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ढोंगी मती बणो
(मत्ती १०.२६-२७)
1 a असा हाल माय जदे हज्‍जारों लोगहुंण की बड़ीमेक भीड़ भेळी हुई गी थी, यां तक के वी एक दूसरा का अदरे पड़ी र्‌या था तो सगळा से पेलां उने अपणा चेलाहुंण से केणो सुरु कर्‌यो, "फरीसिहुंण का खमीर याने उणका कपट से होसियार री जो। 2 b जो कइंज ढांक्यो होयो हे उ खोल्यो जायगा। अने जो कंई छिप्यो हे उ जाण्यो जायगा। 3 इकासरु जो कंई तमने इन्‍दारा माय क्यो, उ उजाळा माय सुण्यो जायगा, अने जो कंई तमने भित्तरे घर माय फुसफुसई के क्यो, उ छत अदरे से परचार कर्‌यो जायगा!
सिरप परमेसर से डरो
(मत्ती १०.२८-३१)
4 "म्हारा दोस सुणो, हूं तमार से कूं, उणकासे मती डरो जो तमारी काया के नास करे पण इका पाछे हजु कइंनी करी सके। 5 हूं तमारे चेतउं के किकासे डरणो चाय: उकासे डरो जेके यो हक हे के मारवा का बाद नरक माय लाखे। हां हूं तमार से कूं के उकासेज डरो!
6 "कंई दो पइसा माय पांच चिरकलिहुंण नी बिके? फेर बी परमेसर उणका माय से कइंकी केज नी बिसारे। 7 पण सांची माय तमारा माथा का सगळा बाल बी गिण्या होया हे। घबराव मती! तम नरी चिरकलिहुंण से बड़ा मोलका हो।
ईसु की वजासे लजाओ मती
(मत्ती १०.१९-२०, ३२-३३; १२.३२)
8 "हूं तमार से कूं जो मनखहुंण का सामे म्हारे मानी लेगा, हूं मनख को बेटो बी उके परमेसर का सरगदूतहुंण का सामे मानी लुंवां। 9 पण जो मनखहुंण का सामे म्हारे नी माने, उके हूं बी परमेसर का सरगदूतहुंण का सामे नी जाणूंवां।
10 c "हूं मनख का बेटा का बिरोद माय जो एक बी सबद् बोले, उको कसूर मांफ कर्‌यो जायगा। पण जो पवित्तर आतमा की निंदा करे हे, उको कसूर मांफ नी कर्‌यो जायगा।
11 d "जदे वी तमारे पराथनाघर, सासकहुंण अने हाकिमहुंण का सामे लई जाय तो इनी बात की फिकर मती करजो के अपणे बचने सरु तमारे कसो अने कंई जुवाब देणो चइये, या कंई केणो चइये, 12 क्योंके पवित्तर आतमा तमारे उनीज बखत सीखाड़ेगा के कंई केणो चाव हो।"
धणी मूरख
13 भीड़ माय से कइंका ने ईसु से क्यो, "हे गरु, म्हारा भई से के, के म्हारा पिताजी का धन के म्हारा गेले बांटी ले।"
14 पण उने उकासे क्यो, "हे भई, केने म्हारे तमारो न्यावी अने बांटो करावा वाळो बणायो?" 15 तो फेर ईसु ने भीड़ से क्यो, "होसियार! हरतरा का लोभ से होसियार रो। क्योंके धन की बड़ती होवा पे बी कइंका को जीवन उका धन का भरोसे आनन्द से नी चले।
16 तो उने उणके एक मिसाल दई के क्यो, "धणी मनख की जमीन माय अच्छी पादरीe अई। 17 उ अपणा मन माय यो बिचार करवा लाग्यो, 'हूं कंई करूं? म्हारा कने गल्‍लो राखवा सरु तो जगा हयनी।' 18 उने क्यो, 'हूं असो करुंवां के अपणा भण्डार्‌याहुंण तोड़ी के मोटा भण्डार्‌याहुंण बणउंवां अने उका मायज अपणो सगळो गल्‍लो अने धन धरुंवां। 19 जदे हूं अपणा जीव से कुंवां, 'हे म्हारा जीव, थारा कने नरा बरसहुंण सरु गंज धन भर्‌यो हे। चेन कर, खा पी अने खुसी मना।' 20 पण परमेसर ने उकासे क्यो, 'हे मूरख, आजज रात थारो जीव थार से लई ल्यो जाय, तो जो कंई तने भेळो कर्‌यो उ केको रेगा?' "
