11
परभु की पराथना
(मत्ती ६.९-१३; मरकुस ७.७-११)
1 फेर असो होयो के ईसु कइंकी जगा पे पराथना करी र्यो थो। जदे उ पराथना करी चुक्यो तो उका चेलाहुंण माय से कइंका एक ने उकासे क्यो, "हे परभु, जसे योहन ने अपणा चेलाहुंण के पराथना सीखाड़ी, तू बी हमारे सीखाड़।"
2 उने उणकासे क्यो, "जदे तम पराथना करो तो को:
'हे पिता,
थारो नाम पवित्तर मान्यो जावे,
थारो राज आय।
3 हमारे दन-भर का रोटाa हर दन द्या कर
4 हमारा पापहुंण के मांफ कर,
क्योंके हम बी अपणा हर कसुरवार के मांफ करां हे।
अने हमारे अजमाइस माय मती लाख।' "
5 ईसु ने उणकासे क्यो, "मानी लो तमारा माय से कइंका एक को दोस रे, अने उ आदी रात माय अई ने के, 'हे दोस, म्हारे तीन रोटाहुंण दई दे; 6 क्योंके म्हारो एक दोस जातरा करतो होयो म्हारा कने आयो हे, अने उके खवाड़वा सरु म्हारा कने कइंज हयनी।' 7 पण दोस भीत्तर से जुवाब दई के, के 'म्हारे मती सताड़; कमांड़ लागी चुक्यो अने म्हारा बाळकहुंण म्हारा गेले बिछावणा पे हे। हूं उठी के थारे कइंज नी दई सकूं।' 8 हूं थार से कूं, हालाके दोस होवा की वजासे उ नी उठे अने उके कइंज नी दे, फेर बी उकी घणी याचना करवा पे उ उठी के जितरी उके जरुवत हे दई देगा।
9 "हूं तमार से कूं, मांगो तो तमारे मिळेगा; ढुंडो तो तमारे लादेगा; खटखटाड़ोगा तो तमारा सरु खोल्यो जायगा। 10 क्योंके जो कईं को मांगे, उके मिळे; अने जो ढुंडे, उ पाय; अने जो खटखटाड़े उका सरु खोल्यो जायगा। 11 तमारा माय से कुंण असो बाप रेगा के जदे उको बेटो मच्छी मांगे तो मच्छी का बदळा माय सरप दे? 12 या इण्डो मांगे तो उके बिच्छु दे? 13 तो जदे तम बुरा हुई के अपणा बाळकहुंण के भली चीजहुंण देणो जाणो, तो तमारो सरग पिता उणके जो उकासे मांगे हजु पवित्तर आतमा कायसरु नी देगा?"
बायरबादा के हेड़वा वाळो ईसु
(मत्ती १२.२२-३०; मरकुस ३.२०-२७)
14 फेर ईसु एक बायरबादा के हेड़वा लाग्यो जो गुंगी थी। अने असो होयो के जदे बायरबादा हिटी गी तो गुंगो बोलवा लाग्यो। अने भीड़ के घणो अचरज होयो।b 15 c पण उणका माय से थोड़ाक ने क्यो, "उ तो बायरबादाहुंण के बालजबूल याने बायरबादाहुंण का परधान की मदद से हेड़े हे।"
16 d दूसरा थोड़ाक लोगहुंण ने उके अजमाणे सरु उकासे असमान की एक निसाणी मांगी। 17 पण उ उणका बिचारहुंण के जाणतो थो! तो उणकासे क्यो, "जेना राज माय एको नी रे उ उजड़ी जाय, अने जेना घरे एको हयनी उ नास हुई जाय। 18 अगर सेतानीज खुद अपणो बिरोदी हुई जाय तो उको राज कसे ठेरी सके? क्योंके तम गलत को हो के हूं बालजबूल की मदद से बायरबादाहुंण के हेड़ुं हूं। 19 तो अगर हूं बालजबूल की मदद से बायरबादाहुंण के हेड़ुं तो तमारा चेलाहुंण केकी मदद से हेड़े हे? इकासरु वीज तमारा न्यावी रेगा के तम सई हो के गलत। 20 पण हूं परमेसर की मदद से बायरबादाहुंण हेड़ुं, तो परमेसर को राज तमारा कने अई ग्यो हे।
