तलाक कर बारे में सिकछा
19
1 ए बात मन ला कहे कर पाछू, ईसू हर गलील जिला ले चएल देहिस, अऊ एरदन नदी कर ओपार यहूदिया जिला कर सिवान में आईस। 2 त एगोट बड़का भीड़ हर ओकर पाछू होए लेहीस, अऊ ईसू हर उहां बेमरीहा मन ला चंगा करीस।3 तनिक फरीसी मन ईसू ला परखे बर ओकर जग आईन, अऊ ओमन ईसू ठन पूछिन, “का कोनोच कारन ले अपन परानी ला छोंड़ देवई ठीक हवे?” 4 ईसू हर जबाब देहीस, “का तुमन परमेसवर कर बचन ला नई पढ़े हा, कि संसार कर रचोईया हर ओमन ला सुरूच ले नर अऊ नारी कएर के बनाईस हवे।
5 तेकर ओहर कहीस, “एकर चलते मईनसे मन अपन दाई-दाऊ ला छोंएड़ के अपन घरगोंसाईन जग मेराए जाहीं अऊ ओमन दुनों झन एक देंह कस होए जाहीं। 6 तेकरले ओमन अब दूई नहीं बकिन एक देंह हवें। एकरे ले जेमन ला परमेसवर हर एक संग जोड़ीसे, ओके ला मईनसे हर अलगे झईन करे।” 7 त ओमन ईसू ला कहिन, “त फेर मूसा हर ए हुकूम काबर देहीसे, कि मईनसे हर अपन परानी ला तलाक कर चिठी देके ओके छोंएड़ दे।”
8 तब ईसू हर ओमन ला जबाब देहीस, “तुमन कर कठोर मन कर चलते मूसा हर तुमन ला अपन परानी ला छोंड़े बर देहिस, बकिन सिरजे कर सुरू ले अईसना नई रहीस। 9 मंए तुमन ला कहथों, कि कोनो मईनसे हर अपन घरगोंसाईन ला छिनारी करे कर कारन छोड़ दे सकत हे। बकीन कोनो दूसर कारन लेअपम परानी ला छोएड के आने सवांघिन ठे बिहाओ करथे, त ओहर छिनारी करथे।”
10 चेला मन ईसू ला कहिन, “अगर स्वांग अऊ स्वांगीन कर हालत हर अईसनेच हवे, त कोनो के बिहाव नई करे ले बढिहां हवे।” 11 बकिन ईसू हर ओमन ला कहीस, सब मईनसे मन ए सिकछा ला माने नई सकें। एला सिरीप ओहीच मन माने सकथें, जेमन ला ए बरदान देहल गईसे। 12 काबरकि तनीक हिजड़ा मन एकस हवें, जेमन अपन दाई कर पेट ले हिजड़ा जनमीन हवें। तनीक झेमन ला मईनसे मन, हीजड़ा बनाए देहीन हवें, बकिन तनीक मईनसे मन सरग राएज बरीक बिहाव नई करीन हवें। जेहर ए बात ला माएन सकथे, ओहर माने।
ईसू अऊ छोटे लईका मन
13 तब मईनसे मन लईका मन ला ईसू जग लानीन, तेमेकि ईसू हर ओमन कर उपरे अपन हांथ ला राखे अऊ ओमन बर पराथना करे। बकिन चेला मन ओमन ला डांटीन। 14 बकिन ईसू हर कहीस, “लईका मन ला मोर जग आए देआ, अऊ ओमन ला झईन रोका काबरकि सरग कर राएज हर अईसनेच मन बर हवे।” 15 अऊ ओहर लईका मन कर उपरे अपन हांथ राखीस अऊ उहां ले चएल देहीस।
एगोट धनी जवान हर ईसू जग भेंटाथे
16 तेकर एगोट मईनसे हर ईसू जग आईस अऊ पूछीस, “ए गुरू, मंए का भलई कर काम करों कि अमर जिनगी पाओं?” 17 ईसू हर ओके कहीस, “तंए मोर जग भलई कर बारे में काबर पूछथस? सिरीप एकेच झन भला हवे। अगर तंए अमर जिनगी में जाए बर चाहथस, त अगींया मन ला पालन कर।”
18 ओ मईनसे हर पूछिस “कोन अगींया मन ला?” ईसू हर कहीस, “हतिया झईन करबे, छिनारी झईन करबे, चोरी झईन करबे, झूठा गवाही झईन देबे, 19 अपन दाई-दाऊ कर माएन मरजाद करबे अऊ अपन परोसी ला अपनेच कस मया करबे।”
20 टेकर ओ जवान हर ईसू ला कहीस, “ए सबेच बात ला मंए मानत आथों, मोर में अऊ कोनो बात कर कमी हवे?” 21 ईसू हर ओके कहीस “अगर तंए सिध्द बने बर चाहत हस, त जा अपन धन मन ला बेंच दे अऊ ओला गरीब मन में बांएट दे, अऊ तोके सरग में धन मिलही। तेकर आ अऊ मोर पाछू होए ले।” 22 बकिन जब ए बात ला ओ जवान हर सुनीस, त ओहर ढेरेच उदास होए के चएल देहिस, काबरकि ओहर ढेरेच धनी रहीस।
23 तब ईसू हर अपन चेला मन ला कहीस, “मंए तुमन ला फूरोंच कहथों, धनी मन ला सरग कर राएज में जाए बर ढेरेच कठिन हवे। 24 मंए तुमन ला फेरेच कहथों, एगोट ऊंट ला सूजी कर बेधा में ढूके बर कठिन हवे, ओकरो ले ढेरेच कठिन हवे, धनी मन ला सरग राएज में जाए बर।”
25 ए बात ला सुईन के चेला मन ढेरेच अचमहों होईन अऊ कहिन, “तब काकर उदधार होए सकथे?” 26 ईसू हर ओमन कती देखीस अऊ कहीस, “मईनसे मन ले तो एहर नई होए सके, बकिन परमेसवर ले सब कुछ होए सकथे।” 27 तब पतरस हर ईसू ला कहीस, “सुन, हमरे तो सबेच जाएत ला छोंएड़ के, तोर पाछू होए लेहे हन, त हमके ला का मिलही?” 28 ईसू हर ओमन ला कहीस, “मंए तुमन ला फूरोंच कहथों, कि जब संसार हर नांवा होही, अऊ मंए मईनसे कर बेटा महिमा कर अपन सिंघासन में बईठहूं, त तुहूंच मन जेमन मोर पाछू में चलत हवा, बारह सिहासन में बईठ के, इसरायल कर बारह गोती कर नियाव करिहा। 29 अऊ जे कोनो हर मोर बरीक अपन घर-दुवार आखिर भाई-बहिन आखिर दाऊ-दाई आखिर लईका-छउआ आखिर खेती-बारी ला छोंएड़ देहीसे, ओहर सवो गुना पाही अऊ ओहर अमर जिनगी कर हकदार होही। 30 बकिन ढेरेच झे, जेमन अपन आप ला अझेर महान समझथे, ओमन सरग कर राएज में छोटे होए जाहीं, अऊ ढेरेच झे, जेमन अझेर छोटे समझथें, ओमन सरग राएज महान होए जाहीं।”