कताब त तसे सत मुहरी
(4:1—8:1)
स्वर्गे सिंहासन अगर पूजा अराधना
4
1 अन्हि बोकी केआं पता मेईं हेरु त की हेरता कि स्वर्ग अन्तर यक दुआर खुलु असु। होर जे मेईं पेहले रेशमि अवाजी ईं अपफ जोई बोके कती शुणो थी,a सेईंए बोता, “इठि बेहीं आई; त अउं तोउ तेन्हि बोकी हरालता, जेन्के इस केआं पता भुण पक्कु असु।” 2 त तिखेईंए अउं शुची आत्माई बेलिए भरी गा; त हेरता कि यक सिंहासन स्वर्ग अन्तर रखो असा, त तेस सिंहासन पुठ कोउं यक बिशो असा। 3 जे तेस पुठ बिशो असा, से नीला त लाल रंग ईं चिलकताथ, जीं यशब त मणि चिलकते। होर तेस सिंहासने चोहरो कना नीलम ईं चिलको इन्द्रधनुष केता। 4 तेस सिंहासने चोहरो कना होरे चोबि मठ मठ सिंहासन असे। होर अन्हि सिंहासन पुठ चोबिहो स्याणे हच्छे झिणे डब कइ बिशो असे, त तेन्के मगरी पुठ सुन्ने मुकुट असे। 5 तेस सिंहासन अन्तरा बिजली चमकती त मेघ गड़कुणे त होरी होरी डरौणी अवाज निस्ती। तेस सिंहासने सम्हाणि सत दीये जाओ असे। से परमेश्वरे सत आत्मा भो।b 6 होर तेस सिंहासने सम्हाणि शिशे ईं साफ समन्दर असा।cबुचो बुछ सिंहासने चोहरो कना चोउर जीव असे, जेन्के अगर पतूं टीरे टीर असे। 7 पेहला जीव शेरे ईं असा, होर दोका जीव बधेले ईं असा, टेके जीवे मुंह मेह्णु के ईं असु, होर चौंथु जीव उडरो पैठु ईं असा।d 8 चोहरो जीवी के छेआ छेआ पंखोड़ असे, होर चोहरो कना त अन्तर टीरे टीर असे। त से दन रात बजन अरामे ईं बोते रेहन्ते,
“शुचा केआं, शुचा केआं, हउ बि शुचा असा तु, ए सर्व शक्तिमान प्रभु परमेश्वरा,
तु सृष्टि केआं पेहले थिआ,
तु अभेईं असा
होर तु जुग जुग तकर रेहन्ता।”
9 जपल जपल बि से जीव तसे, जे सिंहासन पुठ बिशो असा, होर जुग जुग जीन्ता असा, महिमा, इज्जत त धन्यवाद कते, 10 तपल तपल चोबिहो स्याणे सिंहासन पुठ बिशणे बाड़े समाणि उटेऊ झड़ घेन्ते, होर जे जुग जुग जीन्ता असा, तसे खुर बिन्ते। से अपु अपु मुकुट सिंहासने सम्हाणि ईं बोते छड़ देन्ते कि
11 “ए हें प्रभु त परमेश्वरा,
तुईएं महिमा, त इज्जत पाणे लेएक असा,
होर तु अपु ताकती लिए कदर करणे लेएक असा,
किस कि तेईंए पूरा भुमण बणो असा,
होर सोब चीज तेन्धेरी इच्छाई बेलिए ईं बणो असी त मौजूद असी।”