पतरस को दूसरो कागद
नमस्कार
1
1 यो कागद समौन पतरस की ओड़ी सुं छ, ज्यो ईसु मसी को दास अर खास थरपेड़ो छु, बां मनखा क नांऊ ज्यो आपणा परमेसर अर उद्धार करबाळा ईसु मसी की धार्मिकता सुं म्हाकी जस्यान घणो मेंगामोल को बस्वास पाया छ।
2 परमेसर की अर म्हाका परबु ईसु की पेचाण सुं दीया अर सान्ति थाम्अ खूब बढ़ती जाव्अ।
परमेसर को बलावो अर टाळबो
3 क्युं क परमेसर की तागत सब कुछ ज्यो जन्दगी अर भगती सुं नातो राख्अ छ, आपान्अ बीकी पेचाण सुं दियेड़ी छ। ज्यो आपान्अ खुदकी मेमा अर सदगुणा की जस्यान बलायो छ। 4 ज्यांसुं वो आपान्अ घणी मेंगी अर घणी बड़ी परतिज्ञा दियो छ, क जिसुं थे बी बराई सुं छूटर, ज्यो संसार की बरी लालसा सुं होव्अ छ, परमेसर का सुभाव का सीरी हो जावो।
5 ई बजेसुं थे खुब मेनत करर जोरी करो क थे थांका बस्वास न्अ बढ़ा सको, बस्वास सुं सद्गुणा न्अ, सद्गुणा सुं समझ न्अ, 6 अर समझ सुं खुद प्अ काबु पाबा न्अ, अर खुद प्अ काबु पाबा सुं धीरज न्अ, अर धीरज सुं भगती न्अ, 7 अर भगती सुं भाईचारो, अर भाईचारा सुं परेम। 8 क्युं क ये बाता थाम्अ बणी रेव्अ अर बढ़ती जाव्अ, तो थान्अ म्हाका परबु ईसु मसी क जरिये पेचाण्या जाबा मं बनाकाम का, अर बना फळ का कोन्अ होव्अला। 9 क्युं क जिम्अ ये बाता कोन्अ, वो आंधो छ, अर बीन्अ धुंधळो दिख्अ छ, अर वो खुदका पापा सुं धुपर पवितर होबा न्अ भूलग्यो।
10 ई बजेसुं ह भायाओ, खुदका बलाबा न्अ, अर टाळबा न्अ पाको करबा की पूरी जोरी करता जावो, क्युं क अस्यान करअला तो कद्‍या बी ठोकर कोन खावला। 11 पण अस्यान थे आपणा परबु अर उद्धार करबाळा ईसु मसी का सदामेस का राज मं बड़ा मान की लार उळ्अला।
12 अर ज्यो थे यां बाता न्अ जाणो छो, अर ज्यो सांचो बचन थान्अ मल्यो छ बीम्अ बण्यारेवो छो, फेरभी म थान्अ यां बाता न्अ याद दुवाबा बेई सदाई त्यार रेऊ छु। 13 म ई बात न्अ ठीक समझुं छु क जद्‍या ताणी म ई काया मं छु थान्अ याद दुवार उकसातो रेऊलो। 14 क्युं क म या जाणूं छु क ई काया की खतम हेबा की बगत सांकड्अ छ, जस्यान आपणो परबु ईसु मसी मन्अ बतायो छ। 15 ई बजेसुं म असी जोरी करूलो क म्हारअ मरया पाछ्अ यां सब बाता न्अ थे सदाई याद रांख सको।
मसी की मेमा का आंख्या देख्या गुवा
16 क्युं क जद म्हे थान्अ आपणा परबु ईसु मसी की तागत अर आबा को समचार दिया छा, तो यो मनघड़न्त कथा-कहाणी की जस्यान कोन्अ छो, पण म्हे खुद बीकी मेमा न्अ आंख्या देख्या छा। 17 aक्युं क जद वो पिता परमेसर सुं मान अर मेमा पायो, अर बी परतापी मेमा मं सुं या बोली सुणाई दी, “यो म्हारो लाड़लो छोरो छ, जिसुं म गाडो राजी छु।” 18 फेर म्हे बी पवितर डुंगर माळ्अ बीकी लार छा, तो सरग सुं या बाणी आती सुणाई दी।
19 आपा कन्अ परमेसर की ओड़ी सुं बोलबाळा को ज्यो बचन छ, वो इसुं सांचो ठेरग्यो। थे यो चोखो करो छो ज्यो या समझर बी माळ्अ ध्यान देवो छो क वो एक दियो छ, ज्यो अन्धेरी ठोर मं बी बगत ताणी उजाळो देव्अ छ जद्‍या ताणी दन कोन उग्अ अर सुंवारअ को तारोb थांका हीया मं कोन चमक्अ। 20 पण पेली या जाणल्यो क पवितर सास्तर की परमेसर की ओड़ी सुं बोलबाळा की बात कोई का सोच-बच्यार सुं पूरी कोन होव्अ। 21 क्युं क कोई बी परमेसर की ओड़ी सुं बोलबाळा की बात मनखा की मनसा सुं कद्‍या बी कोन होई, पण पवितर-आत्मा सुं उकसायेड़ा भगत परमेसर की ओड़ी सुं बोल्अ छा।