ईसू हर बतीसमा देवईया एहूना बारे में कथे
11
1 बारह खास चेला मन ला, एही कस समझाये कर पाछू ईसू हर उहां ले चएल देहिस। ओहर गलील परदेस कर सहर मन में सिकछा देहे बर अऊ परचार करे बर गईस।
2 जब एहूना हर, जेहल में मसीह कर काम कर चरचा सुनीस, त ओहर अपन चेला मन ला ओकर जग ए पूछे बर भेजीस, 3 “का अवईया मसीह तंही लागस, कि हमरे कोनो दूसर झन कर डगर देखी?” 4 त ईसू हर ओमन ला ए जबाब देहिस, “जे जाएत तुमन सुनेहा अऊ देखेहा, ओला जाए के एहूना ला बताए देआ, 5 अंधा मन देखथें, खोरा मन रेंगथें, कोढ़ी मन सुध करल जाथें, भईरा मन सुनथें, मरल मन जी उठथें, अऊ गरीब मन ला सुघर-खभेर सूनाल जाथे। 6 धनय हवें ओमन, जेमन मसीह मंए लागों जाएन के मोके अपनाथें।”
7 जब एहूना कर चेला मन ओजग ले चएल देहीन, त ईसू हर मईनसे मन जग एहूना कर बारे में कहे लागीस, “तुमन सुनसान जघा में का देखे बर गए रहा? त का बईहर में हिलत सन कर डंडा कस एगोट कमजोर मईनसे ला? 8 अगर नहीं! त फेर तुमन का देखे बर गए रहा? का महंगा कपड़ा पहिरल एगोट मईनसे ला? सुना, जेमन महंगा कपड़ा पहिनथें, ओमन राजा कर महल में रथें। 9 त तुमन का देखे बर गए रहा? का कोनो अगमजानी ला? हवो, मंए तुमन ला कहथों, कि एहूना हर अगमजानीयो मन ले बड़खा हवे। 10 ओहर ओहीच मईनसे लागे, जेकर बारे में पबितर किताब में परमेसवर हर कथे, सुना, मंए अपन खभरिया ला तोर ले आगु भेजत हों, जेहर तोर बर डगर बनाही।”
11 “मंए तुमन ला फुरोंच में कहथों, कि अझेर तक जेतना मईनसे मन संसार में सवांगिन मन ले जनमीन हवें, ओमन में ले कोनोच हर एहूना बतीसमा देवईया ले बड़े नईए! बकिन जेहर सरग कर राएज में सबले छोटे हवे, ओहर यूहनोच ले बड़खा हवे। 12 एहूना बतीसमा देवईया कर समय ले, अझेर तक सरग कर राएज उपरे सताव होईसे, अऊ सताए दार मन अपन ताकत कर दुवारा एला अपन अधिकार में कएर लेथें। 13 काबरकि सबेच अगमजानी मन अऊ मूसा कर कानहूंन, एहूना कर समय तक अवईया गोएठ मन कर अगमबानी करत रहीन। 14 अऊ अगर तुमन ए गोएठ ला मानत हा, त जाएन लेआ कि ए एहूना हर ओही एलियाह लागे, जेहर अवईया रहीस। 15 जेमन सुने बर तियार हवा, ओमन सुन लेआ अऊ समझ लेआ।”
16 “मंए ए पीढ़ी कर मईनसे मन कर तुलना काकर ले करों? ओमन बजार में बईठल लईका मन नियर हवें, जेमन एक दूसर ला चिकेर के कथें 17 ‘हमरे तुमन बर बंसरी बजाएन बकिन तुमन नई नाचा, हमरे दुख कर गीत गाएंन, बकिन तुमन नई रोया।’ 18 काबरकि बतीसमा देवईया एहूना आईस, ओहर बार-बार उपास करत रहीस अऊ अंगूर कर रस ला नई पीस, बकिन मईनसे मन कथें, कि ओकर ऊपरे दुसटआतमा हवे। 19 मंए, मईनसे कर बेटा खात-पीयत आए हों, त मईनसे मन कथें, ‘देखा, ओहर तो पेटहा अऊ पियकड़ लागे। ओहर लगान लेवईया अऊ पापी मन कर संगता लागे।’ बकिन जेमन परमेसवर कर गियान कर पाछू चलथें, ओकर जिनगी कर चलते ओही गियान हर, सही ठहराल गईसे।”
बिसवास नई करोईया मन ला ईसू कर चेतउनी
20 तेकर ईसू हर ओ सहर कर मईनसे मन ला कोसे लागीस, जिंहा ओहर सबले बगरा चमतकार करे रहीस, बकिन उहां कर रहोईया मन पाप करे बर नई छोंड़ीन अऊ मन नई फिराईन। 21 ईसू हर कहीस “ए खूराजीन, ए बेतसएदा कर मईनसे मन तुमन ऊपर हाय! जे चमतकार ला मंए तुमन बरीक करे हों, अगर ओहर सूर अऊ सएदा कस दुसट सहर में करल गए रतीस, त ओमन अपन दुख ला देखाए बर ढेरेच आगु बोरा ओढ़ के, अऊ राख में बईठ के, पाप करे बर छोंएड़ देहे रतीन अऊ मन ला फिराए लेतीन। 22 बकिन मंए तुमन ला कहथों, कि परमेसवर कर नियाओ करे कर दिन में, दुसट सदोम सहर कर डंड ले बगरा, ए सहर कर डंड हर होही।” 23 अऊ ए कफरनहूम सहर, का तंए सरग तक पहुंचबे? नही, तंए तो अथाथाह गड़होच ले तरी जाबे। काबरकि जे चिनह चमतकार कर काम हर तुमन कर मझार में करल गईसे, अगर ओ काम हर सदोम में करल गए रतीस, त ओ सहर हर आएज तक ले बने रतीस। 24 बकिन मंए तुमन के कहथों, कि परमेसवर कर नियाओ करे कर दिन में, सूर अऊ सएदा सहर कर डंड ले, तुमन कर डंड हर ढेरेच बगरा होही।
ईसू बिसोए बर बलाथे
25 ओहीच घनी ईसू हर कहीस, “ए दाऊ सरग अऊ धरती कर परभू, मंए तोर धनबाद करत हों, कि तंए ए बात मन ला, जेमन अपन आप ला गियानी अऊ समझदार समझथें ओमन जग ले लूकाए के राखे, बलकी जेमन लईका सहींक हवें, ओमन ऊपर परगट करे हस। 26 हां, ए दाऊ, काबरकि तोके एही हर बढ़िहां लागीस।” 27 फेर ईसू चेला मन ठे कहीस “मोर दाऊ हर मोके ला, सब जाएत कर अधिकार देहीसे, अऊ कोनो ला नई जानें, कि बेटा कोन लागे, सिरीप दाऊ जानथे अऊ दाऊ कोन लागे एहू ला कोनो नई जानें, सिरीप बेटा हर जानथे अऊ जेकर ऊपरे बेटा हर दाऊ ला परगट करे बर चाहथे ओही हर जानथे।”
28 “ए सबेच थके-मांदे अऊ बोझ ले दबल मईनसे मन, मोर जग आवा मंए तुमन ला आराम देहूं। 29 मोर जुवा ला अपन ऊपर उठाए लेआ अऊ मोर जग ले सिखा, काबरकि मंए सोभाव में दयालू अऊ नरम हों, अऊ तुमन अपन आतमा में बिसराम पईहा। 30 काबरकि मोर जुवा हर सहज अऊ मोर बोझ हर हलुक हवे।”