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दुई दिनर बाद पसह आवरी अख मिरी रोटीर तियार होएबार रला| परधान याजक आवरी शास्त्री गोटक कोज ने रलाय की हांके कसन धोका ले धरी करी मारू; 2 मतर बोलते रलाय, तियार दिन ने नाई असन ना अहो की लोक मन ने जगडा दंद ओंहो|” 3 जड़दाय हांय बेतनिया ने समोन कोड़िर घर ने भात खाए के बसी रला, तेबे गोटक बायले संग मर मर पात्र ने जटामासीर बहु मूल्य सूद इत्र दरी आयला; आवरी पात्र के तुटाए करी इत्र के आंतार मुंड ने रोकाए लगाये ला 4 मतर कोनी कोनी खुदर मन ने रिस होई करी बोलके मुराए लाय, “ऐ पात्र के काय कजे सत्यानाश कर आस? 5 कसन बल्ले ऐ इत्र तो तीन सो दीनार ले खुबे रेट ले बिकी करी देई होएता बे|” आवरी हांय मन आंके झगड़ा लाग के मुराए लाय| 6 "यीशु बल्ला ""हांके छाड़ी दियास; हांके काय कजे `सताय बा आस? हांय तो मोर उपरे भलाई कारला आचे" 7 गरीब मन हमेशा तमर संगे रुहात आवरी जड़क दाय तमी चाय बास अड़क दाय तिकर संगे भलाई कर के सकास; मतर मोय तमर संगे हमेशा ना रही;| 8 जोन कांई हांय करके सकला हांय कारला; हांय मोर गाड़ बा दिनर ले पहिले मोर गागर ने इत्र लगायला आचे| 9 मोय तमके सत्य बोल्बी आचे की सबु संसार ने जोन लगे बले सुसमाचार परचार कर बाय, हाँय जगाह ने आंतार ऐ कामर चरचा बले आंतार सुरता ने कर बाय| 10 तेबे यहूदा इस्केरियोती जोन बाराहा लोक ले गोटक रला, प्रधान याजक मन लगे गलाकी ताके तिकर हाथे दाराव| 11 हांय मन य सुनी करी हरिक होएलाय, आवरी हांके पैसा देबा काजे तियार होएलाए; आवरी मोका ढगराय के मुराय ला की कसनी करी बले दराए बा कजे|चेला मन संगे फसहर भोज 12 अखमिरी रोटिर तियारर पहिला दिन जोन ताने फसहर बलिदान करते रलाय, हांतिर चेला मन हांके पुचलाय तुई कोन लगे चाऐ बी आस की हामी जाई करी तोर काजे फसह खायबार तियार करबू | 13 हायं अपनार चेला मन ले दुय लोक के ऐ बोली करी पटायला, “नगर ने जाआ, आवरी गोटक माने पानीर हांडी उठाय लार तमके दका देसी, हान्तार पिटी बाटे हुआ ; 14 आउरी हायं जोन घरे जायसी हायं घरर मालीक के बोल ' गुरु बोलुआय कि मोर पाहुनशाला जोन थाने मोर चेला मन संगे फसह खाय बी कोन लगे आचे ?' 15 हायं तमके गोटक तियार करलार आवरी तियार होय लार बड़े अटारी दकाय देईसी हांती हामार काजे तियार करा |” 16 चेला मन निकरी करी नगर ने आय लाय, आवरी जसन हायं तीके बोली रला असनीची रला ; आवरी फसह तियार करला | 17 जड़दाय संज होयला, तो हायं बारा लोक संगे आयला | 18 जड़दाय बसी करी भात खायते रलाय, तेबे ईशु बलला, “मय तमके सते बलबी आचे कि तमर ले गोटक जोन मोर संगे भात खायसी आचे, मके धराय सी |” 19 हांय मन मुरमुरा होएलाय आवरी गोटक लेका करी बोल के मुराय लाय, “ काय मय आंय; 20 आंय त्तिके बलला, “ हांय बारा लोकले गोटक आय, जोन मोर संगे थाली ने हाथ सोंगाऊ आय | 21 कसन की मानेर बेटा तो, जसन तार बारे ने लिखला आचे, जाऊ ची आय; मातर हांय मानेर उपरे आय आय जाहार बाटले मानेर बेटा दराया जाऊ आय! अगर हांय मानेर जनम ची ना होयता, तो हान्तार काजे अच्छा होयता |” 22 जड़ दाय हांय मन कायते रहेत, हांय रोटी दरला, आवरी आशीस मांगी करी टूटायला, आवरी