21 "जदे एक ताकतवर मनख सगळा हतियार बान्दी के अपणा घर को नेपो करे तो उकी सम्पत्ती बची रे। 22 पण जदे उकासेज ताकत वाळो कईं को मनख उका पे चड़ई करिके उके हरई के, अने उका सगळा हतियार जिणका पे उके भरोसो थो छुड़ई ले, अने धन-सम्पत्ती लुटी के बांटी लाखे हे।
23 e "उ जो म्हारा गेले हयनी म्हारो बिरोदी हे, अने उ जो म्हारा गेले परमेसर सरु लोगहुंण के भेळा नी करे, उ परमेसर से दूरो करे हे।
बायरबादा को पाछो आणो
(मत्ती १२.४३-४५)
24 "जदे बायरबादा मनख माय से हिटे हे तो अराम की तलास सरु सुनसान जगा से हुई ने निकळे। जदे उके कइंकी जगा नी मिळे तो के हे, 'हूं जेना घर से हेड़ी गी थी उका मायज पाछी जउंवां।' 25 जदे वा वां पोंची तो उके झाड़यो-बुखार्यो अने सज्यो पायो। 26 तो वा अपणा सेज बुरी सात हजु बायरबादाहुंण के अपणा गेले लइ-याय हे अने उका माय भरई के बसी जावे। अने उना मनख की पाछली दसा पेलां से बी बुरी हुई जावे!"
उ जो सांची माय खुस हे
27 असो होयो के जदे उ या बात कइंज र्यो थो तो भीड़ माय से एक बइरा ने जोर से हेलापाड़िने उकासे क्यो, "धन्य हे थारी वा मेतारी जेका गरभ माय तू र्यो अने जेको दूद तने धायो।"
28 पण उने क्यो, "इका बदळे धन्य हे वी जो परमेसर का बचन सुणे अने उके पाळे हे।"
लोगहुंण के अचरज की सेलाणी की चायना
(मत्ती १२.३८-४२)
29 f जसी-जसी भीड़ बड़्या जई री थी उ केवा लाग्यो, "या बुरी पीड़ी हे क्योंके या अचरज की सेलाणी की हेर माय रे, फेर बी इके योना नबी का अलावा कइंकी दूसरी सेलाणी नी दई जायगा। 30 h जसो योना नीनवे म्हानगर का लोगहुंण सरु सेलाणी बण्योg असोज हूं मनख को बेटो बी इनी पीड़ी का लोगहुंण सरु बणुंवां। 31 i दक्खणव दिसा की राणी न्याव का दन इनी पीड़ी का लोगहुंण का गेले उबी हुई के उणका पे आरोप लगाड़ेगा, क्योंके वा धरती का छोर से सुलेमान को ज्ञान सुणवा अई, पण देखो, यां उ हे जो सुलेमान से बी मोटो हे। 32 j न्याव का दन नीनवे का लोग इनी पीड़ी का लोगहुंण का गेले उबी के उणका पे आरोप लगाड़ेगा, क्योंके उणने योना को परचार सुणी के मन बदळ्यो, अने देखो, यां उ हे जो योना से बी मोटो हे।
काया को उजाळो
(मत्ती ५.१५; ६.२२-२३)
33 l "कइंको दीयो बाळी के तळघर माय नी धरे, नी टोपली का निच्चे राखे, पण उके दीवट पे राखे के आवा वाळा के उजाळो मिळे।k 34 थारी काया को दीयो थारी आंख हे। जदे थारी आंख सुद्द हे तो थारी काया बी पूरण तरा उजळी रे, पण जदे वा बुरी हे तो थारी काया बी पूरण तरा इन्दारी हुई जावे हे। 35 तो होसियार रो के उजाळो इन्दारो नी बणी जाये। 36 इकासरु अगर थारी पूरण काया उजाळा से उजळी रे अने कइंकाज हिस्सा माय इन्दारो नी रे तो उ पूरो वसोज उजळो रेगा, जसतरा दीयो, जसो दीयो अपणा उजाळा से थारे उजाळो दे हे।m
