ईसू हर पबितर दिन कर परभू लागे
12
1 ओ घनी ईसू हर, पबितर दिन में खेत में ले होए के जात रहीस, ते घनी ओकर चेला मन ला भूख लागीस, त ओमन बाएल ला सुरेल-सुरेल के खाए लागीन। 2 त फरीसी मन ओला देख के कहिन, “देख तोर चेला मन ओ काम करथें, जेला एहूदी कानहूंन कर अनुसार पबितर दिन में करे बर मना करल गईसे।
3 त ईसू हर कहीस, “का तुमन पवितर किताब मे नई पढ़े हा, कि जब दाऊद अऊ ओकर संगता मन ला भूख लागीस, त दाऊद हर का करीस? 4 ओहर परमेसवर कर घर में गईस, अऊ ओहर अऊ ओकर संगता मन, परमेसवर बर चघाल भेंट कर रोटी ला खाईन, जेला खाए बर कानहूंन कर अनुसार ओमन के मना रहीस। ओ रोटी ला सिरीप आजक मन खाए सकत रहीन। 5 का तुमन मूसा कर कानहूंन में नई पढ़े हा, कि आजक मन पबितर दिन में पबितर दिन कर कानहूंन ला मंदिर में टोरथें, तबो ले ओमन दोसी नई ठहरें। 6 मंए तुमन ला कहथों, कि इहां एक झन हवे, जेहर मंदिरोच ले बड़खा हवे। 7 अगर पबितर किताब में लिखल परमेसवर कर ए बात ला तुमन समझता कि, ‘मंए बलिदान नहीं बकिन दया चाहथों, त तुमन निरदोस ला दोसी नई ठहराता। 8 “मंए मईनसे कर बेटा, पबितर दिन कर भी परभू लागों।”
ईसू हर झुराल हांथ कर मईनसे ला चंगा करथे
9 उहां ले चएल के ईसू हर एहूदी मन कर धरम सभा कर घर में आईस। 10 उहां एगोट मईनसे रहीस, जेकर एगोट हांथ हर झुराए गए रहीस। ऊहां चटिक मईनसे मन, ईसू कर उपरे दोस लगाए बर बहाना खोजत रहीन, एकर चांड़हे ओमन ईसू जग पूछीन, “का पबितर दिन में कोनो बेमरीहा ला चंगा करई कानहूंन कर अनुसार सही हवे?” 11 तब ईसू हर ओमन ला कहीस, “माएन लेआ की तुमन में ले काकरो जग एगोट भेंड़ी हवे, अऊ ओहर पबितर दिन में गड़हा में गिर जाथे, त का तुमन ओला धएर के बाहरी नई निकालिहा? 12 मईनसे कर कीमत हर, एक ठे भेंड़ ले ढेरेच बढ़ के होथे, एकर ले पबितर दिन में भलाई करई कानहूंन कर अनुसार सही हवे। 13 तेकर ईसू हर ओ मईनसे ला कहीस, “अपन हांथ ला लमा।”, ओहर हांथ ला लमाईस अऊ ओकर हांथ हर दूसर हांथ कस बढ़ियां होए गईस। 14 बकिन फरीसी मन बाहरी निकलीन अऊ ओमन ईसू ला माएर दारे कर उपाए सोंचीन।
परमेसवर कर चुनल सेवक
15 एला जाएन के ईसू हर उहां ले चएल देहीस अऊ ढेरेच मईनसे मन, ईसू कर पाछू होए लेहीन, ओहर सबेच बेमरीहा मईनसे मन ला चंगा करीस। 16 अऊ ओमन ला चेताए के कहीस, कोनो के मोर बारे में झईन बतईहा, कि मंए कोन लागों। 17 तेमेकि जे बात ला यसायाह अगमजानी कर दुवारा परमेसवर हर कहे रहीस, ओहर पूरा होईस।
18 “सूना, ए मोर सेवक लागे, जेला मंए चुने हवों,
एकर ठन मंए मया करथों अऊ एकर ले मंए ढेरेच खुस हवों,
एकर उपरे मंए अपन आतमा ला राखहूं
