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ईसु के पकड़वाणे सरु कुचक्कर
(मत्ती २६.१-५; मरकुस १४.१-२; योहन ११.४५-५३)
1 b अने बिना खमीरा रोटा को तेवार, जो फसहa केवाय, अई र्यो थो। 2 अने मुख-पुरोहित अने सासतरिहुंण इनी फिराक माय लाग्या होया था, के ईसु के कसे छाने से मारी लाखां, क्योंके वी लोगहुंण से डरता था।
यहूदा इस्करियोती ईसु के पकड़वाणे सरु तय्यार
(मत्ती २६.१४-१६; मरकुस १४.१०-११)
3 तो सेतान उना यहूदा माय भरायो जो इस्करियोती केवातो थो अने जो बारा चेला माय को एक थो। 4 उने जई के मुख-पुरोहितहुंण अने हाकिमहुंण का गेले बात-चित करी के ईसु के कसतरे उणका हात माय पकड़वई दे। 5 इका पे वी घणा खुस होया अने रुप्या देवा सरु राजी हुई ग्या। 6 यहूदा इस्करियोती ने या बात मानी ली अने उ एक खास मोका की फिराक माय रेवा लाग्यो के भीड़ से छेटी ईसु के धोका से पकड़वई लाखे!
ईसु के फसह का भोज खावा सरु तय्यारी करनों
(मत्ती २६.१७-२५; मरकुस १४.१२-२१; योहन १३.२१-३०)
7 तो बिना खमीरा रोटा का तेवार को पेलो दन आयो। जेना दन फसह को मेमणो बली करनों पड़तो थो। 8 ईसु ने पतरस अने योहन के यो कई के मोकल्या, "जई के हमारा सरु फसह को भोज तय्यार करो के हम उके खावां।"
9 तो उणने उकासे पुछ्यो, "तू कां चावे के हम उके तय्यार करां?"
10 उने उणकासे क्यो, "नगर माय जाताज, तमारे एक मनख मिळेगा, जो पाणी को चकल्यो ल्यो होयो रेगा। तम बी उका पाछे पाछे उना घर माय चल्या जावजो जेका माय उ जाय। 11 तम उना घर मालेख से किजो, 'गरु थार से के हे, के पांमणा रुकाड़वा की जगा कां हे जां हूं अपणा चेलाहुंण का गेले फसह को भोज खउं?' 12 तो उ तमारे सजी-सजई बड़ी अटारी दिखाड़ेगा। वइंज तय्यारी करजो।"
13 उणने जई के सगळो कंई वेसोज देख्यो जसो उने बताड़्यो थो अने उणने वां फसह तय्यार कर्यो।
परभु भोज
(मत्ती २६.२६-३०; मरकुस १४.२२-२६; १ कुरिन्थिहुंण ११.२३-२५)
14 जदे बखत होयो तो ईसु जिमवा बेठ्यो अने परेरितहुंण बी उका गेले बेठ्या। 15 उने उणकासे क्यो, "म्हारी घणी मन्सा थी के हूं दुःख भोगवा से पेलां तमारा गेले फसह खउं। 16 क्योंके हूं तमार से कूं के जदत्तक यो परमेसर का राज माय पूरण नी हुई जाय, हूं इके पाछो कदी नी खउंवां।"
17 प्यालो लई के जदे उने धन्यबाद दई के क्यो, "इके लई लो अने माय-माय बांटी लो। 18 क्योंके हूं तमार से कूं के जदत्तक परमेसर को राज नी अई जाय हूं दाखरसc कदी नी पिउंवां।"
19 फेर रोटो लई के अने धन्यबाद दई के तोड़्यो अने चेलाहुंण के देता होयो क्यो: "या म्हारी काया हे जो तमारा सरु दई जाय: म्हारी रियाद माय असोज करजो।" 20 e जदे वी खई चुक्या तो वेसोज उने प्यालो लई के क्यो, "यो प्यालो जो तमारा सरु रेड़्यो, म्हारा लोई माय एक नवो करार हे।d
21 f "पण देखो, जो म्हारे धोको दई के पकड़वाणे वाळो हे उको हात म्हारा साते मेंज पे हे। 22 क्योंके हूं मनख को बेटो तो मार्यो जउंवां जसो के म्हारा सरु ठेराड़्यो हे, पण उना मनख पे धिक्कार हे के उ म्हारे धोको दई के पकड़वाय हे।"
23 तो वी माय-माय पुछवा लाग्या के "हमारा माय से कुंण यो काम करेगा?"