ईसु ने छेः; कारण बताड़्या यहूदिहुंण का धारमिक नेताहुंण के सजा देवा का
(मत्ती २३.१-३६; मरकुस १२.३८-४०)
37 जदे ईसु ने बोलनो खतम कर्यो तो एक फरीसी ने उके अपणा गेले जिमवा सरु नोत्यो। उ भित्तरे जई के जिमवा सरु बेठ्यो। 38 ईसु रीति मुजब जिमवा से पेलां सांपड़्यो हयनी इकासरु फरीसी ने यो देख्यो तो उके अचरज होयो। 39 पण परभु ने उकासे क्यो, "हे फरीसिहुंण, तम कटोरा अने परात के बायरे से तो मांजो हो, पण तमारा भित्तरे डाकूपणो अने बुरई भरी हे। 40 हे मूरखहुंण, जेने बायरे को हिस्सो बणायो, तो कंई उने भित्तरे को हिस्सो नी बणायो? 41 पण जो भित्तरे को हे उके दान करी दो तो तमारा सरु सगळो कंई सुद्द हुई जायगा।n
42 o "पण हे फरीसिहुंण, तमार पे हाय! क्योंके तम पोदिनो अने सुदाब अने नरी-तरा का साग-पातहुंण को दसवों हिस्सो तो दो पण न्याव अने परमेसर का परेम के टाळी लाखो हो। होणो तो यो थो के इणके बी करता रेता अने उणके बी नी टाळता।
43 "हे फरीसिहुंण, धिक्कार हे तमार पे! क्योंके तमारे पराथनाघरहुंण माय सामे की जगा माय बेठणो अने हाट-बजार माय मान भर्यो परणाम भलो लागे हे। 44 धिक्कार तमार पे! क्योंके तम उण नगे नी आवा वाळी कबरp सरीका हो, जिणका पे मनख अण्जाण्या माय चल्या-फिरे।"
45 तो नेम-बिधान का जाणकारहुंण माय से एक ने जुवाब द्यो, "हे गरु, असो कई के तू हमारोज मान पाड़े हे।"
46 पण उने क्यो, "धिक्कार हे तम नेम-बिधान का जाणकारहुंण पे! क्योंके तम मनखहुंण के असा बजन से दबाव, जेके उठाड़णो अबगो हे हालाके तम खुद उना बजणहुंण के अंगळी लगाणो नी चावो। 47 धिक्कार तमार पे! क्योंके तम उण नबिहुंण की कबर बणाव जिणके तमाराज पूरखाहुंण ने मारी लाख्या था।q 48 इकासरु तमीज गवा हो अने अपणा पूरखाहुंण का काम से तम राजी हो। क्योंके उणने तो उणके मारी लाख्या था अने तमने उणकी कबरहुंण बणई। 49 इनी वजासे परमेसर की बुध्दि ने क्यो, 'हूं उणका कने नबिहुंण अने परेरितहुंण के मोकलुंवां, उणका माय से थोड़ाक के मारी लाखेगा अने थोड़ाक के सताड़ेगा।' 50 जेकासे के जगत का सुरु सेज जितरा नबिहुंण को लोई बिवाड़्यो उको लेखो परमेसर इनी पीड़ी का मनखहुंण से लेगा। 51 याने हाबिल का लोईr से लई के तो जकरियाह का लोई तक को लेखो, जेकी हत्या परमेसर का भवन अने बेदी का बीच माय करी गी थी। हां, हूं कूं के, इनी पीड़ी का मनखहुंण से लेखो ल्यो जायगा।
52 "धिक्कार हे तम नेम-बिधान का जाणकारहुंण पे! क्योंके तमने परमेसर का ज्ञान की कुन्ची छुड़ई ली। तम खुद तो भित्तरे नी ग्या अने जो जावा की करी र्या था उणके बी रोक्या।"