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ईसु ने सत्तर चेलाहुंण के मोकल्या
1 इका बाद परभु ने दूसरा बहत्तरa मनख के तेड़्या अने उने अपणा अगड़े-अगड़े दो-दो करिके हर नगर अने जगा आड़ी मोकल्या जां उ खुदी जावा वाळो थो। 2 b उने उणकासे क्यो, "फसल तो नरी उबी, पण मजुर्याहुंण की कमकोती हे। तो खेत का मालेख से बिणती करो के उ अपणा खेत माय मजुर्याहुंण मोकले। 3 c जाव! देखो हूं तमारे मेमणाहुंण जसा बरगड़ाहुंण का माय मोकली र्यो हूं। 4 d अपणा गेले नी तो बटवो, नी झोळो अने नी पन्निहुंण राखो, अने रस्ता माय कइंका के परणाम बी मती करो। 5 जेना घर भित्तरे जाव, पेलां कई दो, 'इना घर माय सान्ती बणी रे।' 6 अगर वां कईं को सान्ती का लायक होय तो तमारी सान्ती उका पे बणी रेगा, नी तो तमारा कने वा सान्ती पाछी अई जायगा। 7 e उणाज घरे रो, अने जो कंई वी तमारे दे उकेज खाव अने प्यो, क्योंके मजुर्या के मजुरी जरुर मिळनी चावे। घरे-घर मती फर्या करो, 8 जेना नगर माय बी जाव, जदे वी तमारी आव-भगत करे तो जो कंई तमारा सामे धर्यो-जाय उज खाव। 9 वां जो बेमार रे उणके नज करो, अने उणकासे को, के परमेसर को राज तमारा कने अई ग्यो। 10 f पण जेना नगर माय तम जाव अने लोग तमारी आव-भगत नी करे तो उणकी सेरी-गळिहुंण माय जई के को, 11 'तमारा बिरोद माय हम नगर का उना धूळा के जो हमारा पग माय चोंटी ग्यो हे, झटकारी र्या हे। फेर बी यो पक्को जाणी लो के परमेसर को राज कने अई ग्यो हे।' 12 g हूं तमार से कूं के उना दन जदे परमेसर न्याव करेगा सदोम नगर की दसा उना नगर से कइंज बड़ी के सेणे लायक रेगा।"
तीन नगर माय का लोगहुंण ने पसतावो नी कर्यो
(मत्ती ११.२०-२४)
13 i "हे खुराजीन नगर, हे बेतसेदा नगर तमार पे हाय। जो अचरज भर्या काम तमारा माय कर्या ग्या सूर अने सेदा नगर माय कर्या जाता तो - टाट ओड़ी के अने राखोड़ा पे बेठिकेh कदका मन बदळी लेता। 14 पण न्याव का दन सूर अने सेदा नगर की दसा तमार से कइंज जादा सेणे लायक रेगा। 15 j हे कफरनहूम नगर, तू कंई सरग तक अदरे उठाड़्यो जायगा? तू तो नरक तक निच्चो कर्यो जायगा!
16 k तो उने चेलाहुंण से क्यो, "उ जो तमारी सुणे, उ म्हारी सुणे। अने जो तमारे ओछो जाणे उ म्हारे ओछो जाणे। अने जो म्हारे ओछो जाणे उ परमेसर के ओछो जाणे जेने म्हारे मोकल्यो।"
बहत्तर चेलाहुंण आनन्द करता होया पाछा आया
17 वी बहत्तरl हंसी-खुसी माय पाछा आया अने केवा लाग्या, "हे परभु यां तक के बायरबादाहुंण बी थारा नाम से हमारा बस माय हे।"
18 तो ईसु ने उणकासे क्यो, "हूं सेतान के गाज सरीको असमान से धरती पे पड़तो देखी र्यो थो। 19 m देखो, म्हने तमारे सरपहुंण अने बिच्छुहुंण के डोंचवा अने सेतान जसा दुसमन की सगळी सामरत पे हक द्यो हे। तो कईं को तमारे नुकस्यान नी पोंचायगा। 20 फेर बी इनी बात से खुस मती होव के बायरबादाहुंण तमारा बस माय हे, पण इनी बात से खुस रो के तमारा नाम परमेसर ने सरग माय लिख्या हे।"
ईसु को आनन्द
(मत्ती ११.२५-२७; १३.१६-१७)
21 उनीज घड़ी उ पवित्तर आतमा मायn घणो खुस होयो, अने उने क्यो, "हे पिता, सरग अने धरती का परभु, हूं थारी इसतुती करूं के तने अकलमंदहुंण अने ज्ञानवानहुंण से इनी बातहुंण के छिपाड़ी राखी पण बाळकहुंण पे परगटी हे। हां, हे पिता, योज थारे भायो।"
22 o तो ईसु लोगहुंण से केवा लाग्यो, "म्हारा पिता ने म्हारे सगळो-कंई दई द्यो हे। सिरप पिता का अलावा कईं को नी जाणे के हूं बेटो कुंण हूं, अने सिरप हूं बेटा का अलावा कईं को नी जाणे के पिता कुंण हे। अने सिरप उज जाणे जेका पे हूं खुद परगट करनों चउं।"
23 तो चेलाहुंण आड़ी फरिके उने उणकासे छाने से क्यो, "धन्य हे वी आंखहुंण जो इनी बातहुंण के देखे, जिणके तम देखो हो, 24 क्योंके हूं तमार से कूं के तम जेनी बातहुंण के देखो हो उणके नरा नबिहुंण अने राजाहुंण ने देखणो चायो पण नी देख्यो, अने उनी बातहुंण के सुणनो चायो जिणके तम सुणो हो पण नी सुण्यो।
म्हारो पड़ोसी कुंण?