मोटो कुंण
24 g उणका माय एक यो बिवाद उठ्यो के हमारा माय से मोटो कुंण समज्यो जाय। 25 h ईसु ने उणकासे क्यो, "गेर यहूदिहुंण का राजा उणका पे राज करे अने जिणको उणका पे हक रे, वी 'लोगहुंण की मदद करवा वाळा' केवाय हे। 26 i पण तमारा माय असो नी होय। उ जो तमारा माय सगळा से मोटो हे उ सगळा से नानो बणे। अने जो मुख्यो हे उ सेवक सरीको बणे। 27 j क्योंके मोटो कुंण, जो जिमवा बेठ्यो, या उ जो सीदो परोसे हे? कंई उ नी जो जिमवा बेठ्यो? पण हूं तमारा बीच माय परोसवा वाळा सरीको हूं।
28 तम वी हो जो म्हारी अजमाइसहुंण माय म्हारा गेले र्या। 29 जसे म्हारा पिता ने म्हारे एक राज द्यो, वेसोज हूं बी तमारे दउं हूं, 30 k के तम म्हारा राज माय म्हारा गेले खाव-प्यो अने न्याव-आसण पे बेठिके इसराइल का बारा गोतहुंण को न्याव करो।
पतरस को नटणो
(मत्ती २६.३१-३५; मरकुस १४.२७-३१; योहन १३.३६-३८)
31 "सिमोन, हे सिमोन, देख! सेतान ने तम लोगहुंण के गंउ सरीको उफणवाl सरु हक मांगी ल्यो हे, 32 पण म्हने थारा सरु पराथना करी हे के थारो बिसास डगी नी जाय। अने जदे तू म्हार पे पक्को बिसास करिके पाछो पल्टे तो अपणा भई-बेनहुंण को बिसास मजबूत करजे।"
33 पण पतरस ने उकासे क्यो, "परभुजी, हूं थारा गेले जेळ जावा अने मरवा सरु बी तय्यार हूं।"
34 फेर उने क्यो, "पतरस, हूं थार से कूं के जदत्तक तू इनी बात से के म्हारे नी जाणे, आज तीन कावा तू नटी नी जाय, मुरगो बांग नी देगा।"
बटवो, झोळो अने तरवार
35 m उने उकासे क्यो, "जदे म्हने तमारे बटवा बिना, झोळा बिना अने चप्पलहुंण बिना मोकल्या था तो कंई तमारे कसी चीज की कमती पड़ी थी?"
उणने क्यो, "नी, कसी चीज की नी।"
36 उने उणकासे क्यो, "पण अबे जेका कने बटवो होय, गेले लई के जाय। असतरा झोळो बी लई जाय, अने जिणका कने तरवार हयनी, अपणा लतरा बेची के एक मोल लई ले। 37 n क्योंके हूं तमारे बतंउं के या बात जो सासत्तर माय लिखी गी, वा म्हार से हर हाल माय पूरण होयगा, याने 'उ मुलजिमहुंण का गेले गिण्यो ग्यो, 'क्योंके जो बातहुंण म्हारा बारामें करी गी पूरण होवा पे हे।"
38 उणने क्यो, "परभुजी, देखतो, यां दो तरवार हे।"
उने उणकासे क्यो, "बस, बस!"o
ईसु जेतून परबत पे जई पराथना करे
(मत्ती २६.३६-४६; मरकुस १४.३२-४२)
39 तो ईसु नगर से बायरे हिटी के अपणी रीति मुजब जेतून का बळ्डा आड़ी नगर का बायरे चल्यो, अने चेलाहुंण बी उका पाछे चली पड़्या। 40 जदे उ वां पोंच्यो तो उने क्यो, "पराथना करो के तम अजमाइस माय नी पड़ो।"
41 उ उणकासे करीब ढेला फेंके इतरी छेटी ग्यो अने गोड़ा टेकी के पराथना करवा लाग्यो 42 "हे परमेसर पिताजी, अगर तू चावे तो इना कटोरा के म्हारा कने से सरकई दे; फेर बी म्हारी नी पण थारी मरजी पूरण होय।" 43 तो सरग से एक दूत उके नगे आयो जो उके सामरत देतो थो। 44 ईसु बेचेन हुई के पराथना करी र्यो थो, अने उको पसीनो लोई का टपका सरीको जमीन पे पड़ी र्यो थो।p
45 जदे उ पराथना करिके उठ्यो अने चेलाहुंण कने आयो तो उने देख्यो के वी दुःखी हुई के सोइर्या था। 46 उने उणकासे क्यो, "तम कायसरु सोइर्या हो? उठ्याव, पराथना करो के तम अजमाइस माय नी पड़ो।"
ईसु के यहूदी नेताहुंण अने मन्दर का नेपादारहुंण ने पकड़्यो
(मत्ती २६.४७-५६; मरकुस १४.४३-५०; योहन १८.३-११)
47 जदे ईसु बात करीज र्यो थो, तो देखो, एक भीड़ अइगी अने बाराहुंण माय से एक चेलो जो यहूदा केवातो थो, उणका अगड़े अगड़े चल्यो अई र्यो थो। उ ईसु कने आयो के उको चुम्मो ले। 48 पण ईसु ने उकासे क्यो, "यहूदा कंई तू हूं मनख का बेटा के चुमी के धोको दई के पकड़वाय हे?"
