परबु पाछो आवलो
3
1 ह म्हारा प्यारा भायलाओ, अब म थान्अ यो दूसरो कागद लिखूं छु, अर दोन्या मं थान्अ याद करवार थांका पवितर मन न्अ उकसाउं छु, 2 क थे बां बाता न्अ याद करो ज्यो परमेसर की ओड़ी सुं बोलबाळा पवितर सेवक पेलीसुंई खिया छ, परबु अर उद्धार करबाळा का खिया न्अ याद करो, जीन्अ थांका थरपेड़ा सेवक बताया छा। 3 aपेली थे या जाणल्यो क आखरी दना मं हंसी-ठिटोळी करबाळा आवला, ज्यो खुदकी बुरी लाळसा सुं चाल्अला। 4 अर खेवला, “मसी का आबाकी परतिज्ञा को कांई होयो? क्युं क बाप-दादा मरया जद्‍या सुं सब बियान् ही छ जस्यान को संसार बणाबा की बगत मं छो।”
5 पण वे तो जाण-बूझर या भूलग्या क परमेसर का बचन सुं सुरू सुं लेर अबार ताणी आम्बर मोजूद छ, अर धरती पाणी मं सुं बणी अर पाणी माळ्अ ठेरेड़ी छ। 6 ई बजे सुंई बी जमाना को संसार पळा सुं खतम होग्यो। 7 पण अबार को आम्बर अर धरती बी बचन सुंई रांखेड़ी छ क बाळी जाव्अ, अर या बना भगती का मनखा का न्याय अर खतम करबा का दन ताणी अस्यान ही रांखी जाव्अली।
8 पण प्यारा भायलाओ, ई बात न्अ मत भूलो क परबु क ताणी एक दन हजार बरस क बराबर छ, अर हजार बरस एक दन क बराबर छ। 9 परबु खुदकी परतिज्ञा का बारा मं उंघ्अ कोन्अ, जस्यान कोई समझ्अ छ, पण थांकी बजेसुं थावस रांख्अ छ अर या कोन छाव्अ क कोई नास हो जाव्अ, पण सबळा न्अ पछतावो करबा को मोको मल जाव्अ।
10 bपण परबु का पाछा आबा को दन चोर की जस्यान आवलो। बी दन आम्बर जोरसुं गाजर जातो रेव्अलो, अर आम्बर का तारा पघळ जाव्अला, अर धरती अर बीक्अ माळ्अ का काम बळ जाव्अला।
11 जद्‍या ये चीजा अस्यान पघळबाळी छ, तो थान्अ पवितर चाल-चलण मं अर भगती मं जन्दगी जीणी चायजे। 12 अर थान्अ परमेसर का न्याय का दन की बाठ नाळणी चायजे, अर बीन्अ बेगो ल्याबा बेई जोरी करता रेवो। जीक्अ आबासुं आम्बर आग मं पघळ जाव्अलो, अर आम्बर का तारा खूब तपर गळ जाव्अला। 13 cपण म्हे परमेसर की परतिज्ञा की जस्यान एक नयो आम्बर अर नयी धरती की आस राखर बाठ नाळर्या छा, जिम्अ धरमीपणो बसअलो।
14 अस्यान, हे प्यारा भायलाओ, जद थे यां बाता की आस राखर बाठ नाळर्या छो, तो कोसिस करो क बीक्अ साम्अ सान्ति सुं, बना खोट अर बना लाछण लाग्या रेवो। 15 अर आपणा परबु की थावस न्अ उद्धार समझो, जस्यान आपणो लाड़लो भाई पौलुस बी थान्अ बी ज्ञान सुं माण्ढ्यो छ, ज्यो बीन्अ मल्यो छ। 16 वस्यान ई वो खुदका कागदा मं बी यां बाता का बारा मं बतायो छ, ज्यां मं केई बाता असी छ ज्यांन्अ समझबो कळ्डो छ, अर नासमझ अर डामाडोळ मनख या बाता को अर्थ बी पवितर सास्तर की दूसरी बाता की जस्यान खींच-ताणर खूदका नास को कारण बणाव्अ छ।
17 अस्यान ह प्यारा भायलाओ, थे यां बाता न्अ पेलीसुंई जाणर साउचेत रेवो, जिसुं अधर्मया की गलत्या मं फसर खुदकी बणेड़ी ठोर सुं हाथ कोन धो बेठो। 18 पण आपणा परबु अर उद्धार करबाळा की दीया अर पेचाण मं बढ़ता जावो।
बीकी महमा अबार सुं लेर जुग-जुग ताणी होती रेव्अ। आमीन।