आत्मा सुं जन्दगी
8
1 अस्यान अब वां बेई ज्यो मसी ईसु म बण मेल्या छ, कोई डण्ड कोन छ। क्युं क वे काया सुं नही पण आत्मा सुं चाल्अ छ।a 2 क्युं क आत्मा की बेवस्था ज्यो मसी ईसु मं जन्दगी देव्अ छ, मन्अ मोत अर पाप की बेवस्था सुं आजाद करदी। 3 जिन्अ मूसा की वा बेवस्था ज्यो मनखा की काया का सुभाऊ की बजेसुं दूबळी बणादी गेई छी पूरो कोन कर सकी। उन्अ परमेसर खुदका छोरा न्अ आपण्अ जस्यानकी पापहाळी काया मं खन्दार पूरो कर्यो। अर काया मं पाप न्अ डण्ड दियो। 4 जिसुं क बेवस्था की जुरत आपा मं पूरी करी जा सक्अ, क्युं क आपा काया का निमा सुं नही पण आत्मा की बेवस्था सुं जीवां छा। 5 क्युं क वे ज्यो खुदकी काया का सुभाऊ सुं जीव्अ छ, वांका मन काया की मन्सा मं लाग्या रेव्अ छ पण वे ज्यो आत्मा की जस्यान जीव्अ छ वांका मन ज्यो आत्मा छाव्अ छ वा बाता मं लगाव्अ छ। 6 काया मन लगाबाळा मनखा को अन्त मोत छ, पण आत्मा प्अ मन लगाबाळा को फळ जन्दगी अर सान्ति छ। 7 काया प्अ मन लगाबो परमेसर को बिरोध छ। क्युं क वो न्अ तो परमेसर का निम न्अ मान्अ अर न्अ मान सक्अ। 8 अर वे ज्यो काया का सुभाऊ मं जीव्अ छ, वे परमेसर न्अ राजी कोन कर सक्अ।
9 अर ज्यो थाम्अ परमेसर की आत्मा को वास छ तो थे काया का सुभाऊ मं कोन जीवो पण आत्मा की जस्यान जीवो छो। अर जिम्अ मसी की आत्मा कोन्अ तो वो मसी को कोन्अ। 10 अर ज्यो थाम्अ मसी छ तो थांकी काया पाप मं मर मेली छ। पण फेरबी आत्मा धार्मिकता की बजेसुं जीवती छ। 11 bअर ज्यो वां आत्मा ज्यो ईसु न्अ मरया मंसुं जीवतो करी छी, थाम्अ वास करअ छ, तो वो ज्यो मसी न्अ मरया मंसुं जीवतो कर्यो छो, थांकी नास होबाळी काया न्अ खुदकी आत्मा सुं ज्यो थांक्अ मेईन्अ वास करअ छ, जन्दगी देव्अलो।
12 जिसुं म्हारा भाईवो, आपा प करज तो छ पण काया को एसान कोन्अ क आपा काया की जस्यान जीवां। 13 क्युं क ज्यो थे काया की जस्यान जीव्अला तो मरअला। पण थे आत्मा सुं काया का बेवार न्अ मार देव्अला तो थे जीव्अला। 14 ज्यो परमेसर की आत्मा की जस्यान चाल्अ छ वे परमेसर का ओलाद छ। 15 cdक्युं क ज्यो आत्मा थान्अ मली छ, वा थान्अ फेरू दास बणाबा बेई या फेर डरपाबा बेई कोन्अ, पण वा आत्मा ज्यो थान्अ मली छ परमेसर की ओलाद बणाव्अ छ। जिसुं आपा पापा, ह पापा खेर बलावां छा। 16 वो पवितर-आत्मा खुद आपणी आत्मा की लारा मलर गुवाई देव्अ छ क आपा परमेसर की ओलाद छा। 17 अर ज्यो आपा बीकी ओलाद छा तो वारिस बी छा। परमेसर का वारिस अर मसी की लार पांतिदार छा, अर ज्यो आपा बीकी लांरा दुख मं पांतिदार छा, तो बीकी लारा महमा मं बी पांतिदार छा।
आबाळी महमा
