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यीशुक सेवा कयनिहारि स्‍त्रीगण सभ
1 तकरबाद यीशु लोक सभ केँ परमेश्‍वरक राज्‍यक शुभ समाचार सुनबैत नगर-नगर आ गाम-गाम घुमऽ लगलाह। हुनका संग हुनकर बारहो शिष्‍य छलनि, 2 और किछु स्‍त्रीगण सभ सेहो, जिनका सभ केँ विभिन्‍न बिमारी आ दुष्‍टात्‍मा सभ सँ स्‍वस्‍थ कयल गेल छलनि। ओहि मे ई सभ छलीह—मरियम, जे मग्‍दलीनी कहबैत छलीह आ जिनका मे सँ सातटा दुष्‍टात्‍मा निकालल गेल छलनि, 3 हेरोद राजाक हाकिम खुसाक स्‍त्री योअन्‍ना, सुसन्‍ना आ आरो बहुत गोटे। ई स्‍त्रीगण सभ अपन व्‍यक्‍तिगत सम्‍पत्ति सँ हुनका सभक सेवा करैत छलीह।
बीया बाउग करऽ वला किसानक दृष्‍टान्‍त
(मत्ती 13.1-17; मरकुस 4.1-12)
4 नगर-नगर सँ लोक सभ यीशु लग आबि रहल छल, और एक दिन जखन बड़का भीड़ हुनका लग जमा भेल तँ ओ ई दृष्‍टान्‍त दऽ कऽ कहलथिन, 5 “एक किसान बीया बाउग करबाक लेल गेल। बीया बाउग करैत काल, किछु बीया रस्‍ताक कात मे खसल, लतखुर्दन भऽ गेल और ओकरा चिड़ै सभ खा लेलकैक। 6 किछु बीया पथराह जमीन पर खसल, आ हाल नहि रहबाक कारणेँ जनमिते सुखा गेल। 7 किछु बीया काँट-कुशक बीच मे खसल, मुदा काँट-कुश सभ सेहो संगे-संग बढ़ि कऽ ओकरा दबा देलकैक। 8 किछु बीया नीक जमीन पर पड़ल। ओ बढ़ि कऽ फड़ल-फुलायल आ सय गुना फसिल देलक।”
ई कहि कऽ ओ जोर सँ बजलाह, “जकरा सुनबाक कान छैक से सुनओ।”
9 तखन हुनकर शिष्‍य सभ एहि दृष्‍टान्‍तक अर्थ पुछलथिन। 10 ओ उत्तर देलथिन, “परमेश्‍वरक राज्‍यक रहस्‍यक ज्ञान अहाँ सभ केँ देल गेल अछि, मुदा दोसर सभक लेल दृष्‍टान्‍ते सभ अछि, जाहि सँ,
‘तकितो ओ देखए नहि,
सुनितो ओ बुझए नहि।’a
दृष्‍टान्‍तक अर्थ
(मत्ती 13.18-23; मरकुस 4.13-20)
11 “दृष्‍टान्‍तक अर्थ ई अछि—बीया परमेश्‍वरक वचन अछि। 12 रस्‍ताक कात मे खसल बीया ओ लोक सभ अछि जे हुनकर वचन सुनैत अछि मुदा शैतान आबि कऽ ओकरा सभक मोन मे सँ ओहि वचन केँ निकालि कऽ लऽ जाइत छैक, जाहि सँ कतौ ओ सभ विश्‍वास कऽ कऽ उद्धार नहि पाबए। 13 पथराह जमीन मे खसल बीया ओ लोक सभ अछि जे परमेश्‍वरक वचन सुनि खुशी सँ ओकरा स्‍वीकार करैत अछि, मुदा ओ वचन ओकरा सभ मे जड़ि नहि पकड़ैत छैक। ओ सभ किछु काल विश्‍वास तँ करैत अछि, मुदा परीक्षाक समय जखन अबैत छैक तँ विश्‍वास केँ छोड़ि दैत अछि। 