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ईसु के मारी लाखवा की जुगत
(मत्ती २६.१-५; लूका २२.१-२; योहन ११.४५-५३)
1 b फसहa अने बिना खमीर का रोटा का परब सरु दो दन बाकी रई ग्या था; अने मुख-पुरोहित अने सासतरी इनी बात का ताक माय था के उके कसे छाने से पकड़ां अने मारी लाखां; 2 पण वी कई र्या था, "परब का बखत नी, कंई असो नी होय के लोगहुंण माय दंगो हुई जाय।"
ईसु पे अतर रेड़णो
(मत्ती २६.६-१३; योहन १२.१-८)
3 c जदे वी बेतनिय्याह का सिमोन कोड़्या का घरे जिमवा बेठ्या था, तो वां एक बइरा संगमरमर का बरतन माय जटामांसी को अनमोल सुद्द अतर लई के अई; अने उने उना बरतन के तोड़ी के अतर के ईसु का माथा पे कुड़ी लाख्यो। 4 पण थोड़ाक लोग खिसियई के माय-माय केवा लाग्या, "यो अतर कायसरु ढोळी लाख्यो? 5 क्योंके यो अतर तो तीन सो चांदी का सिक्काहुंणd से जादा दाम माय बेची के गरीब-गुरबाहुंण के द्यो जई सकतो थो।" अने वी इनी बइरा पे खिजवा लाग्या।
6 पण ईसु ने क्यो, "उके छोड़ी लाखो, उके कायसरु परेसान करो हो? उने तो म्हारा गेले भलई करी हे। 7 e क्योंके गरीब-गुरबाहुंण तो सदा तमारा गेले रे हे, अने जदे तम चावो जदे उणका गेले भलई करी सकता हो, पण हूं तमारा गेले सदा नी रुंवां। 8 जितरो वा करी सकती थी, उने कर्यो, उने म्हारा गाड़्या जावा सरु पेलांज से म्हारी काया पे अतर मळ्यो हे। 9 हूं तमार से सांची कूं के आखा जगत माय जां कंई सुब-समिचार को परचार होयगा, वां इनी बइरा का इना काम को बखाण बी इकी रियाद माय कर्यो जायगा।"
ईसु के पकड़वाणे सरु तय्यार
(मत्ती २६.१४-१६; लूका २२.३-६)
10 इका बाद यहूदा इस्करियोती जो बारा चेलाहुंण माय से एक चेलो थो मुख-पुरोहित कने ग्यो के उके उणका हाते पकड़वई लाखे। 11 अने जदे उणने यो सुण्यो तो वी खुस हुई ग्या, अने उके रुप्या देवा को बचन द्यो। तो उ बखत की हेर माय र्यो के उके कसतरे पकड़वई लाखे
फसह-भोज की तय्यारी
(मत्ती २६.१७-२५; लूका २२.७–१४, २१–२३; योहन १३.२१–३०)
12 बिना खमीर का रोटा का परब का पेलां दन, जदे फसह का मेमणा को बलिदान कर्यो जातो थो तो उका चेलाहुंण ने उकासे पुछ्यो, "तू कां चावे के हम जई के थारा सरु फसह खावा की तय्यारी करां?"
13 उने अपणा चेलाहुंण माय से दो के या कई के मोकल्या, "नगर माय जाव, अने एक मनख पाणी को गागर्यो उठाड़ी के लातो होयो तमारे मिळेगा; उका पाछे हुई जावजो; 14 अने जां उ जावे, उना घर का मालेख से किजो, 'गरु के हे, "म्हारा पांमणाहुंण के रुकवा की जगा कां हे जेका माय हूं अपणा चेलाहुंण का गेले फसह खउं?" 15 उ खुद तमारे एक बड़ी सजी-सजई अदरे की कोठड़ी दिखाड़ेगा, वां हमारा सरु तय्यारी करजो।"
16 चेला चल्या ग्या अने नगर माय जई के जसो ईसु ने क्यो थो वसोज मिळ्यो, अने उणने फसह की तय्यारी करी।
17 जदे सांझ हुई तो उ बारा चेलाहुंण का गेले आयो। 18 f अने जदे वी बेठिके जिमी र्या था, तो ईसु ने क्यो, "हूं तमार से सांची कूं, तमारा माय से एक हे - जो म्हारा गेले जिमी र्यो हे - म्हारे पकड़वायगा।"
19 वी उदास हुई ग्या अने एक-एक करी ने उकासे पुछवा लाग्या, "कंई उ हूं हे?"