25 p देखो, मूसा का नेम-बिधान को एक जाणकार उठ्यो अने यो कई के ईसु के परखवा लाग्यो, "हे गरु, हमेस्या का जीवन को हक पावा सरु हूं कंई करूं?"
26 ईसु ने उकासे क्यो, "मूसा का नेम-बिधान माय कंई लिख्यो हे? तू कसे बांची के समजे?"
27 q उने जुवाब द्यो, "तू परभु अपणा परमेसर से अपणा सगळा हिरदा, सगळा पराण, सगळी सामरत, अने सगळी बुध्दि से परेम राख अने अपणा पड़ोसी से अपणा सरीको परेम राख।"
29 पण उने खुद के सई ठेरावा सरु ईसु से पुछ्यो, "म्हारो पड़ोसी कुंण?"
30 ईसु ने जुवाब द्यो, "एक मनख यरुसलेम से यरीहो नगर आड़ी जई र्यो थो, के उके डकेतहुंण ने घेरिल्यो। उणने उके नांगो-पुंगो करी लाख्यो, मार्यो कुट्यो अने अधमर्यो करिके चल्या ग्या। 31 संजोक से एक पुरोहित उनी बाट जई र्यो थो अने जदे उने उके देख्यो तो कतरई के चल्यो ग्यो। 32 असीज तरा एक लेवीs पंडित बी वय्यांड़ी से हिट्यो अने मुन्डो फेरी के चल्यो ग्यो। 33 u पण एक सामरीt बी जो जातरा करी र्यो थो वां अई ग्यो। जदे उने उके देख्यो तो दया से भरी ग्यो। 34 उने कने जई के उका घावहुंण पे तेल अने दाखरस रेड़ी के उणका पे पाटा बान्द्या। अने उके अपणी सवारी पे चड़ई के सराय माय लइ-यायो जां उने उकी सेवा-चाकरी करी। 35 दूसरा दन उने दो चांदी का सिक्का हेड़ी के सराय वाळा के दई ने क्यो, 'इकी सेवा-चाकरी करजो। इका से बत्ती जो खरचो आय, हूं पाछो आवा पे चुकई दूंवां।' "
36 तो ईसु ने नेम-बिधान का जाणकार से क्यो, "थारा बिचार से इना तीनीज माय से उना मनख को पड़ोसी कुंण परमाणित होयो जो डकेतहुंण का हत्ते चड़ी ग्यो थो?"
37 उने क्यो, "उज जेने उका पे दया करी।"
ईसु ने उकासे क्यो, "जा, तू बी असोज कर।"
ईसु, मारथा अने मरियम का घरे
38 v जदे ईसु अने उका चेलाहुंण चल्या जई र्या था तो उ एक गांम माय दाखल होयो, अने मारथा नामकी एक बइरा ने उके अपणा घरे ठेराड़्यो। 39 उकी एक बेन थी जेको नाम मरियम थो जो परभु का पग कने बेठिके उको बचन सुणी री थी। 40 पण मारथा सेवा करी-करिके चिड़ी उठी अने उने उणका कने अई के क्यो, "हे परभु, कंई थारे फिकर हयनी के म्हारी बेन ने सेवा-चाकरी सरु म्हारे एखली छोड़ी राखी हे? उकासे कइदे के वा म्हारी मदद करे?"