14 काँट-कुश मे खसल बीया ओ लोक सभ अछि जे सुनैत तँ अछि, मुदा आगाँ जा कऽ जीवनक चिन्‍ता, धन-सम्‍पत्ति और सुख-विलास सभक द्वारा दबाओल जाइत अछि, और ओ सभ कोनो फसिल नहि दैत अछि। 15 मुदा नीक जमीन मे खसल बीया ओ लोक सभ अछि जे नीक और शुद्ध मोन सँ परमेश्‍वरक वचन सुनि कऽ अपना हृदय मे रखैत अछि, और धैर्यपूर्बक नीक फसिल दैत अछि।
सत्‍य झाँपल नहि रहैत अछि
(मरकुस 4.21-25)
16 “केओ डिबिया लेसि कऽ ओकरा तौला सँ नहि झँपैत अछि, आ ने चौकीक तर मे रखैत अछि। ओ ओकरा लाबनि पर रखैत अछि जाहि सँ घरक भीतर आबऽ वला लोक सभ केँ इजोत भेटैक। 17 हँ, कोनो वस्‍तु नुकायल नहि अछि जे प्रगट नहि कयल जायत, आ ने कोनो वस्‍तु गुप्‍त अछि जे जानल नहि जायत और इजोत मे नहि आनल जायत। 18 एहि लेल, अहाँ सभ कोन प्रकारेँ सुनैत छी, ताहि पर नीक जकाँ ध्‍यान दिअ, कारण जकरा किछु छैक, तकरा आरो देल जयतैक, और जकरा नहि छैक, तकरा सँ सेहो लऽ लेल जयतैक जाहि केँ ओ अपन बुझैत अछि।”
असली सम्‍बन्‍ध
(मत्ती 12.46-50; मरकुस 3.31-35)
19 यीशुक माय और भाय सभ हुनका सँ भेँट करबाक लेल अयलाह, मुदा भीड़क कारणेँ हुनका लग नहि पहुँचि सकलाह। 20 तँ हुनका लग कहा पठाओल गेलनि जे, “अहाँक माय और भाय सभ बाहर ठाढ़ छथि, अहाँ सँ भेँट करऽ चाहैत छथि।” 21 एहि पर यीशु उत्तर देलथिन, “हमर माय और भाय ओ सभ छथि जे सभ परमेश्‍वरक वचन सुनैत छथि और ओहि अनुसार चलैत छथि।”
अन्‍हड़-बिहारि पर यीशुक अधिकार
(मत्ती 8.23-27; मरकुस 4.35-41)
22 एक दिन यीशु अपना शिष्‍य सभक संग नाव मे चढ़लाह आ कहलथिन, “झीलक ओहि पार चलू।” ओ सभ नाव खोलि देलनि। 23 किछु बढ़लाक बाद यीशु सुति रहलाह। एकाएक झील मे भयंकर अन्‍हड़-बिहारि आयल। नाव मे पानि भरऽ लागल, और ओ सभ बड़का विपत्ति मे पड़ि गेलाह। 24 शिष्‍य सभ यीशु केँ जगा कऽ कहलथिन, “मालिक, यौ मालिक, अपना सभ डुबऽ पर छी!” ओ उठि कऽ अन्‍हड़-बिहारि और लहरि केँ डँटलथिन। अन्‍हड़-बिहारि बन्‍द भऽ गेल, आ सभ किछु शान्‍त भऽ गेलैक। 25 तखन ओ अपना शिष्‍य सभ सँ पुछलथिन, “अहाँ सभक विश्‍वास की भऽ गेल?” ओ सभ भयभीत और आश्‍चर्यित भऽ एक-दोसर केँ कहऽ लगलाह, “ई के छथि? हवा और पानि केँ सेहो आज्ञा दैत छथिन तँ ओ मानैत छनि!”