अऊ एहर गएर एहूदी मन ला नियाय कर खभेर देही।
19 एहर झगरा नई करही अऊ नई किरलाही
अऊ गली मन में कोनो एकर अवाज ला नई सुनहीं।
20 एहर कूंचल झिटका ला नई टोरही
अऊ बितावत ढेबरी ला नई बितवाही
जब तक कि एहर नियाय नई देवाए देही।
21 अऊ सब जाएत कर मईनसे मन, ओकर नांव में असरा राखहीं।”
ईसू हर परमेसवर कर सकती ले चमतकार करथे
22 तेकर मईनसे मन एगोट भूत धरल मईनसे ला ईसू जग लानीन, जेहर अंधा अऊ कोंदा रहीस। ईसू हर ओ मईनसे ला चंगा करीस अऊ ओहर गोठियाए अऊ देखे लागीस। 23 सब मईनसे मन अचमहों होए के कहे लागीन, “कहों एहर दाऊद कर पीढी कर संतान तो ना लागे।”
24 बकिन जब फरीसी मन ए बात ला सुनीन, त ओमन कहिन, “ए मईनसे हर दुसट आतमा मन कर मुखिया, बालजबूल कर मदेत ले दुसट आतमा मन ला निकालथे।” 25 ईसू हर ओमन कर मन कर बात ला जाएन के ओमन ला कहीस, “जे कोनो राएज में फूट होए जाथे, त ओ राएज हर उजेर जाथे। अऊ कोनो सहर चाहे परिवार में फूट होए जाथे, ओहर माढ़े नई रहे। 26 अगर सएतान हर सएतान ला निकालथे, त ओहर खुद कर बिरोधी होए गईसे। तब ओकर राएज हर कईसे माढ़े रईह सकथे? 27 अगर मंए बालजबूल कर मदद ले दुसट आतमा ला निकालथों, त फेर तुमन कर लईका मन काकर मदद ले निकालथें? एकर ले ओही मन तुमन कर नियाओ करहीं। 28 बकिन अगर मंए परमेसवर कर आतमा कर मदद ले दुसट आतमा मन ला निकालथों, त परमेसवर कर राएज तुमन कर ठांवें आए पहुंचीसे।
29 इसू हर फेर कहिस “कईसे कोनो हर बलवान मईनसे कर घर में ढुईक के ओकर धन ला लुईट सकथे, जब तक कि आगु ओहर बलवान मईनसे ला बाएंध नई लेही? तेकर पाछू ओहर ओकर धन ला लुटे बर सएक देही। 30 जेहर मोर संगे नईए, ओहर मोर बिरोध में हवे, अऊ जेहर मोर संगे नई सकेलथे, ओमन फूरोंच में मोर जग ले मईनसे मन ला अलगे करथे। 31 एकर ले मंए तुमन ला कहथों कि, मईनसे मन कर सब मधे कर पाप अऊ परमेसवर कर निंदा छमा करल जाही, बकिन पबितर आतमा कर निंदा ला छमा नई करल जाही। 32 जे कोनो हर, मईनसे कर बेटा कर बिरोध में कोनो बात कही, त ओकर पाप हर छमा करल जाही, बकिन जेहर पबितर आतमा कर बिरोध में गोठियाही, ओके छमा नई करल जाही। न तो ए जुग में न अवईया जुग में।
मईनसे हर अपन काम ले जानल जाथे
33 अगर रूख हर बढ़िहां होही, त ओकर फरोच हर बढ़िहां होही अऊ अगर रूख हर खराब रही, त ओमे खराब फर फरही, काबरकि रूख हर अपन फर ले चिनहल जाथे। 34 ए करेत सांप कर लईका मन, तुमन खराब मईनसे होए के कईसे सुघर गोएठ गोठियाए सकथा? काबरकि जेहर मन में भरल हवे ओही हर मूंह में आथे। 35 बढ़िहां मईनसे अपन मन कर सुघर भंडार ले, बढ़िहां बात ला निकालथे, अऊ खराब मईनसे हर अपन मन कर खराब भंडार ले खराब गोएठ निकालथे। 36 बकिन मंए तुमन ला कहथों, कि परमेसवर कर नियाओ करे कर दिन में मईनसे मन ला, ओमन कर गोठियाल सबेच बेमतलप कर गोएठ कर हिसाब देहे बर परही। 37 काबरकि तुमन अपन गोएठ कर चलते निरदोस, अऊ अपन गोएठेच कर चलते दोसी ठहराल जईहा।”