21 ईसु बोल्यो, "असोज उ मनख बी हे जो अपणा बले धन तो भेळो करे पण परमेसर की नगे माय धणी हयनी।"
परमेसर पे बिसास करो, सांसो मती करो
(मत्ती ६.२५-३४)
22 फेर उने अपणा चेलाहुंण से क्यो, "इनी वजासे हूं तमार से कूं, अपणा जीव सरु यो कई के सांसो मती करो के हम कंई खावांगां; नी काया सरु करो के कंई पेरांगां। 23 क्योंके जीव भोजन से, अने काया लतरा से बड़ी के हे। 24 कागलाहुंण पे ध्यान धरो, क्योंके वी नी तो बोय, नी काटे, अने नी उणका कने भण्डारा अने नी गुदाम हे। फेर बी परमेसर उणके खवाड़े हे। तम तो पखेरुहुंण से नरा मोल का हो! 25 तमारा माय असो कुंण हे जो चिंता करिके अपणा जीव के एक घड़ी बी बड़ई सकेf हे? 26 तो अगर तम नानो से नानो काम बी नी करी सको तो दूसरी बातहुंण को सांसो कायसरु करो हो? 27 g सोसन का रोपाहुंण पे ध्यान धरो के वी कसे बदे। वी नी तो म्हेनत करे, नी काटे। पण हूं तमार से कूं के सुलेमान राजो बी अपणा आखा वेभव माय इणका माय से कइंका एक का जसा लतरा नी पेर्‌यो थो। 28 तो अगर परमेसर चोगान का चारा के जो आज हे अने काल भाड़ माय झोंक्यो जायगा असो पेराय, तो हे कमबिसासिहुंण, उ तमारे हजु कायसरु नी पेरायगा।
29 "इनी बात की फिराक माय मती रो, के हम कंई खावांगां अने कंई पियांगा, इणका सांसा मेंज मती लाग्या रो। 30 क्योंके आखा जगत का अबिसासिहुंण जो परमेसर के नी जाणे घणा जतन से इनी सगळी चीजहुंण की तलास माय लाग्या रे। पण तमारो पिता जाणे के तमारे इनी चीजहुंण की जरुवत हे। 31 तो पेलां उका राज के ढुंडो, तो ई सगळी चीजहुंण बी तमारे दई दी जायगा।
सरग माय धन
(मत्ती ६.१९-२१)
32 "ऐ नाना झुंड, डरे मती! क्योंके तमारा पिता ने खुस हुई के तमारे राज देणो चायो। 33 अपणी धन-सम्पत्ती बेची के दान करी लाखो। अपणा सरु असा बटवा बणाव जो जूना नी होय, याने खतम नी होवा वाळो धन सरग माय भेळो करो, जां नी तो चोळ्डो कने आय अने नी उके किड़ो लागे। 34 क्योंके जां तमारी धन-सम्पत्ती वांज तमारो हिरदो बी लाग्यो रेगा।
जागता रो मालेख आवा वाळो हे
35 h "तमारी कमर कसी रे, अने तमारो दीयो बळतो रे। 36 i उना दासहुंण सरीका बणो जो अपणा मालेख के, जदे उ ब्‍याव माय जिमवा जई ने पाछो आवे तो बाट देखता रे के जदे अई के ने कमांड़ खटखटाड़े तो झट खोली दे। 37 धन्‍य हे वी दास जिणके मालेख अई के सावधान पाय; हूं तमार से खास बात कूं के उ अपणी कमर कसी के उणकी सेवा करेगा अने उणके जिमवा बेठाड़ेगा अने खुद अई के परोसेगा। 38 चाय उ आदी राते आय या परोड़े आवा पे उणके चोकन्ना पाय तो वी दास धन्‍य हे। 39 j "यो पक्को जाणो के अगर घर-मालेख जाणी जाय के चोळ्डो कां का बखत आयगा तो उ अपणा घरे खाद नी लगावा देतो। 40 तम बी तय्यार रो, क्योंके हूं मनख को बेटो उनी घड़ी अई र्‌यो हूं जेका बारामें तम सोंचीज नी सको।"
बिसासी अने अबिसासी दास
(मत्ती २४.४५-५१)
41 तो पतरस ने क्यो, "हे परभु, कंई तू या मिसाल सिरप हमार सेज कई र्‌यो हे या सगळा मनखहुंण से?"