दुष्‍टात्‍मा पर यीशुक अधिकार
(मत्ती 8.28-34; मरकुस 5.1-20)
26 जाइत-जाइत यीशु और हुनकर शिष्‍य सभ गिरासेनी सभक इलाका मे पहुँचलाह, जे गलील प्रदेशक सामने झीलक ओहि पार अछि। 27 यीशु जखने कछेर पर उतरलाह तँ ओहि शहरक एक आदमी भेटलनि जकरा दुष्‍टात्‍मा लागल छलैक। ई आदमी बहुत दिन सँ कपड़ा-लत्ता नहि पहिरैत छल, और घर मे नहि रहि कऽ कबरिस्‍तान मे रहैत छल। 28 यीशु केँ देखिते ओ जोर सँ चिकरल, हुनका पयर पर खसलनि, और जोर-जोर सँ कहलकनि, “यौ परम परमेश्‍वरक पुत्र यीशु! हमरा सँ अपने केँ कोन काज? हम विनती करैत छी जे हमरा दुःख नहि दिअ!” 29 ओ ई बात एहि लेल कहलकनि जे यीशु दुष्‍टात्‍माb केँ ओकरा मे सँ बहरयबाक आज्ञा देने छलथिन। ओ दुष्‍टात्‍मा ओकरा बहुत बेर पकड़ने छलैक, और लोक ओकरा जिंजीर सँ हाथ-पयर बान्‍हि कऽ पहरा मे रखैत छल, मुदा ओ जिंजीर सभ केँ तोड़ि-ताड़ि लैत छल, और दुष्‍टात्‍मा ओकरा सुन-सान क्षेत्र सभ मे लऽ जाइत छलैक।
30 यीशु ओकरा सँ पुछलथिन, “तोहर नाम की छह?” ओ उत्तर देलकनि, “सेना” कारण, ओकरा मे बहुते दुष्‍टात्‍मा वास करैत छलैक। 31 दुष्‍टात्‍मा सभ हुनका सँ विनती करऽ लागल जे, हमरा सभ केँ “अथाह कुण्‍ड” मे जयबाक आज्ञा नहि दिअ।
32 ओहिठाम पहाड़ पर सुगरक बड़का झुण्‍ड चरि रहल छल। दुष्‍टात्‍मा सभ विनती कयलकनि जे, हमरा सभ केँ ओहि सुगर सभ मे जयबाक अनुमति दऽ दिअ। तँ यीशु अनुमति दऽ देलथिन। 33 तखन दुष्‍टात्‍मा सभ ओहि आदमी मे सँ निकलि कऽ सुगर सभ मे चल गेल। सुगरक पूरा झुण्‍ड दौड़ि कऽ पहाड़ पर सँ झील मे खसल और डुबि कऽ मरि गेल।
34 सुगर चराबऽ वला सभ ई देखि तुरत भागि गेल और नगर आ देहातो मे एहि घटनाक बारे मे सुनौलक। 35 एहि पर लोक सभ देखबाक लेल आयल, और यीशु लग जखन पहुँचल तँ देखैत अछि जे ओ आदमी जकरा मे सँ दुष्‍टात्‍मा निकलि गेल छल, से कपड़ा पहिरने आ स्‍वस्‍थ मोने हुनका पयर लग बैसल अछि। ई देखि ओ सभ भयभीत भऽ गेल। 36 जे सभ ई घटना देखने छल, से सभ ओहि लोक सभ केँ सुनौलकैक जे दुष्‍टात्‍मा लागल आदमी कोना स्‍वस्‍थ कयल गेल। 37 गिरासेनी सभक क्षेत्रक सम्‍पूर्ण परोपट्टाक लोक सभ केँ तेहन डर भऽ गेलैक जे ओ सभ यीशु सँ विनती करऽ लगलनि जे, अहाँ एतऽ सँ चल जाउ। एहि पर यीशु नाव मे चढ़ि कऽ घूमि गेलाह।
38 जाहि आदमी मे सँ दुष्‍टात्‍मा निकलि गेल छलैक, से यीशु सँ विनती कयलकनि जे, अपना संग हमरो चलऽ देल जाओ। मुदा यीशु ओकरा ई कहि कऽ विदा कयलथिन जे, 39 “तोँ घर चल जाह, और परमेश्‍वर तोरा लेल कतेकटा काज कयलथुन से सभ केँ सुनाबह।” तखन ओ आदमी चल गेल, और यीशु ओकरा लेल जे-जतेक कयने रहथिन से सौंसे शहर मे लोक केँ सुनाबऽ लागल।