18 क्युं क मं समझु छु, क ई बगत का दुख अर कळेस उं महमा क साम्अ ज्यो आपा प परगट होबाळी छ, कांई बी कोन्अ। 19 क्युं क या सृष्टी बड़ी आस लगार उं बगत की बाठनाळरी छ जद्‍या परमेसर की ओलाद न्अ परगट कर्यो जाव्अलो। 20 क्युं क सृष्टी खुदकी मन्सा सुं नही पण बणाबाळा की ओड़ी सुं बनाफळबाe का बसम्अ ई आस सुं करदी गई। 21 क याबी कद्‍या खुदकी बनाफळबा की दसा सुं छूटवाड़ो पार, परमेसर का छोरा की महमावान आजादी मं पांतिदार होव्अ। 22 क्युं क आपा जाणा छा क आजताणी सबळी सृष्टी जणबा की पिड़ा जस्यानकी पिड़ा सुं कराती अर थडपड़ारी छ। 23 fया सृष्टी ही नही पण आपा बी ज्यांन्अ आत्मा को पहलो फळ मल्यो छ, मेईन्अ सुं कण्जर्या छ। क्युं क आपा बाठ नाळर्या छा क वो आपान्अ ओलाद की जस्यान अपणा लेव्अ अर आपणी काया आजाद हो जाव्अ। 24 ई आस सुं आपणो उद्धार होयो छ। पण जी चीज की आस करी जाव्अ छ वा पूरी हो जाव्अ तो वा आस कोन रेव्अ। ज्यो बात पूरी हो जाव्अ छ बीकी आस कोई कोन करअ। 25 पण जिन्अ आपा कोन देखर्या बीकी आस करां छा तो थरचा सुं बीकी बाठनाळा छा। 26 पवितर-आत्मा आपणा दूबळा पणा मं आपणी सायता करअ छ, क्युं क आपा कोन जाणा क आपा कस्या तरीका सुं परातना करां। पण आत्मा खुद अस्यान करा'र आपण्अ बेई परातना करअ छ ज्यांन्अ सब्दा मं कोन बतायो जा सक्अ। 27 अर मन न्अ परखबाळो जाण्अ छ क आत्मा की मन्सा कांई छ? क्युं क परमेसर की मन्सा सुंई वा परमेसर का पवितर मनखा बेई अरदास करअ छ।
28 अर आपा जाणा छा क ज्यो लोग परमेसर सुं परेम रखाण्अ छ वां बेई सबळी बाता मलर भलाई पैदा करअ छ। मतलब वां बेई ज्यो बीकी मन्सा सुं बलाया गिया छ। 29 ज्यांन्अ वो पेली सुं थरप्यो छ वान्अ खुदका छोरा की जस्यानका बणाबा बेई थे कर्यो छ क घणा भाया मं वो सबसुं बड़ो बण सक्अ। 30 ज्यांन्अ वो पेली सुं चुण मेल्यो छो, वांन्अ वो बलायो बी छ अर ज्यांन्अ वो बलायो छ वान्अ धरमी बी ठेरायो छ अर ज्यांन्अ वो धरमी ठेरायो छ, वान्अ महमा बी दियो छ।
परमेसर को परेम
31 तो ईन्अ देखर म्हे कांई खेवां? अर ज्यो परमेसर आपणी ओड़ी छ तो आपणा बिरोध मं कुण हो सक्अ छ? 32 वो ज्यो खुदका छोरा न्अ बी बचार कोन रखाण्यो पण उन्अ आपा सबळा बेई मरबा बेई सुंप दियो। वो आपान्अ सब कुछ क्युं कोन देव्अलो? 33 अस्यानको कुण छ ज्यो परमेसर का थरपेड़ा मनखा प दोष लगाव्अलो? वो परमेसर'ई छ ज्यो वान्अ नरदोष ठेराव्अ छ। 34 अस्यानको कुण छ ज्यो म्हान्अ दोषी ठेराव्अलो? मसी ईसु वो छ ज्यो मरग्यो अर इसुं बी खास तो या छ क उन्अ फेरू जीवतो कर्या छ ज्यो परमेसर क जीवणी-बगल म बेठ्‍यो छ अर आपण्अ बेई अरदास बी करअ छ। 35 अस्यानको कुण छ ज्यो म्हान्अ मसी का परेम सुं न्यारो करअलो? दुख या मुसिबत या अत्याचार या काळ या नातकणो पणो या जोखम या तलवार? 36 जस्यान सास्तर मं मण्ढरी छ;
“थांक्अ बेई म्हे सारअ दन मारया जांवा छा
मे कटबाळी लळ्डया जस्यानका समझया जाव्अ छा।”
37 पण या सबळी बाता मं आपा उसुं ज्यो आपसुं परेम कर्यो छ एक जोरदार जीत पारया छा। 38 क्युं क म पक्‍कोई जाणु छु क न्अ तो मोत अर न्अ जन्दगी, न्अ सरगदूत अर न्अ राज करबाळी दुष्टात्मा, न्अ अबार की कोई चीजा अर न्अ आबाळी कोई चीजा, न्अ सक्‍तया, 39 न्अ कोई ऊंचाई अर न्अ कोई गेराई, न्अ सृष्टी की कोई दूसरी चीजा आपान्अ परमेसर का परेम सुं न्यारो कोन कर सक्अ, ज्यो आपणा परबु मसी ईसु मं छ।