20 अने उने उणकासे क्यो, "उ बारा चेलाहुंण माय से एक हे जो म्हारा गेले एकज परात माय खाय हे। 21 क्योंके हूं मनख को बेटो, जसो म्हारा बारामें लिख्यो हे, ठीकज हे; पण धिक्कार उना मनख पे जेका से हूं मनख को बेटो पकड़वायो जउं हे! उना मनख सरु भलो होतो अगर उको जनमीज नी होतो।"
परभु-भोज
(मत्ती २६.२६-३०; लूका २२.१४–२०; १ कुरिन्थिहुंण ११–२३-२५; योहन १३.२१–३०)
22 जदे वी जिमी र्या था, उने रोटो ल्यो अने आसीस मांगी के तोड़्यो अने चेलाहुंण के दई के क्यो, "इके लो; या म्हारी काया हे।"
23 फेर उने कटोरो ल्यो अने धन्यबाद करिके उणके द्यो अने उना सगळा ने उका माय से प्यो। 24 g जदे उने उणकासे क्यो, "यो करार को म्हारो उ लोई जो नरा लोगहुंण सरु बिवाड़्यो जाय हे। 25 हूं तमार से सांची कूं, हूं अंगूर को रस उना दन तक पाछो कदी नी पिउंवां, जदत्तक परमेसर का राज माय नवो नी प्यूं।"
26 भजन गावा का बाद वी जेतून परबत पे चल्या ग्या।
ईसु ने पतरस का इनकार की भविसबाणी करी
(मत्ती २६.३१-३५; लूका २२.३१-३४; योहन १३.३६–३८)
27 h जदे ईसु ने उणकासे क्यो, "तम सगळा ठोकर खावगा, क्योंके यो लिख्यो हे, 'हूं ग्वाळा के मारुंवां, अने गाडरहुंण तित्तर-बित्तर हुई जायगा।' 28 i पण हूं जिन्दो होवा का बाद तमार से पेलां, हूं गलील परदेस जउंवां।"
29 पतरस ने उकासे क्यो, "चाये सगळा छोड़ी लाखे तो छोड़ी लाखे, हूं नी छोड़ुंवां।"
30 जदे ईसु ने उकासे क्यो, "हूं थार से सांची कूं: आजज राते मुरगा का दो कावा बांग देवा से पेलां तू खुद तीन कावा म्हारे नकारेगा।"
31 पण पतरस दावा से यइज केतो र्यो, "चाय म्हारे थारा गेले मरनो बी पड़े, फेर बी हूं थारे नी नकारुंवां!"
