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आवरी हांय दीरबे आवरी लुस्त्रा ने बले गला द्यहायती तीमुथियुस नावर गोटक चेला रयेए जोन कोनी विश्वासी यहुदिनी र बेटा रयेए मातर तार बुआ यूनानी रये द्य 2 हांय लुस्त्रा आवरी ईकुनीयुम र भाई मन ने अच्छा नाव रये द्य 3 पौलुस र इच्छा रये की हांय तार संगे जाओय आवरी जोन यहूदी लोक हांय जगा मन ने रयेत तिकर लागी हांय हांय मनर खतना करलाए कसन की हांय सबू जानते रयेतए की तार बुआ यूनानी रये द्य 4 आवरी नगर नगर जीबा दाय हांय हांय बिधि मन के जोन यरूशलेम र पेरेरित मन आवरी जूना’मन सोंगाय रयेतए मानबा काचे तिके पवचायते जीबार आय द्य 5 ई परकार कलीसिया मन विशवास ने मजबूत होयते गलाय आवरी गेंती ने रोजे दीना बाड़ते गलाय द्य 6 हांय फ्रुगीया आवरी गलातिया परदेस मन बाटले गलायए कसन की पबितर आतमा तिके एशिया ने बचन सुनायबा काचे नाई बललाय द्य 7 हांय मन मुसिया र लगे पवची करीए बितुनीया ने जीबार चायलायय मातर यीशु र आतमा तिके जायके ना देला द्य 8 तेबेरू हांय मन मुसीया बाटले त्रोआस ने आयलाय द्य 9 हायती पौलुस राती बेरा गोटक दर्शन दकला की गोटक मकीदुनी मुनूक ठिया होयला ताके बिन्ती करी बलसी आचेए श्हांय पाक उतरी करी मकिदुनिया ने आवए आवरी हामर सायता कर द्यश् 10 तार ये दर्शन दकते खन हामी अड़की ची दाय मकिदुनिया ने जीबार चायलूए ये समझी करी माहा परभु हांमके तिके सुसमाचार सुनायबा काचे हाग देला आचे द्य 11 हाई काचे त्रोआस ले जाहाज हिटाय करी हामी सीधा सुमात्राके आवरी दुसरा दीने नियापुलिस ने आयलू द्य 12 हांयती ले हामी फिलिप्पी पवचलूए जोन मकिदुनिया प्रांतर जानाचीना नगर आवरी रोमियों र बस्ती आयय आवरी हामी हांय नगर ने खिनिक दीन तक रलू द्य 13 हफ्ता र दीने हामी नगर र कपाट र बाहरे नदी र रेटे ये समझी करी गलू की हांयती पारतना करबार जगा रयसीए आवरी बसी करी हांय बायले मन के जोन रुंडा होई रयेतए गोट करके मुरायलू द्य 14 लुदीया नावर थुआथिरा नगर बैजनी फटई बिकबा बीती गोटक भक्ति बायले सुनते रये द्यपरभु तार मन के उगाड़ला की हांय पौलुस र गोट मन ने धिआन देई द्य 15 जड़ दाय हाय आपना घर र सबू संगे बपतिस्मा धरलाए तो हांय हामके बिनती करलाए श्अगर तमी मोके परभु र विश्वासनी समझबा आसए तो आई करी मोर घर ने राहाएश्आवरी हांय हामके मानाय करी नेला द्य 16 जड़ दाय हामी पारतना करबा जगा ने जायते रऊए तो हामके गोटक दासी मिरला जाहार लगे भावी बलबा बीती आतमा रयेय आवरी भावी बलले आपना मुनूस मन काचे खूबे काई कमाय आनबार आय द्य 17 हांय पौलुस बाटे हामर पिटी बाटे आई करी चिचायके मुरायलाए श्ये मुनूक सबू ले बड़े माहा परभु र दास आयए जोन हामके उधार र सड़ाक र गोट सुनाऊ आय द्यश् 18 हांय खूबे दीना ले असनी ची करते रलाय मातर पौलुस दुखी होयलाए आवरी बाहड़ी करी हांय आतमा के बललाए श्मूय तोके यीशु मसीह र नाव ने आगेया देबी आची की हायती ले निकरी जा द्यश्आवरी हांय अड़की ची दाय निकरी गला द्य 19 जड़ दाय तार मुनूस