आजाद बण्यारेवो
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1 मसी आपान्अ आजाद कर्यो छ, क आजादी को मजो ले सका। जिसुं खुदका बस्वास न्अ गाढो बणाया रखाणो अर फेर पाछा मूसा का निमा का जुड़ा को बोझ मत उठाओ। 2 सुणो! म खुद पौलुस थान्अ या खेर्यो छु क ज्यो थे बस्वास कर्या पाछ्अ थांको खतनो कराबा जावो तो थांक्अ बेई मसी को कोई मतलब कोन्अ। 3 खुदको खतनो कराबाळा सबळा मनखा न्अ म एकबार फेर चतार्यो छु क उंको मूसा का सबळा निमा प चालबो जरूरी छ। 4 थाम्अ सुं जतरा बी मनख मूसा का निमा न्अ मानबा की बजेसुं परमेसर क साम्अ धरमी होबो छाव्अ छ, वे सबळा मसी सुं आंतरअ होग्या अर परमेसर की दीया सुं बारअ छ। 5 पण आपा बस्वास सुं परमेसर क साम्अ धरमी होबा की आस रखाणा छा अर परमेसर की आत्मा की सामर्थ सुं आपा धरमी होबा की बाठ नाळर्या छा। 6 क्युं क मसी ईसु मं गठजोड़ सुं खतनो कराबा को अर कोन कराबा को कोई मतलब कोन्अ, पण उं बस्वास को ही मतलब छ जिम्अ परेम होव्अ छ।7 थे तो घणा चोखा तरीका सुं मसी मं जन्दगी काटर्या छो। अब अस्यो कांई छ ज्यो थान्अ सत प चालबा सुं रोकर्यो छ। 8 असी मत्ती ज्यो थान्अ सांच सुं आंतरअ कर'री छ, थान्अ बलाबाळा परमेसर की ओड़ी सुं कोन आई। 9 aसावचेत रेवो “चन्योक खमीर गुंदेड़ा सबळा चून न्अ खमीर बणा देव्अ छ।” 10 परबु मं मन्अ थाप्अ पूरो भरोसो छ क थे कस्या बी दूसरा पंथ न्अ कोन मान्अला, पण थान्अ भरमाबाळो चाये कोई बी हो उन्अ परमेसर सुं चोखो डण्ड मल्अलो। 11 अर भायाओ, आज बी एकात मनख म्हारअ उपरअ लांछण लगारया छ क म खतना को परचार करू छु तो मन्अ हालताणी बी क्युं सतारया छ? अर ज्यो म हालताणी बी खतना को परचार करू छु तो मसी का करूस की बजेसुं पदा होई म्हारी सबळी रुकावटा खतम हे जाणी चायजे। 12 म तो चाऊ छु क ज्यो थान्अ खतना का बारा मं भरमाव्अ तो खतनो कराबा की लार-लार खुदका अंग न्अ बी काट लेता।
13 ओ भायाओ परमेसर थान्अ आजाद रेबा बेई थरप्यो छ। पण उं आजादी न्अ काया की मन्सा पूरी करबाळो साधन मत बणबा द्यो, पण परेम की बजेसुं आमा-सामा एक-दूसरा की सेवा करो। 14 क्युं क मूसा का सबळा निमा को नचोड़ ई एक बात मंई छ, क “खुदकी लारहाळा सुं अस्यान'ई परेम करो जस्यान थे खुदसुं करो छो।” 15 अर ज्यो आमा-सामा काट करता होया थे एक-दूसरा क बटका भरता रेव्अला तो देखो! थे आमा-सामा ई एक-दूसरा न्अ नास कर देव्अला।
मनख को सुभाव अर परमेसर की आत्मा
16 पण म खेऊ छु क परमेसर की आत्मा का खिया की ज्यान चालो अर पापी सुभाव की मनसा पूरी मत करो। 17 bक्युं क मनख को पापी सुभाव अर पवितर-आत्मा की मनसा एक-दूसरा सुं उल्टी होव्अ छ। यांक्अ आम्अ-साम्अ बेर होव्अ छ। जिसुं थे ज्यो करबो छावो छो वो कोन कर सको। 18 अर ज्यो थे पवितर-आत्मा का खिया मं चालता तो फेर मूसा का निमा की गुलामी मं कोन रेता।
19 अब देखो! आपणी काया का पापी कामा न्अ तो सबळा जाण्अ छ। वे ये छ, वेभीचार, अपवितरता, भोग-बिलास, 20 मूर्ति पुजबो, जादू-टोणा, बेरभाव, लड़ाई-झगड़ा, बळ्यामरबो, रोष, मतलबी, फूट, अधर्म, 21 मन मं रोष, नसो, रंगरेळ्या अर अस्यान की ई ओर बाता बी म थान्अ बतायो छो। अब म थान्अ या बाता का बारा मं चतार्यो छु क ज्यो मनख अस्यान की बाता मं लार रेवला, वे परमेसर का राज को वारिस कोन होव्अला।
22 पण पवितर-आत्मा का फळ परेम, आण्द, सांति, थरचा, दीयालुता, भलाई, बस्वास क लायक, 23 नरमाई, अर खुद प संयम पदा करअ छ। असी बाता का बिरोध मं कोई निम कोन्अ। 24 अर वे मनख ज्यो मसी ईसु का छ, खुदका पापी सुभाव न्अ, वासना अर बरी मनसा समेत करूस प चढ़ा दिया। 25 क्युं क जद्या आपणी ई नुई जन्दगी को गेलो पवितर-आत्मा छ तो आवो पवितर-आत्मा की जस्यानई चाला। 26 आपा घमण्डी कोन बणा अर एक-दूसरा न्अ कोन चिड़ावा। अर न्अ आमा-सामा बळ्या मरा।