त्तिके देला, आवरी बोलला, “ दरा, ये मोर गागर आय |” 23 पाचे हांय बोटका दरी करी धन्यवाद देला, आवरी त्तिके देला; आवरी हांय सबू आंयती पिहलाय | 24 आवरी हांय त्त्तिके बोलला, “ये रस मोर लहू आय, जोन खुबे लोक काजे निकरला | 25 मय तमके सते बलबी आचे की दाकर रस आंय दिन तक केबी ना पिंयी, जेबे तक महा परभुर राज ने नुहा ना पिंयी |” 26 पाचे हांय मन गीत गाई करी बाहरे जैतूनर डोंगरी ने गलाय | 27 तेबे यीशु त्तिके बोलला, “ तमी सबू दोका कायबास, कसन की लिखला आचे: मय राका रहू मन के मारबी, आवरी चेली मेंडी एने आने होय बाय | 28 मातर मय जीव पड़लार पाचे तोमोर ले आगे गलील बाटे जीबी |” 29 पतरस त्तिके बोलला, “अगर सबू दोका कायले कावत, मातर मय दोका ना कांई |” 30 यीशु त्तिके बोलला, “ मय तोके सते बलबी आची की आजी ची ये राती के कुकड़ार दुई आर डाकबार आगे, तुई तीन आर मोके ना जानी बोलबीस |” 31 मातर हांय आवरी पने अधिक बोलला, “ अगर मोके तोर संगे मर के पनेपड़ो,तेबले मय तोके ना जानी ना बली |” असनी ची आवरी हांय सबू पनेबलाय 32 पाचे हांय मन गतस्मनी नावर गोटक जगा ने आयलाय, आवरी हांय तार चेला मन के बलला, “ ये लगे बसी राहा, जड़ दाय ले मय परथना करबी | 33 आवरी हांय पतरस आवरी याकूब आवरी यहुना के अपना संगे नेला; आवरी खुबे ची अदीर आवरी बेयाकुल होयते रला, 34 आवरी त्तिके बलला, “मोर मन खुबे निरास आचे, अतक की मय मरबा लगे आची: तमी ये लगे राहा,आवरी चेता राहा |” 35 पाचे हांय कीनिक चोमे गला आवरी माटी ने गसरी करी पराथना करला की अगर होयके सके आले ये समय मोर उपर ले टली जाहो, 36 आवरी बलला, “ ये बाबा, ये बाबा, तोर ले सबू होयके सके; ये बोटका के मोर लगले गुचाव: त्तेबले पने मय जसन चाहाबी आची असन नाई, मातर जोन तुई चाहाबी आस आंय होओं |” 37 पाचे हांय आयला आवरी त्तिके सोयबार द्की करी पतरस के बलला, “ये शमौन, तुई सोयबी आस ? काय तुई दंडक पने चेता रयके ना सकिस ? 38 चेता रहा आवरी परथना करते रहा की तमी परिचा ने ना पड़ा | आत्मा तो तिआर आचे, मातर गागर कमजोर आचे 39 आवरी हांय जायते गला आवरी आंय गोट ने परथना करला की | 40 आवरी आसी करी त्तिके सोयते दकला, कसन की तिकर आंकी नींद ले बरी रहेत; आवरी ना जानते रहेत की ताके काय ज़बाब देबू | 41 पाचे तीसरा आर आई करी त्तिके बलला, “अबर सोयते राहा आवरी बिसाहा, येदे, समय आयला आचे; दका मानेर बेटा पापी मनर हाथ ले दराया जाऊ आय | 42 उठा, जो! दका, मोके दरायबा बिता लगे आयला आचे!” 43 हांय असनी बलते ची रये की यहूदा जोन बारा लोक ने गोटक रहे, अपनार संगे बड़े मुख्या मन आवरी शास्त्री मन आवरी जुना लोक मन बाटले गोटक बड़े बिड दरी करी अड़की ची दाय आयला, जोन कंडा आवरी डांग मन दरी रहेत | 44 हांके दरायबा बिता मन त्तिके ये सांगी रहेत की जोन के मय चुम्बी आंय आय, हांके दरी करी अच्छा ले निआं | 45 हांय आयला, आवरी अड़की ची दाय हांतार लगे जाई करी बलला, “ये गुरु!” आवरी ताके खुबे चुम्ला | 46 तेबे हांय मन ताके हाथ के चोमे करी ताके दरलाय | 47 हांय मन ले जोन लगे टीयां रहेत, गोटक कंडा के झीकी करी बड़े याजक र दास उपरे चलायला, आवरी हांतार कान के काटी देला | 48 यीशु त्तिके बलला, “ काय तमी डाकू समझी करी मोके दरबा काजे खंडा आवरी डांग मन दरी करी निकरला आस ? 