मन दकलाय की हामर कमाई इ आशा जायते रयेए तो पौलुस आवरी सीलास के धरी करी मंजी बाटे बड़े लोक मन लगे झिकी नेलायय 20 आवरी हांय मन के राका करू मनर हाकिम मन लगे नेलाय आवरी बललायए श्ये लोक जोन यहूदी आतए हामर नगर ने खूबे जत खत करबा आतय 21 आवरी असन नीती मन सांगबा आतए जोनके आपनाय बार नोयले मानबार हामी रोमियो मन काचे अच्छा नुआय द्यश् 22 तेबे भीड़ र लोक तिके बिरोद करी रुंडा होई करी उपरे होयलायए आवरी हाकिम मन तिकर पटई मन के चीरी करी हिटाय देलायए आवरी तिके कोड़ा ने मारबार आगेया देलाय द्य 23 खूबे कोड़ा ने माराय करी हांय मन तिके जेल घरे भरी देलाय आवरी दरोगा के आगेया देलाय की तिके चेत ने सोंगाओत द्य 24 हांय असन आगेया मिराय करी तिके भीतर र बाकरा ने सोंगायला आवरी तिकर गोड़ के काटा ने ठेसी देयदेलाय द्य 25 मंजी राती बेरा असन पौलुस आवरी सीलास पारतना करी करी माहा परभु र भजन गायते रयेतए आवरी कयदी मन तिकर सुनते रयेत द्य 26 अतक ने अड़की ची दाय बड़े भूकम्प आयलाए ए लगले की जेल घर र बीम बले हाली गलाए आवरी अड़की ची दाय सबू बाट मन उगाड़ी होयला द्य 27 दरोगा चेतलाए आवरी जेल घर र बाट उगाड़ी होयलार द्की करी समझला की कयदी मन पोराय लायए तेबेरू हांय खंडा के निकराय करी आपना ख़ुद के मारबार चायला द्य 28 मातर पौलुस खूबे कोल्हार होई बललाए श्आपना ख़ुद के काई हानी ना करए कसन की हामी सबू ई लगे आचू द्यश् 29 तेबे हांय दीया माँगी करी भीतरे गलाए आवरी थर थरायते पौलुस आवरी सीलास र छमे घसरलाय 30 आवरी तिके बाहरे आनी करी बललाए श्हे भाई मनए उधार पायबा काचे मूय काय करबी घ्श् 31 हांय मन बललायए श्परभु यीशु मसीह उपरे विशवास करए तो तूय आवरी तोर घर र सबू उधार पायबास द्यश् 32 आवरी हांय मन ताके आवरी तार सबू घर र सबू लोक के परभु र बचन के सुनायलाय द्य 33 राती बेरा अड़की ची दाय हांय तिके नेई करी तिकर घाव के धोयलाए आवरी हांय आपना सबू लोक संगे अड़की ची दाय बपतिस्मा धरला द्य 34 तेबे हांय तिके आपना घरे नेई करी तिकर छमे भोजन सोंगायलाए आवरी सबू घर र लोक संगे माहा परभु उपरे विशवास करी हरिक होलाय द्य 35 जड़ दाय दीन होयला तेबे हाकिम मन सिपाई मनर हाथ ने खबर पटायलाय की हांय मुनूक मन के छाड़ी दीआस द्य 36 दरोगा ये गोट पौलुस के बललाए श्हाकिम मन तोमके छाड़बार आगेया पटायला आत द्यहाई काचे अबर निकरी करी अच्छा ले जाहा द्यश् 37 मातर पौलुस तिके बललाए श्हांय मन हामके जोन रोमी मुनूक आयए दोषी ना मानलार लोक मनर छमे मारला आवरी जेल घरे भरला द्यअबर काय काचे हामके लुकाय करी निकरायबा आत घ्असन नाईय मातर हांय मन खुदे आसी करी हामके बाहरे निकराओत द्यश् 38 सिपाई मन ये गोट के हाकिम के बललायए आवरी हांय मन ये सूनी करी की रोमी आयए डर लायए 39 आवरी आई करी तिके मानायलाए आवरी बाहरे नेई करी बिनती करला की नगर ले जओत द्य 40 हांय मन जेल घर ले निकरी करी लुदीया मन थाने गलायए आवरी भाई मन संगे मिसी करी हांय मन के शान्ति देलायए’आवरी जायते गलाय द्य