42 परभु बोल्यो, "असो बिसासी अने समज वाळो भण्डारी कुंण? उ जेके उको मालेख अपणा दासहुंण पे हाकिम ठेराय के, उ उणके ठीक बखत पे सीदो दे। 43 धन्य हे उ मुनीम जेके उको मालेख जदे उ आय तो असोज करतो पाय। 44 हूं तमार से खास बात कूं के उ अपणी सगळी धन-सम्पत्ती पे उके हाकिम ठेरायगा। 45 पण अगर उ मुनीम अपणा हिरदा माय यो के हे, 'म्हारो मालेख घणी देर से आयगा,' अने दासहुंण के मारवा-कुटवा लागे अने खई-पीके नसा माय चूर पड़्यो रे, 46 तो उना मुनीम को मालेख उना दन जदे उ बाट बी नी जोय, अने उनी घड़ी जेके उ नी जाणे, अई जायगा। अने काठी सजा दई केk उके हुकम नी मानवा वाळा कमबिसासिहुंण का गेले राखेगाl
47 "उ मुनीम, जो अपणा मालेख की मरजी जाणतो थो, पण जेने तय्यार हुई के उकी मरजी का मुजब काम नी कर्‌यो घणी चाबुक खायगा। 48 पण जो सेवक अपणा मालेख की मरजी नी जाणतो थो, पण गलती तो करी, तो उके चनिक मार पड़ेगा। जेके घणो द्‍यो उकासे घणो मांग्यो जायगा। अने जेके नरो समळायो, उकासे नरो ल्यो जायगा।
ईसु की वजासे लोगहुंण माय बिरोद
(मत्ती १०.३४-३६)
49 "हूं धरती पे बिरोद की भस्‍ती लगावा आयो हूं अने म्हारी घणी मरजी हे के वा अबी से लागी जाय। 50 m पण म्हारे एक बपतिसमो लेणो हे याने दुःख उठाड़णो हे। जदत्तक उ पूरण नी हुई जाय हूं कसी भेम माय पड़्यो हूं! 51 तम कंई सोंची र्‌या, के हूं धरती पे मेळ-मिळाप करावा आयो हूं? पण हूं तमार से कूं मेळ-मिळाप नी, पण मुण्डामुण्ड करवा आयो हूं। 52 क्योंके अब से जेना घर माय पांच जणा रेगा उणका माय आपसी बिरोद रेगा, तीन, दो का अने दो तीन को बिरोद करेगा। 53 n वी एक दूसरा का बिरोदी रेगा। बाप बेटा को अने बेटो बाप को, मेतारी बेटी की अने बेटी मेतारी की, सासु बउ की अने बउ सासु की बिरोदी रेगा।"
बखत के अनमोल जाणो
(मत्ती १६.२-३)
54 उने भीड़ से बी क्यो, "जदे तम आथणूं आड़ी बादळा उठता देखो हो तो झट को हो 'बरसात होयगा' अने असोज होय हे। 55 जदे तम दक्‍खणवी बायरो चलतो देखो तो को हो 'घणो तपेगा' अने असोज होय। 56 हे ढोंगीहुंण! तम धरती अने असमान का रुप माय भेद पाड़ी सको, पण जो काम म्हने कर्‌या उणका बारामें कायसरु भेद करनों नी जाणो?
बेरी से मिळाप
(मत्ती ५.२५-२६)
57 "अबे तम अच्छो फेसलो कायसरु नी करो हो? 58 जदे तू अपणा बेरी का गेले न्‍यावलय तक जाय, तो बाट मायज उका गेले समजोतो करवा की कोसिस कर। असो नी होय के उ थारे न्यावधीस का सामे घसीटी के लई जाय अने न्यावधीस थारे सिपई का हात माय दई दे अने सिपई थारे जेळ माय लाखी दे। 59 हूं थार से कूं के समजोतो करी ले नितो जदत्तक तू पई-पई नी चुक‍ई देगा, वां से छुटी नी सकेगा।"