीहा,
अऊ डगरे कोनो के झईन जोहारीहा।
5 जे कोनो घर में तुमन जईहा,
त ओ घर ला आगु ए आसीस देईहा,
कि परमेसवर कर सांती ‘ए घर में बनल रहे।’
6 अगर उहां कोनो हर आसीस पाए कर लाईक होही,
त तुमन कर देहल आसीस हर उहां बने रही,
नहीं तो तुमन जग फिर आही।
7 जे घनी कोनो सहर में पहुंचीहा त एगोट घर ले दूसर घर में झईन बूलीहा। एकेच ठन घर में रईहा,
अऊ जे जाएत खाए बर तुमन ला देहीं,
ओही ला खईहा-पीहा। काबरकि बनिहार हर,
अपन बनी पाए कर लाईक हवे।
8 जे सहर में तुमन जईहा,
अगर उहां कर मईनसे मन तुमन कर सवागत करहीं,
अऊ जे जाएत तुमन कर आगु में परोसहीं,
ओही ला खईहा।
9 उहां कर बेमरीहा मन ला चंगा करीहा,
अऊ ओमन ला कईहा,
‘परमेसवर कर राएज हर,
तुमन कर ठांवें आए पहुंचीस हे।’
10 बकिन जे सहर में तुमन जईहा,
अऊ अगर ओ सहर कर मईनसे मन,
तुमन कर माएन मरजाद नई करहीं,
त ओमन कर गली में जाए के कईहा,
11 ‘तुमन कर सहर कर धुररो हर,
जेहर हमर गोड़े लोटीसे ओला हमन तुमन कर आगु में झराए देहथी,
तबो ले एला देख के जाएन लेआ कि परमेसवर तुमन कर नियाओ करही,
अऊ परमेसवर कर राएज हर,
तुमन कर ठांवें आए पहुंचीस हे।’
12 मंए तुमन ला फूरोंच कहथों,
कि परमेसवर कर नियाओ करे कर दिन में,
दुसट सदोमb सहर कर डंड ले बगरा,
ए सहर कर डंड हर होही।”
अबिसवासी सहर कर ऊपरे हाय
13 “ए खूराजीन,
ए बेतसएदा,
कर मईनसे मन तुमन ऊपर हाय!
जे चमतकार ला मंए तुमन कर दुनो सहर में करे हों,
अगर ओहर सूर अऊ सएदा कस दुसट सहर में करल गए रतीस,
त कब ले ओमन बोरा ओढ़ के,
अऊ राख में बईठ के,
मन ला फिराए लेहे रहतीन। c
14 बकिन परमेसवर कर नियाओ करे कर दिन में,
सूर अऊ सएदा सहर कर डंड ले,
तुमन कर डंड हर ढेरेच बगरा होही।
15 अऊ ए कफरनहूम सहर,
का तंए सरग तक पहुंचबे?
नहीं,
तंए तो अथाथाह गड़होच ले तरी जाबे।
16 जे तुमन कर गोएठ ला मानथें,
ओमन मोके मानथें,
अऊ जेमन तुमन ला नकारथें,
ओमन मोके ला नकारथें,
अऊ जेमन मोके नकारथें,
ओमन मोर भेजोईया परमेसवर ला नकारथें।”
सतर चेला मन फिर के आईन
17 तेकर ओ सतर झेमन आनंद करत फिरीन,
अऊ कहे लागीन,
“ए परभू,
तोर नांव लेहे ले तो दुसटआतमा मन भी,
हमर बस में रथें।”
18 तब ईसू हर ओमन ला कहीस,
“मंए सएतान ला सरग ले,
बिजली कस गिरत देखत रहें।
19 सुना,
मंए तुमन ला,
सब सांप अऊ बिछी ला दरमेसे कर,
अऊ दुसमन कर सब सकती कर ऊपरे अधिकार देहे हों,
अऊ कोनोच जाएत ले तुमन कर नास नई होही।
20 तबो ले तुमन एकर बर खुस झईन होवा,
कि दुसटआतमा मन,
तुमन कर बस में रथें,
बकिन एकरले खुस होवा,
कि तुमन कर नांव हर सरग में लिखल हवे।”
ईसू हर दाऊ परमेसवर कर धनबाद करथे
21 ओही घनी ईसू हर,
पबितर आतमा में आनंद ले भईर गईस,
अऊ कहीस,
“ए दाऊ,
सरग अऊ धरती कर परभू,
मंए तोर धनबाद करथों,
कि तंए ए बात मन ला,
जेमन अपन आप ला गियानी अऊ समझदार समझथे ओमन ले लूकाए के राखे,
बलकी जेमन लईका सहींक हवें ओमन ऊपर परगट करे। हां,
ए दाऊ,
काबरकि एही हर तोके बढ़िहां लागीस।
22 मोर दाऊ हर मोके ला,
सब जाएत कर अधिकार देहीसे,
अऊ कोनो नई जानें कि बेटा कोन लागे,
सिरीप दाऊ जानथे,
अऊ दाऊ कोन लागे एहू ला कोनो नई जानें सिरीप बेटा हर जानथे,
अऊ जेकर ऊपरे बेटा हर दाऊ ला परगट करे बर चाहथे ओही हर जानथे।”
23 तब ईसू हर चेला मन कती फिर के एके झे में कहीस,
“जे चीज ला तुमन अझेर देखथा,
ओला देखे बर तुमन केतना धनय हवा।
24 काबरकि मंए तुमन ला कहथों कि,
ढेरेच अगमजानी अऊ राजा मन चाहीन कि ओमन ओ बात ला देखें अऊ सुनें,
जे बात ला तुमन मोके करत देखेहा अऊ मोके कहत सुनेहा,
बकिन ओमन ओ बात ला देखे नई सकीन,
अऊ सुने नई सकीन।”
दयालू सामरी कर अहना
25 एक दिन एगोट एहूदी कानहूंन सीखोईया हर,
ईसू कर परीछा लेहे बर पूछीस,
“ए गुरूजी,
अमर जिनगी पाए बर मंए का करों?”
