पाप बेई मरबो पण मसी मं जीबो
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1 तो फेर म्हे कांई खेवां? कांई आपा पाप करता रेवा जिसुं परमेसर की दीया साऊटी होती रेव्अ? 2 एकधम नही! आपा ज्यो पाप बेई मरग्या, पाप मं कस्यान जीव्अला? 3 कांई थे कोन जाणो क आपा, ज्यो मसी ईसु मं बतिस्मो लिया छा, बीकी मोत को ही बतिस्मो लिया छा। 4 aतो बीकी मोत मं बतिस्मो लेबा सुं आपा बी बीकी लारा'ई गाड़या गिया छा क जस्यान परम बाप की महमाळी सक्ती सुं मसी मरया मंसुं जीवतो कर्यो गियो छो वस्यान ई आपा बी एक नुई जन्दगी जीवां।5 क्युं क जद्या आपा उंकी सीक मोत मं बीकी लार एक होग्या तो उंका फेरू जीवतो होबा मं बी बीकी लारा एक हो जाव्अला। 6 आपा या जाणा छा क आपणी पराणी जन्दगी ईसु की लारा करूस प चढ़ा दी गई छी क पाप सुं भरी आपणी काया नास हो जाव्अ। अर आपा आग्अ सुं पाप का गुलाम कोन बण्या रेंवा। 7 क्युं क ज्यो मरग्यो वो पाप का बन्धन सुं छूटवाड़ो पाग्यो। 8 क्युं क आपा मसी की लारा मरग्या, तो आपणो बस्वास छ क आपा बीकी लारा जीव्अला बी। 9 आपा जाण्अ छा क मसी जिन्अ मरया मंसुं जीवतो कर्या छा वो फेरू कोन मरअ। उंप्अ मोत को बस कद्या बी कोन चाल्अलो। 10 अर वो पाप बेई एक'ई बार मरग्यो पण ज्यो जन्दगी वो जीर्यो छ वा जन्दगी परमेसर बेई छ। 11 अस्यान'ई थे बी खुद बेई बच्यारो क थे पाप बेई मर चुक्या छो पण मसी ईसु मं परमेसर बेई जीर्या छो।
12 थांकी नास होबाळी काया प पाप को बस मत चालबा द्यो। जिसुं थे पाप की मन्सा प कद्या बी कोन चालो 13 खुदकी काया का हस्सा न्अ अधर्म का साधन की न्याय पाप का हाथा मं मत सुंपो। पण मरया मंसुं जीवतो होबाळा की जस्यान परमेसर का हाथा मं सुंपद्यो। अर खुदकी काया का हस्सा न्अ धरम का साधन की न्याय परमेसर का हाथा मं सुंपद्यो। 14 थांप्अ पाप को राज कोन होव्अलो क्युं क थे बेवस्था को सायरो लेर कोन जीर्या पण परमेसर की दीया का सायरा सुं जीर्या छो।
धार्मिकता की सेवा करबाळा
15 आपा बेवस्था सुं बन्धया कोन्अ, पण परमेसर की दीया क तण्अ जीव्अ छा। तो फेर आपा कांई करां? आपा पाप करां कांई? एकधम नही। 16 कांई थे कोन जाणो क जद्या थे कोई की बात मानबा बेई खुदन्अ दास की जस्यान उन्अ सुंप देव्अ छो तो थे जिकी आज्ञा मानो छो उंका दास छो। फेर छाव्अ थे पाप का दास बणो ज्यो थान्अ मार देलो अर छाव्अ आज्ञाकारीता का, ज्यो थान्अ धार्मिकता की ओड़ी लेर जाव्अली। 17 पण परमेसर को धन्यवाद होव्अ क थे पाप का दास छा फेरबी थे मन सुं वां उपदेसा न्अ मान्या ज्यो थान्अ दिया गिया छा। 18 थान्अ पाप सुं छूटवाड़ो मलग्यो अर थे धार्मिकता की सेवा करबाळा बणग्या। 19 थे काया मं रेर यान्अ कोन समझ सको जिसुं म थान्अ सीधी बोली मं समझार्यो छु। एक बगत थे खुदकी काया का हस्सा न्अ अपवितरता अर अधर्म न्अ बढ़ाबा बेई वांका दास की जस्यान सुंप्या छा। वस्यान ई अब खुदकी काया का हस्सा न्अ पवितरता की ओड़ी लेजाबाळा धरम का दास बणार सुंपद्यो। 20 जद्या थे पाप की सेवा करबाळा छा तो धार्मिकता की ओड़ी सुं थांप्अ कोई बन्धन कोन छो। 21 ज्यां बाता बेई आज थान्अ लाज आव्अ छ वां सुं उं बगत थान्अ कस्यान को फळ मल्यो छो? ज्यांको फळ मोत छ! 22 पण अब थान्अ पाप सुं छूटवाड़ो मलचुक्यो छ अर परमेसर की सेवा करबाळा बणाया गिया छो। ज्यो थान्अ पवितरता मं ले जाव्अलो। जिको आखरी फळ सदामेस की जन्दगी छ। 23 क्युं क पाप की मजुरी मोत छ, पण परमेसर को बरदान आपणा परबु मसी ईसु मं सदामेस की जन्दगी छ।