रोमी सम्राट धैं पौलुसकि अपील
(प्रेरितों २५:१-१२)
25
1 राजपाल फेस्तुस कैसरिया मिं उणक तीन दिन बाद यरुशलेम गो। 2 वां याजकोंक सैपोंल और यहूदियोंक खाश मैंसोंल पौलुस मिं दोष लगैबेर फेस्तुस धैं बिनती करिबेर कौ, 3 "तुम पौलुस कैं यरुशलेम भिजवै दियो।" किलैकि उं उकैं बॉट मिं मारणक विचार मिं छी। 4 लेकिन फेस्तुसल कौ, "उ कैसरियाक जेल मिं बन्द छु, और खुद मी लै वां जल्दी जाणी छूं। 5 यैक लिजी तुमुमिंबे खाश मैंस म्यर दगाड़ हिटो, और अगर वील के गलत काम करि रॉखी, तब वां उमिं दोष लगाओ।" 6 तब फेस्तुस आठ-दस दिनक बाद वापिस कैसरिया आ। दुसर दिन दरबार मिं भैबेर वील पौलुस कैं सभाक सामण ल्युणक हुकुम दे।7 जब पौलुस सभाक सामण आ, तब यरुशलेम बे आइ यहूदियोंल वीक चारों तरफ ठॉड़ हबेर यॉस दोष लगाईं जनर उनरै पास के सबूत नि छी। 8 तब पौलुसल आपण बचाव मिं कौ, "मील न तो यहूदियोंक नीमों कैं टोड़ौ, न परमेश्वरक भवन कैं अशुद्ध बणा, और न सम्राटक खिलाफ के बात कै।"
9 तब फेस्तुसल यहूदियों कैं खुशि करणक मंशाल पौलुस धैं कौ, "के तु चांछै कि मी यौं दोषोंक न्याय यरुशलेम मिं करुं?" 10 पर पौलुसल कौ, "मी सम्राटक अदालत मिं ठॉड़ छूं, म्यर फैसॉल यैं हुण चैं। तुम लै भली कै जाणछा, कि मील यहूदियोंक के लै नि बिगाड़ रॉख। 11 अगर मी दोषी छूं, और मील मौतक सजाक लैक के कसूर करि रॉखौ, तब मी मरणक लिजी तैय्यार छूं। लेकिन इनार लगाई दोष एक लै सांचि न्हैं। यैक लिजी मिकैं क्वे लै इनर हात मिं नि सौंप सकन। मी सम्राट धैं अपील करनू!"
12 तब फेस्तुसल आपण राय दिणिवॉलोंक दगाड़ चर्चा करणक बाद पौलुस धैं कौ, "त्वील सम्राट धैं अपील करि रॉखी, ऑब तु वीकै सामण ठॉड़ ह्वलै।"
रॉज अग्रिप्पाक सामण पौलुसक पेशी
(प्रेरितों २५:१३-२७)
13 यैक बाद जब भौत दिन है ग्याय तब रॉज अग्रिप्पा और वीकि बैणि बिरनीकेल कैसरिया मिं ऐबेर फेस्तुस कैं पैलाग करौ। 14 जब उनुकैं वां थ्वाड़ दिन है ग्याछी, तब फेस्तुसल पौलुसक मुकरदम रॉजक सामण पेश करिबेर कौ, "यां एक मैंस छु, जकैं फेलिक्स छोड़ि जै रौ। 15 और जब मी यरुशलेम मिं छी, तब वां याजकोंक सैप और यहूदियोंक खाश नेताओंल वीक खिलाफ दोष लगैबेर बिनती करी कि उकैं सजा दी जाओ। 16 मील उनुकैं जबाब दे, "रोमियोंक यौ नीम छु कि जब तलक दोषी कैं उमिं आरोप लगूणियोंक सामण आपण बचाव मिं बुलाणक मौक नि मिलि जॉन, तब तलक उकैं सजाक लिजी नि सौंपीं जॉन। 17 यैक लिजी जब उं यां आईं तब मील दुसरै दिन अदालत मिं उ मैंस कैं ल्युणक हुकुम दे। 18 तब उमिं आरोप लगूणयोंल उमिं यॉस क्वे दोष नि लगाय जस मील सोचि रॉखछी। 19 लेकिन उनर मन-मुटाव वीक दगाड़ आपण धर्मक थ्वाड़ बातों कैं लिबेर और यीशु नामक एक मैंसक कारणल छु जो मरि गो, लेकिन पौलुस वीक ज्यून हुणक दाव करुं। 20 और म्यर समझ मिं यौ नि उणय, कि यौं बातोंक पुछ-ताछ कसिक करि जाओ। यैक लिजी मील उधैं पुछौ, "के तु यरुशलेम जाणक लिजी तैय्यार छै, जां त्यर यौं सब बातोंक फैसॉल करी जाओ?" 21 लेकिन वील यौ अपील करी कि सम्राटकै जरियल म्यर फैसॉल हो, और तब तलक मी यौ जेलै मिं रुं। यैक लिजी मील हुकुम दे कि जब तलक मी उकैं सम्राटक सामण नि भेजुं, तब तलक उ यैं जेल मिं रओ।"
22 यौ सब बात सुणिबेर अग्रिप्पाल फेस्तुस धैं कौ, "मी यैक बात सुणन चांनू।" 23 यैक लिजी जब दुसर दिन अग्रिप्पाल और वीकि बैणि धूम-धामल सेनाक सैपोंक और नगरॉक खाश मैंसोंक दगाड़ सभा-घर मिं आईं, तब फेस्तुसल हुकुम दिबेर पौलुस कैं बुलवा। 24 फिर फेस्तुसल कौ, "महारॉज अग्रिप्पा और सब मैंसो, यौ मैंस कैं देखो, यैक बारि मिं सब यहूदियोंल यरुशलेम मिं और यां लै जोर-जोरल गुजारिश करिबेर मिधैं कौ, कि यौ मैंसक ज्यून रुण ऑब ठिक न्हैं। 25 पर मील जाणि है कि यैल मौतक सजाक लैक क्वे कसूर नि करि रॉखछी। और यैल खुद सम्राट धैं अपील करि रॉखी, यैक लिजी मील यकैं सम्राटक पास भेजण छु। 26 लेकिन म्यर पास यैक बारि मिं सम्राट कैं लिखणक लिजी के न्हैं। यैक लिजी मी यकैं तुम सबोंक, खाश कैबेर रॉज अग्रिप्पा, तुमर सामण ल्यै रयूं कि तुमर सामण पुछ-ताछ करणक बखत मिकैं लिखणक लिजी के गलती मिलि जाओ। 27 किलैकि मिकैं यौ ठिक नि लागन कि मी क्वे बन्दी कैं वीक दोषक चिट्ठी तैय्यार करी बिना सम्राटक पास भेजुं।"