26 ईसू हर ओके ला कहीस,
“तुमन कर धरम कर कानहूंन में का लिखल हवे?
तंए ओला कईसे समझथस?”
27 ओहर जबाब देहीस,
“तंए परभू अपन परमेसवर ला,
अपन सबेच मन,
अऊ अपन सबेच परान,
अऊ अपन सबेच बल ले,
अऊ अपन सबेच बुधी ले मया कर,
अऊ अपन परोसी जग अपनेच कस मया कर।”
28 ईसू हर ओके ला कहीस,
“तंए सही जबाब देहे,
एही कस करबे,
त तंए अमर जिनगी ला पाबे।”
29 बकिन ओहर अपने आप ला सही देखाए बर ईसू जग पूछीस,
“त मोर परोसी कोन लागे?”
30 ईसू हर एगोट कहनी बताए के ओके ला जबाब देहीस,
“एगोट मईनसे हर एरुसलेम ले एरीहो सहर जात रहीस,
तब डांकू मन ओकर ओढ़ना ला लुईट लेहीन,
अऊ माएर-पीट के दरमरहा छोंएड़ के चईल देहीन।
31 अऊ एकस होईस,
कि ओही डगर में ले एगोट एहूदी आजक हर जात रहीस,
बकिन ओ मईनसे ला ओजग देख के,
दूसर डगर में चईल देहीस।
32 एही कस एगोट लेवी मईनसे हर,
ओही जघा में आईस,
अऊ ओहूच हर,
ओ दरमरहा मईनसे ला ओजग के देख के,
दूसर डगर में चईल देहीस।
33 बकिन सामरी इलाका कर एगोट मईनसे हर ओही डगर में जात रहीस,
अऊ ओजग ओ दरमरहा मईनसे ला देखीस त ओकर ऊपर सोगे होईस। d
34 ओहर ओकर जग आए के,
ओकर घाव में तेल अऊ अंगूर कर रस ला लगाईस,
अऊ मलहन पटी बांधीस,
अऊ अपन गदहा में चघाए के धरमसाला में ले गईस,
अऊ ओकर सेवा-जतन करीस।
35 दूसर दिन सामरी हर,
दुई दिनार जेहर दुई दिन कर बनी कर बरोबर रहीस निकाएल के धरमसाला कर मालीक ला देहीस,
अऊ कहीस,
एकर सेवा-जतन करबे,
अऊ जेतना अईतकाहा तोर खरचा होए रही,
ओला मंए फिर के आहूं,
त तोके दे देहूं।”
36 तेकर ईसू हर कहीस,
“अब तोर बिचार में,
ए तीनों में ले,
कोन हर ओ डांकू मन ले मारल मईनसे कर परोसी होईस?”
37 ओ कानहूंन कर सीखोईया हर ईसू ला कहीस,
“ओही हर जेहर ओकर ऊपरे दया करीस।” ईसू हर ओके ला कहीस,
“जा,
तंहू अईसनेच कर।”
मरियम सबले बढ़िहां भाग ला चुनथे
38 जे घनी ईसू अऊ ओकर चेला मन जात रहीन,
त एगोट गांव में पहुंचीन,
जिहां मारथा नांव कर एगोट सवांगीन हर,
ईसू ला अपन घरे बलाईस।
39 मारथा कर एगोट बहिन रहीस,
जेकर नांव मरियम रहीस। ओहर ईसू कर गोड़ तरी बईठ के,
ओकर बचन ला सुनत रहीस।
40 बकिन मारथा हर,
सेवा करत-करत परेसान होए गईस। तेकर ईसू जग जाए के कहीस,
“ए परभू,
का तोके तनिकोच धियान नईए,
कि मोर बहिन हर,
सेवा सतकार कर सब बोझ ला मोर ऊपरे डाएल देहीसे?
तंए ओके ला कह कि ओहर मोर मदेत करे।”
41 परभू हर ओके जबाब देहीस,
“मारथा,
ए मारथा,
तंए ढेरेच बात कर चिंता करथस,
अऊ परेसान होए जाथस।
42 बकिन सिरीप एकेच ठन बात कर जरूरत हवे,
अऊ ओ सबले बढ़िहां भाग ला,
मरियम हर चुईन लेहीस हवे,
जेला ओकर जग ले कभों लेहल नई जाही।”