मरल बच्‍ची और दुखिताहि स्‍त्री
(मत्ती 9.18-26; मरकुस 5.21-43)
40 यीशु जखन झीलक एहि पार फेर पहुँचलाह तँ बड़का भीड़ जे एहि पार घूमि अयबाक हुनकर बाट ताकि रहल छलनि, से सभ हुनकर स्‍वागत कयलकनि। 41 तखने याइरस नामक एक आदमी यीशु लग अयलाह, जे सभाघरक अधिकारी छलाह। ओ यीशुक पयर पर खसि कऽ हुनका सँ आग्रह करऽ लगलथिन जे, हमरा ओतऽ चलल जाओ। 42 कारण, हुनकर एकमात्र बेटी, जे बारह वर्षक छलि, मरऽ-मरऽ पर छलि।
रस्‍ता मे चलैत काल लोकक रेड़म-रेड़ा सँ यीशु पिचाय लगलाह। 43 भीड़ मे एक स्‍त्री छलि, जे बारह वर्ष सँ खून खसऽ वला रोग सँ पीड़ित छलि आ अपन सभ सम्‍पत्ति इलाजक पाछाँ वैद्य केँ दऽ देने छलि, मुदा ओकरा केओ नहि स्‍वस्‍थ कऽ सकल छल। 44 ओ पाछाँ सँ आबि यीशुक वस्‍त्रक कोर छुबि लेलक, और ओकर खून खसनाइ तुरत बन्‍द भऽ गेलैक। 45 यीशु पुछलथिन, “हमरा के छुलक?” जखन सभ केओ अस्‍वीकार कयलक तँ पत्रुस कहलथिन, “यौ मालिक, अहाँ तँ भीड़ सँ घेरल छी आ लोक सभ चारू कात सँ अहाँ केँ पिचि रहल अछि!”
46 मुदा यीशु कहलथिन, “नहि, केओ हमरा छुलक अछि। हम जनैत छी जे हमरा मे सँ सामर्थ्‍य बहरायल अछि।”
47 ओ स्‍त्री जखन देखलक जे हम नुकायल नहि रहि सकैत छी तँ कँपैत आबि यीशुक पयर पर खसलि, और सभ लोकक सामने कहि सुनौलकनि जे हुनका किएक छुलकनि आ कोना तुरत्ते स्‍वस्‍थ भऽ गेल। 48 तखन यीशु ओकरा कहलथिन, “बेटी, तोहर विश्‍वास तोरा स्‍वस्‍थ कऽ देलकह। शान्‍तिपूर्बक जाह।”
49 यीशु ई बात कहिए रहल छलथिन कि सभाघरक अधिकारी याइरसक घर सँ एक गोटे आयल और याइरस केँ कहलकनि, “अहाँक बच्‍ची नहि रहल। आब गुरुजी केँ आरो कष्‍ट नहि दिऔन।”
50 ई बात सुनला पर यीशु याइरस केँ कहलथिन, “अहाँ डेराउ नहि, मात्र विश्‍वास राखू—अहाँक बेटी ठीक भऽ जायत।”
51 याइरसक ओहिठाम पहुँचला पर यीशु पत्रुस, यूहन्‍ना, याकूब और बच्‍चीक माय-बाबू केँ छोड़ि आरो ककरो अपना संग घरक भीतर नहि आबऽ देलथिन। 52 सभ केओ बच्‍चीक लेल विलाप कऽ रहल छल, मुदा यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “नहि कानू! ओ मुइल नहि, सुतल अछि।” 53 एहि पर लोक सभ हुनका पर हँसऽ लागल, कारण ओ सभ जनैत छल जे बच्‍ची मरि गेल अछि।
54 मुदा यीशु बच्‍चीक हाथ पकड़ि कऽ कहलथिन, “बौआ! उठ!” 55 बच्‍चीक प्राण घूमि अयलैक और ओ तुरत ठाढ़ भऽ गेल। यीशु आदेश देलथिन जे ओकरा किछु खाय लेल देल जाय। 56 ओकर माय-बाबू आश्‍चर्य-चकित भेलाह, मुदा यीशु हुनका सभ केँ आज्ञा देलथिन जे एहि घटनाक विषय मे ककरो संग चर्चा नहि करू।