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कोनी डोकरा के ना झगड़ा कर, मातर हांके बुआ समझी करी समझाय देस, आवरी जुआन लोकके भाई समझी करी; 2 डोकरी बायले टोकी के माय समझी करी ; आवरी जुआन बायले मनके खुबे पवितरता ले बहिन समझी करी समझाय देस | 3 हायं राँडी मनर, जोन सते रांडी आत, इजत कर | 4 अगर कोनी रांडीर पिला टोकी नोयले नाती पोती आचेत आले हांय आगे आपनार ही घरर संगे भक्तिर काम कर, आवरी आपना आया बुआ सबुके हांय मनर हाग देबार सिकोत, कसन कि ऐ महापरभु के भाऊ आय | 5 जोन सते रांडी आत , आवरी हाय मनर कोनी निआत , हांय मन महापरभु उपरे आसा सोंगाऊ आत , आवरी दिन राती गुहार आवरी परतना ने मतभुल रऊ आत ; 6 मातर जोन भोग बिलास ने पड़ी गलाय , हांय मन जिव रई करी बले मोरी गला आत | 7 ऐ गोट मन के बले आगया देस कि हांय मन निरदोस रोअत | 8 मातर अगर कोनी आपना लोग मनर बाटे नीजे करी आपना घरर चिनता ना करबाय , तो हांय बिसबास ले अलग होयला आचे आवरी बिसबासी मनले बले घिनघिना होयला आचे | 9 हांय रांडीर नाव लिका जाओ जोन साट बरस ले कमर ना होओ, आवरी गोटकी मुनुकर बायले होई रला होओ, 10 आवरी अच्छा काम मनने नाम कमाय रओ, जोन पिला टोकीर पाला पोसा करी रला रओ; आयला लोकर सेवा करी रओ, पवितर लोक मनर गोड़ के धोई रओ, दुक ने रला लोकर सायता करी रओ, आवरी सबु अच्छा काम ने मन के लागायलार रओ | 11 मातर जुआन रांडी मनर नाम ना लिका, कसन कि जड़दाय हांय मन मसीर बिरुद करी सुख बिलास ने पड़ी जाऊ आत तो बिआ करबार चाऊ आत, 12 आवरी दोसी होऊ आत, कसन कि हांय मन आपना आगर बिसबास के छाड़ी देला आत | 13 एतार संगे ची संगे हांय मन घरे घरे जाई करी आलसी होयबार सिकुआत, आवरी आलसी नाई मातर चक चक होयते रऊ आत आवरी दुसरार काम ने छमे होऊ आत आवरी घिनघिना गोट बलु आत | 14 ई काजे मय इ चाहाबीआची कि जुआन रांडी मन बिआ होओत, आवरी पिला टोकी जनमाओत आवरी घर समालोत, आवरी कोनी बिरुद करू के बादनाम करबार समया ना देओत | 15 कसन कि कतक तो बयकी करी सयतानर पिटी बाटे होयला आत | 16 अगर कोनी बिसवासी घरे रांडी आचेत आले हांयची मन तिकर सायता करोत कि कलिसिया उपरे बोझा ना होओ, कि हाय तिकर सायता करके सकोत जोन सते रांडी आत | 17 जोन जुना लोक* अच्छा जुगाड़ करू आत, खास करी हांय जोन बचन सुनायबार आवरी सिखायबा ने काम करू आत, दुय गुना इजतर लाइक समझा जाओत| 18 "कसन कि पवितर सासतर बलसी आचे,""दायबा बईलर मु के ना बांदा,"" कसन कि""भुतियार आपना भूतिर हकदार आय |”* " 19 कोनी दोस कोनी जुना लोक उपरे लगाया जायसी तो दुय नोयले तिन गोवामनर बिना हांके ना सुन |* 20 पाप करबा लोक के सबुर छोमे समझाय देस, कि आवरी लोक बले डरोत | 21 महापरभु, आवरी मसि ईशु आवरी बाचला सरग दूत मन के आचेत बलि जानी करी मुय तोके चेतायबी आची कि तुय मन के उघाड़ी करी ऐ गोट मन के मान, आवरी काई काम पालटा ले ना कर | 22 काहरी उपरे तुरते हात ना सोंगाव, आवरी दुसरार पाप मनने भागी ना हो; आपना के पवितर बनाय सोंगाव | 23 भविस ने चूचाय पानी के ची पियबा बिता ना रा मातर आपना पेटर आवरी आपना घन घन बेमार होयबार लागी खिनिक खिनिक दाखरस के बले काम ने आनते रा | 24 कोनी मुनुक मनर पाप छोमे आऊ आय आवरी निआय काजे आगे ले ओमरू आत, मातर कोनी कोनीर पिटी बाटले आऊ आय | 25 असनी ची खिनिक अच्छा काम बले दका देऊ आय ; आवरी जोन असन ना होयेत , हांय मन बले लुकके ना सकेत |