ईसू हर पहिलो चेला मन ला बलाथे
5
1 एक दिन ईसू गनेसरत दह कर धरी में ठड़होए के परचार करत रहीस,
ते घनी परमेसवर कर बचन ला सुने बर एतना बड़खा भीड़ ओजग जुईट गईन,
अऊ भीड़ कर मईनसे मन ओकर उपरे ढोंसाए जात रहीन।
2 तेकर ईसू दह कर धरी में,
दुई गोट डोंगा ला देखीस,
अऊ मछुवारा मन a डोंगा ले उतेर के,
जाल ला धोवत रहीन।
3 ईसू ओ डोंगा में ले,
एगोट डोंगा में चएघ गईस,
जेहर समोन कर रहीस,
ओहर समोन जग बिनती करीस कि ओ डोंगा ला,
धरी ले थोरोक दुरीहां पानी में ले चले,
तेकर ईसू हर डोंगा में बईठ के,
मईनसे मन ला सीखाए लागीस।
4 जे घनी ओहर सब गोएठ ला कह दारीस,
तेकर समोन ला कहीस,
“डोंगा ला गहील में ले चल,
अऊ मछरी धरे बर अपन जाल ला फेंक।”
5 समोन हर ओके जबाब देहीस,
“ए मालीक,
हमरे तो राएत भेर मेहनत करेन,
तबो ले एकोच ठे मछरी नई पाएन,
बकिन तंए कह थस,
त मंए जाल ला फेर डालहूं।”
6 जब ओमन अईसने करीन,
त ढेरेच मछरी बाएझ गईस,
अऊ ओमन कर जाल हर चीराए लागीस।
7 एकरेले ओमन अपन संगता मन ला,
जेमन दूसर डोंगा में रहीन,
ओमन के इसारा कएर के बलाईन,
कि आए के हमर मदेत करा,
अऊ ओमन आए के दुनो डोंगा में एतना मछरी भएर देहीन,
कि दुनो डोंगा हर बुड़े लागीस।
8 एला देख के समोन पतरस हर,
ईसू कर गोड़े गिर के कहीस,
“ए परभू,
मोर जग ले तंए चले जा,
काबरकि मंए पापी मईनसे हों।”b
9 एतना बगरा मछरी ला धईर के,
पतरस अऊ ओकर संगता मन अचमहों होईन,
10 अऊ ओही कस जबदी कर बेटा आकूब अऊ एहूना भी,
जेमन समोन कर सझीयारा रहीन,
ओहू मन अचमहों होए गईन। तेकर ईसू हर समोन जग कहीस,
“झईन डराओ,
अब ले तंए मईनसे मन ला मोर जग लानबे।”
11 त ओमन दह कर धरी में डोंगा ला लानीन,
फेर अपन सब जाएत ला छोंएड़ देहीन अऊ ईसू कर पाछू में ओकर चेला बईन के चले गईंन।
एक कुड़गा मईनसे ला ईसू चंगा करथे
12 जे घनी ईसू हर एगोट गांव में रहीस,
त उहां कुड़गा बेमार ले गझल,
एगोट मईनसे हर ईसू जग आईस,
अऊ ओहर ईसू ला देख के ओकर गोड़े गिरीस,
अऊ बिनती करीस,
“ए परभू,
अगर तंए चाहबे,
त मोके सुध कएर सकथस।”
13 ईसू हर हांथ लमाए के ओके छुईस अऊ कहीस,
“मंए चाहथों कि तंए सुध होए जा।” त ओकर कुड़गा बेमारी हर तुरतेंच छुईट गईस। c
14 तेकर ईसू हर ओके ला चेताईस कि,
“ए बात ला कोनो के झईन बताबे,
बकिन तंए सुध होए गए हस ओला जाए के आजक ला देखा,
अऊ मईनसे मन बर गवाही होए बर मूसा कर हुकूम कर अनुसार भेंट ला चघाओ। d”
15 बकिन ईसू कर खभेर हर अऊर फईलते गईस,
अऊ ढेरेच बगरा मईनसे मन कर भीड़ ईसू कर सुने बर,
अऊ अपन बेमारी ले चंगा होए बर जूटत रहीन।
16 बकिन ईसू सुनसान जघा में,
अलगे जाए के पराथना करत रहीस।
लकवा मारल मईनसे ला ईसू हर चंगा करथे
17 एक दिन अईसन होईस,
कि ईसू उपदेस देहत रहीस,
त फरीसी मन,
अऊ कानहूंन कर सीखोईया मन ओजग बईठे रहीन,
जेमन गलील जिला,
अऊ एहूदिया जिला कर आने-आने गांव,
अऊ एरुसलेम सहर ले आए रहीन। बेमरीहा मन ला चंगा करे बर,
परभू कर सकती हर ईसू कर संगे रहीस।
18 ओही घनी में,
तनीक मईनसे मन एगोट लकवा मारल मईनसे ला,
खाटी में डोईह के लानीन। ओमन ओके भीतरी ले जाए बर अऊ ईसू कर आगु में मड़हाए बर कोसिस करत रहीन।
19 बकिन भीड़ कर चलते,
ओके भीतरी ले जाए नई सकीन,
त ओमन छानी में चएघ के,
खपरा ला उधेन के,
खटीया घाएल मईनसे मन कर मझारे,
ईसू कर आगु में उताएर देहीन।
20 ईसू हर ओमन कर बिसवास ला देख के कहीस,
“ए भाई,
तोर पाप हर छमा होईस।”
21 तेकर कानहूंन कर सीखोईया,
अऊ फरीसी मन अपन-अपन मन में बिचार करे लागीन,
“ए कोन लागे,
जेहर अपन-आप ला परमेसवर समझ के परमेसवर कर निंदा करथे?