अने वी सगळा चेला यइज बात कई र्या था।
एखला माय पराथना
(मत्ती २६.३६-४६; लूका २२.३९–४६)
32 अने वी 'गतसमनी' नामकी जगा माय आया; अने उने अपणा चेलाहुंण से क्यो, "तम यां बेठ्या रो, जदत्तक हूं पराथना करूं।" 33 अने उने अपणा गेले पतरस, याकूब अने योहन के ल्या, अने उ घणोज दुःखी अने ब्याकुळ होवा लाग्यो। 34 अने उने उणकासे क्यो, "म्हारो हिरदो घणो उदास हे, यां तक के हूं मरवा पे हूं। यांज रुको अने जागता रो।"
35 फेर उ उणकासे थोड़ोक अगड़े बड़्यो अने जमीन पे पड़ी के पराथना करवा लाग्यो के हुई सके तो, या दुःख की घड़ी टळी जाय। 36 अने उ केवा लाग्यो, "हे अब्बा! हे पिता! थारा सरु सगळो कंई सबगो हे। यो प्यालो म्हार से इकाड़ी करी दे। फेर बी म्हारी नी पण थारी मरजी पूरण होय।"
37 अने उने अई के उणके सोता पाया अने पतरस से क्यो "सिमोन, तू सोइर्यो हे? कंई तू एक घड़ी बी नी जागी सक्यो? 38 जागता अने पराथना करता रो के तम अजमाइस माय नी पड़ो। आतमा तो तय्यार, पण काया कमजोर हे।"
39 अने उने पाछो जई के इनाज सबद्हुंण माय पराथना करी। 40 अने उने पाछो अई के उणके सोता पाया क्योंके उणकी आंखहुंण नीन्द से भरी थी, अने वी नी जाणता था के उके कंई जुवाब दां।
41 फेर उने तीसरी कावा अई के उणकासे क्यो, "कंई तम अबी तक सोइर्या हो अने अराम करी र्या हो? नरो हुई चुक्यो! घड़ी अइगी हे। देखो, हूं मनख को बेटो पापिहुंण का हाते पकड़वायो जउं हे। 42 उठ्याव, चलां! देखो, म्हारो पकड़वाणे वाळो कने हे!"
ईसु के पकड़्यो जाणो
(मत्ती २६.४७-५६; लूका २२.४७–५३; योहन १८.३–१२)
43 जदे उ या कइज र्यो थो तो यहूदा, जो बारा चेलाहुंण माय से एक थो, झट अई पोंच्यो, अने उका गेले तरवारहुंण अने लटठहुंण लई के एक बड़ीमेक भीड़ थी जेके मुख-पुरोहित, सासतरिहुंण अने बुड़ा-हाड़ाहुंण ने मोकल्या था। 44 उका पकड़वाणे वाळा ने या कई के सेलाणी दई थी, के जेको हूं चुम्मो लूं उ ईसुज हे; उके पकड़ी के होसियारी से लई के जावजो।
45 वां पोंची के यहूदा ने झट ईसु कने जई के, क्यो, "रब्बी!" अने उके चुम्यो। 46 जदेज उणने उके पकड़ी के बन्दी बणई ल्यो। 47 इका पे कने उब्या चेलाहुंण माय से एक ने तरवार खेंची के म्हापुरोहित का दास पे चलाड़ी अने उको कान काटी लाख्यो। 48 ईसु ने जुवाब देता होया उणकासे क्यो, "कंई तम तरवार अने लटठहुंण लई के म्हारे बन्दी बणावा आया हो? कंई हूं कईं को डाकू हूं? 49 j हूं तो तमारा गेले हरदन मन्दर माय परबचन द्या करतो थो अने तमने म्हारे नी पकड़्यो, पण यो इकासरु होयो हे के पवित्तर सासत्तर को लिख्यो पूरण होय।"
50 इका पे सगळा चेलाहुंण उके एखला के छोड़ी ने भागी ग्या।
51 एक जुवान उका पाछे-पाछे चली र्यो थो। उ अपणी नांगी काया पे सिरप मलमल को चादर ओड़्यो होयो थो। उणने उके पकड़्यो, 52 पण उ मलमल को चादर छोड़ी के नांगोज भागी ग्यो।
ईसु की पेसी
(मत्ती २६.५७-६८; लूका २२.५४–५५,६३-७१; योहन १८.१३–१४,१९-२४)
53 वी ईसु के म्हापुरोहित कने लई ग्या: अने सगळा मुख-पुरोहित, बुड़ा-हाड़ा अने सासतरी भेळा हुई ग्या। 54 पतरस दूराज दूरा से म्हापुरोहित का आंगणा तक उका पछड़े-पछड़े चल्यो ग्यो थो। उ नेपादारहुंण का गेले बेठिके वां भस्ते तापवा लाग्यो। 55 म्हापुरोहित अने सगळी म्हासबाk ईसु के मारी लाखवा सरु उका बिरोद माय गवा ढुंडवा की कोसिस करता र्या, पण उणके कईं को बी गवा नी मिळ्यो। 56 क्योंके नरा लोगहुंण उका बिरोद माय झुंटी गवई दई र्या था, पण उणकी गवई एक-दूसरा से मिळी नी री थी।
57 जदे थोड़ाक लोग उबा हुई के उका बिरोद माय या गवई देवा लाग्या, 58 l "हमने इके यो केता सुण्यो हे, हूं हातहुंण से बणाया इना मन्दर के ढळ्डई लाखुंवां अने तीन दन माय दूसरो उबो करी दूंवां जो हात को बणायो होयो नी रेगा'।" 59 इका पे बी उणकी गवई एक सरीकी नी थी।
60 फेर म्हापुरोहित उठ्यो अने उने अगड़े अई के ईसु से पुछ्यो, "जो गवई ई लोगहुंण थारा बिरोद माय दई र्या हे कंई तू इको जुवाब नी दे?"