49 मय तो सबू दिन मंदिर ने तोमर संगे रई करी सांगते रंयी, आवरी अड़दाय तोमि मोके ना दरलास: मातर ये एइकाजे होयला की पवित्र सास्त्रर गोट पूरा होओं |” 50 तेबे सबू चेला मन ताके छाड़ी करी परायलाय | 51 गोटक जुहान अपनार नागा गागर ने चदर होड़ी तिकर पिटी बाटे गला; आवरी लोक मन ताके दरलाय | 52 आवरी हांय चदर के चाड़ी करी नागा परायला | 53 पाचे हांय मन यीशु के बड़े याजक लगे नेलाय; आवरी सबू बड़े याजक आवरी जुना लोक आवरी शास्त्री मन तिकर ताने रुंडा होयलाय | 54 पतरस दूर ले ची दूर तार पीटी पीटी बड़े याजकर दुहारर भीतर तक गला, आवरी प्यादो मन संगे बसी करी जोय चेकते रला | 55 बड़े याजक आवरी सबू बड़े सभा यीशु के मारबा काजे तार विरुद ने गवा डगराते रहेत, मातर ना मिरलाय | 56 कसन की खुबे लोक तार विरुद ने जुटा गवाही देयते रहेत, मातर तिकर गवाही गोटक समान ना रहे | 57 तेबे कीनिक माँ लोक उटी करी तार विरुद ने ये जुटी गवाही देलाय, 58 “हामी एके ये बलबा दाय सुनलू आचू, 'मय ये हाथर बनायलार मंदिर के बसड़ाय देबी,आवरी तीन दिन ने दूसरा बनायबी, जोन हाथ ले ना बनी रहे |” 59 एतिले बले तिकर गवाही गोटक समान ना रला | 60 तेबे बड़े याजक मंजी टीयां उटी करी यीशु के पचारला, “तुई कांई जबाब ना देहिस ? ये लोक तोर विरुद ने काय गवाही देबा आत ?” 61 मातर हांय होगाय होई रला, आवरी कांई जबाब ना देला | बड़े याजक ताके आवरी पचारला, “ काय तुई आंय माहा धन्यर बेटा मसीह आस ?” 62 यीशु बलला, “मय आंय: आवरी तोमि मानेर बेटा के सबुले ताकतबर र भुजनी बाटे बसबार, आवरी आकास सर बादरी संगे आयते दकबास |” 63 तेबे बड़े याजक तार फटीही के चिरी करी बलला, “ अबर हामके गवा मनर आवरी काय मतलब आय ? 64 तमी ये निंदा सुनी | तमर काय विचार आय?” हांय सबू बललाय की ये मारबा लाईगर आय | 65 तेबे कोनी तो तार उपरे तुकते, आवरी कोनी तार मुंह के डाकते आवरी ताके मुटका मारते, आवरी ताके बलते रलाय, “भबिस्वानी कर !” आवरी प्यादों मन ताके दरी करी तापड़ मारलाय | 66 जेबे पतरस तले चोपाड़ी ने रहे, तेबे बड़े याजक मनर दासीले गोटक आंय ताने आयला, 67 आवरी पतरस के जोय चेकते दक ताके डग डगा होई करी दकला आवरी बलला, “तुई पने तो हांय नासरी यीशु संगे रहिस |” 68 हांय मुरजायला, आवरी बलला, “मय ना जाने आवरी ना समझे की तुई काय बलबी आस |” आवरी हांय बारा मन लगे गला: आवरी कुकड़ा डाकला | 69 हांय दासी ताके दकी करी तिकर ले जोन लगे टीयां रहेत, आवरी बलला, “ये तिकर ले गोटक आय |” 70 मातर हांय आवरी मुरझायला | कीनिडिक समयर आगे हांय मन जोन लगे टीयां रहेत आवरी पतरस ले बललाय, जरूरी तुई तिकर ले गोटक आस; कसन की तुई गलीली पने आस |” 71 तेबे हांय दिकार करी किरिया कायके मुरायला, “मय हांय म्माने के, जाहार तमी गोट गोटायबा आस, ना जानी |” 72 तेबे अड़की दाय दूसरा आर कुकड़ा डाकला | पतरस के ये गोट जोन यीशु ताके बलि रला सुरता आयला: “कुकड़ार दुई आर डाक बार आगे तुई तीन आर मोके ना जानी बलबिस |” आवरी हांय ये गोट के सुरता करी कान्दकेमुरायला |