ईसु जग चिनह चमतकार करे बर कथे
38 तब तनीक फरीसी अऊ कानहूंन कर सिखोईया मन ईसू ला कहिन, “ए गुरूजी! हमरे तोर जग ले एगोट चिनह चमतकार देखे बर चाहथी।” 39 ईसू हर ओमन ला जबाब देहीस, “ए दुसट अऊ छिनारी पीढ़ी कर मईनसे मन, चिनह चमतकार देखाए बर कथें, बकिन योना अगमजानी कर जिनगी होवल चमतकार कर छोंएड़, कोनो अऊ चमतकार ओमन ला नई देहल जाही। 40 जेकस योना हर तीन दिन अऊ तीन राएत बड़खा मछरी कर पेट में रहीस, वईसनेच मईनसे कर बेटोच हर तीन दिन अऊ तीन राएत धरती कर भीतरी में रही। 41 परमेसवर कर नियाओ करे कर दिन, निनवे सहर कर मईनसे मन ए जुग कर मईनसे मन कर संगे ठड़होए के, ओमन ला दोसी ठहराहीं, काबरकि ओमन योना कर परचार ला सुईन के अपन पाप ले मन फिराईन, अऊ सुना, एजग ओहर हवे, जेहर योनोच ले बड़खा हवे।” 42 परमसेवर कर नियाओ करे कर दिन, दखिन देस कर सीबा रानी हर ए पीढ़ी कर मईनसे मन कर संगे ठड़होए के, ओमन उपरे दोस लगाही, काबरकि ओ रानी हर राजा सुलेमान कर गियान कर बात ला सुने बर ढेरेच दुरीहां ले आईस। अऊ सुना, इहां एक झन हवे, जेहर राजा सूलेमानोच ले बड़खा हवे।
ओ पीढी कर लोग मन कर बिगडल हालत
43 फेर ईसू हर कहीस “जब एगोट दुसटआतमा हर कोनो मईनसे ले बाहरी निकेल जाथे, त झुरा जघा ला बिसोए बर खोजथे, बकिन कोनो जघा नई मिले। 44 तब ओहर कथे, ‘मंए ओही मईनसे में फिर जाहूं, जेमे ले निकले रहें।’ अऊ वापिस आए के, ओ मईनसे ला बहारल-बटोरल अऊ सफा एगोट घर कस पाथे। 45 तब ओहर जाए के, अपन ले अऊ घिनक सात गोट दुसटआतमा मन ला, अपन संगे ले लानथे, अऊ ओमन ओ मईनसे में समाए के रहे लागथें, अऊ ओ मईनसे कर हालत हर, आगु कर जिनगी ले अऊ ढेरेच खराब होए जाथे।” अईसनेच ए दुसट पीढ़ी कर मईनसे मन कर हालतोच हर होही।”
सही में ईसू कर अपन परिवार कोन लागे
46 जब ईसू हर भीड़ कर मईनसे मन जग गोठियात रहीस, त ओकर दाई अऊ भाई मन आए के बाहरी ठड़होए रहीन, अऊ ओमन ओकर ठे बात करे बर चाहत रहीन। 47 तेकर एक झन हर ईसू ला कहीस, “तोर दाई अऊ तोर भाई मन बाहरी ठड़होईन हवें अऊ तोर ठे बात करे बर चाहत हवें।” 48 बकिन ईसू हर ओ मईनसे ला कहीस, “कोन मोर दाई लागे? अऊ कोन हर मोर भाई मन लागे?” 49 तेकर ईसू अपन चेला मन कती हांथ देखाए के कहीस, “एमन लागें मोर दाई अऊ मोर भाई मन। 50 काबरकि जेहर मोर सरग कर दाऊ कर ईछा कर अनुसार चलथे, ओही हर मोर भाई, मोर बहिन अऊ मोर दाई लागें।