परमेसवर कर छोंएड़ अऊ कोन पाप ला छमा कएर सकथे?”
22 ईसू हर ओमन कर मन कर बात ला जाएन गईस,
त ओमन ला कहीस,
“तुमन अपन मने-मन में काबर सोंचथा कि एहर परमेसवर कर निंदा लागे?
23 लिखरी काहर हवे,
का ए कहे बर कि,
‘तोर पाप हर छमा होईस’ कि फेर ए कहे बर कि,
‘उठ अऊ रेंग बूल’?e
24 बकिन तुमन एला जाएन लेआ,
मईनसे कर बेटाf ला,
ए धरती में पाप छमा करे कर अधिकार हवे,”
ईसू हर ओ लकवा मारल मईनसे ला कहीस,
“मंए तोके कहथों,
उठ अऊ तोर खाटी ला डोईह के तोर घरे चईल जा।”
25 ओहर तुरतेंच ओमन कर आगु में उठीस,
अऊ जे खाटी में ओ सूते रहीस ओला उठाए के,
परमेसवर कर बड़ाई करत,
अपन घरे चएल देहीस।
26 तेकर सब झे अचमहों होए गईन,
अऊ परमेसवर कर बड़ाई करे लागीन,
अऊ डराए के कहत रहीन,
“जे बात हर कभोंच नई होए रहीस,
ओला आएज हमन देखेन।”
ईसू लेवी ला बलाथे
27 तेकर पाछू ईसू बाहरी निकलीस,
अऊ लेवी नांव कर एगोट लगान लेवईया ला,
लगान लेहे कर जघा में बईठल देखीस। ईसू हर ओके कहीस,
“मोर पाछू में चल अऊ मोर चेला बईन जाg।”
28 तब लेवी हर अपन सब जाएत ला छोंएड़ के उठीस,
अऊ ओकर पाछू में चईल देहीस।
29 तेकर लेवी हर,
ईसू कर माएन-मरजाद करे बर अपन घरे एगोट बड़खा भोज देहीस। लगान लेवईया मन अऊ आने पहुना मन कर एगोट बड़खा भीड़ ओकर संगे खाए बर बईठीन।
30 ओही घनी फरीसी मन अऊ कानहूंन कर सीखोईया मन,
ओकर चेला मन ला एकस कहिके कुड़कूड़ाए लागीन,
“तुमन लगान लेवईया,
अऊ दूसर पापी मन कर संगे काबर खाथा-पीथा?”
31 ईसू हर ओमन ला जबाब देहीस,
“सुघर अऊ बढ़िहां मन ला बईध कर जरूरत नईए,
बकिन बेमरीहा मन बर जरूरी हवे। h
32 जेमन अपन आप ला धरमी समझथें ओमन ला नहीं,
बलकी जेमन अपन आप ला पापी मानथें ओमन ला पाप ले मन फिराए बर बलाए आए हों।”
उपास कर बारे में चरचा
33 एहूदी धारमिक नेता मन ईसू ला कहीन,
“एहूना कर चेला मन सब घनी उपास,
अऊ पराथना करथें,
अऊ वईसनेच फरीसी कर चेलोच मन करथें,
बकिन तोर चेला मन तो हमेसा खाथें-पीथें।”
34 ईसू हर ओमन ला कहीस,
“का तुमन बरतीया मन ला,
जबले दुलहा बाबू ओमन कर संगे रही,
ओमन के उपास करुवाए सकथा?
35 बकिन एकस दिन आही,
जे दिन दुलहा बाबू ला ओमन जग ले अलगे करल जाही,
त ओमन ओ दिन में उपास करहीं।”
36 ईसू एगोट अहना ओमन जग कहीस,
“कोनो मईनसे हर,
नांवा ओढ़ना ला चीर के,
जूनहा ओढ़ना में नई लगाए,
काबरकि नांवा हर तो चीराबे करही,
अऊ जूनहा में मेराबो नई करही।
37 अऊ कोनो,
नांवा अंगूर कर रस ला,
जूनहा चाम कर झोला में नई भरे,
नहीं तो नांवा अंगूर कर रस हर,
ओ झोला ला चीर के बईह जाही,
अऊ ओ झोलोच हर नास होए जाही। i
38 बकिन नांवा अंगूर कर रस ला,
नांवा चाम कर झोलेच में भरेक चाही।
39 कोनो मईनसे हर,
जूनहा अंगूर कर रस ला पीके,
नांवा अंगूर कर रस ला पीए बर नई करे,
काबरकि ओहर कथे जूनहेच हर बढ़िहां हवे।”j