61 पण उ छानो र्यो अने उने कईं को जुवाब नी द्यो। म्हापुरोहित ने पाछो उकासे यो केता होया पुछ्यो, "कंई तू उना धन्य परम परधान परमेसर को बेटो मसीह हे?"
62 m ईसु ने क्यो, हूं हे! अने तम म्हारे मनख का बेटा के सरवसक्तिमान का सुदा हाताड़ी बेठ्यो होयो अने सरग का बादळाहुंण का गेले आता होया देखोगा।"
63 इका पे म्हापुरोहित ने अपणा लतरा फाड़ी के क्यो, "अबे हमारे हजु गवाहुंण की कंई जरुवत? 64 o तम या निंदाn सुणी चुक्या हो। इका पे तमारी कंई राय हे?"
अने उण सगळा ने उके मोत की सजा का लायक दोषी ठेराड़्यो।
65 जदे थोड़ाक उका पे थुकवा लाग्या, अने उकी आंखहुंण पे पट्टी बान्दी के मुक्का मारवा लाग्या अने उकासे केवा लाग्या, "भविसबाणी कर!" अने नेपादारहुंण ने पकड़ी के उका मुन्डा पे थापड़ मार्या।
पतरस ने ईसु के नकार्यो
(मत्ती २६.६९-७५; लूका २२.५६–६२; योहन १८.१५–१८,२५-२७)
66 जदे पतरस निच्चे आंगणा माय थो, तो म्हापुरोहित की दासिहुंण माय से एक वां अई, 67 अने पतरस के भस्ते तापतो देख्यो अने उका पे नगे गड़ई के केवा लागी, "तू बी तो ईसु नासरी का गेले थो।"
68 पण उने मना करता होया क्यो, "हूं नी तो जाणूं अने नीज समजुं के तू कंई कई री हे।" अने उ बायरे ओसारा माय चल्यो ग्यो। इका बाद मुरगा ने बांग दईp।
69 उके देखी के कने उब्या लोगहुंण से वा दासी पाछी केवा लागी, "यो तो उणका दळ माय को एक हे!" 70 पण उने पाछो नकार्यो।
थोड़िक देर बाद जो कने उब्या था उणने पाछो पतरस से क्यो, "पक्कोज तू उणका माय को एक हे, क्योंके तू गलील को हे!"
71 पण उ कोसवा अने सोगन खावा लाग्यो, "हूं इना मनख के जेकी तम चरचा करी र्या हो नी जाणूं!"
72 अने झट मुरगा ने दूसरी कावा बांग दई। जदे पतरस के वा बात जो ईसु ने पतरस से कई थी, रियाद अई, "मुरगा का दो कावा बांग देवा से पेलां तू तीन कावा म्हारे नकारेगा।" अने पतरस रोवा लाग्यो।