49 जो उका ऐरे-मेरे उब्या था जदे उणने देख्यो के कंई होणे जई र्यो हे। तो क्यो, "परभु जी, कंई हम तरवार चलांवां?" 50 उणका माय से कइंका ने म्हापुरोहित का सेवक पे तरवार चलाड़ी के उको सुदो कान काटी लाख्यो।
51 पण ईसु ने क्यो, "थमो, असो मती करो!" उने उको कान हात लगाड़ी के पाछो नज करी लाख्यो।
52 ईसु ने मुख-पुरोहितहुंण अने मन्दर का हाकिमहुंण अने सियाणाहुंण से जो उके पकड़वा आया था क्यो, "कंई तरवार अने लट्ठ लई ने म्हारे पकड़वा आया हो? जसोके हूं कईं को डकेत हूं? 53 q जदे हूं हरदन मन्दर माय तमारा गेले र्यो तो तमने म्हार पे हात नी लाख्यो! पण यो बखत अने इन्दारा को हक तमारो हे।"
पतरस को नटणो के हूं ईसु के नी जाणूं
(मत्ती २६.५७-५८,६९-७५; मरकुस १४.५३-५४,६६-७२; योहन १८.१२-१८,२५-२७)
54 फेर वी उके बन्दी बणई के म्हापुरोहित का घरे लई चल्या। पतरस थोड़ोक छेटी से हुई के पाछे-पाछे चली र्यो थो। 55 जदे वी आंगणा माय ताप लगाड़ी के बेठी चुक्या तो पतरस बी उणका गेले बेठी ग्यो थो। 56 तो एक दासी ने ताप का उजाळा माय उके बेठ्यो देखी के उका आड़ी ध्यान से देखता होय क्यो, "यो बी तो उका गेलेज थो।"
57 पण उने यो कई के इका से नटी ग्यो: "ऐ बई, हूं उके नी जाणूं।"
58 थोड़िक देर बाद कइंका दूसरा ने उके देख्यो अने क्यो, "तू बी उणका माय से एक हे।"
पण पतरस ने क्यो, "अरे नी भई, हूं हयनी!"
59 करीब एक घंटो बितवा का बाद एक हजु मनख जोर दई के केवा लाग्यो, "पक्कोज यो मनख बी उका गेले थो, क्योंके यो बी गलील को हे।"
60 पण पतरस ने क्यो, "अरे भई, हूं नी जाणूं तू कंई के!"
जदे उ बात करीज र्यो थो झट मुरगा ने बांग लगाड़ी दी। 61 तो परभु ने मुड़ी के पतरस के देख्यो अने पतरस के परभु की बात रियाद अई गी, के उने यो क्यो थो: "आज मुरगो बांग दे उका पेलां तू तीन बखत नटेगा के हूं नी जाणूं।" 62 अने उ बायरे जई के फुटी-फुटी के रोयो।
नेपादारहुंण ने ईसु का गेले मसकरी करी अने मार्यो
(मत्ती २६.६७-६८; मरकुस १४.६५)
63 वी सिपईहुंण जो ईसु के पकड़्या होया था, उकी मसकरी करिके कुटी र्या था। 64 उणने उकी आंख ढांकी अने यो कई के उकासे पुछवा लाग्या, "भविसबाणी कर! केने थारे मार्यो?" 65 वी उकी निंदा करिके उका बिरोद माय हजु नरी बातहुंण करी र्या था।
म्हासबा माय ईसु की पेसी
(मत्ती २६.५९-६६; मरकुस १४.५५-६४; योहन १८.१९-२४)
66 जदे दन उग्यो तो लोगहुंण का सियाणाहुंण की म्हासबाr बुलाड़ी, जेका माय मुख-पुरोहित अने सासतरी बी था। अने सिपईहुंण ईसु के म्हासबा माय या केता होया लई ग्या: 67 "अगर तू मसीह हे तो हमारे बताड़।"
पण उने उणकासे क्यो, "अगर हूं कुंवां फेर बी तम बिसास नी करोगा, 68 अने अगर हूं सवाल पुछुं तो तम जुवाब नी दोगा। 69 पण अबे से हूं मनख को बेटो, सरवसक्तिमान परमेसर की सगळी सामरत का सुदा हाताड़ी बेठाड़्यो जउंवां।"
70 तो सगळा ने पुछ्यो, "तो तू कंई परमेसर को बेटो हे?"
"उने क्यो, 'हां हूं'।"
71 उणने क्यो, "अबे हमारे अगड़े गवई की कंई जरुवत? क्योंके हमने खुदी उका मुन्डा से सुणी ल्यो।"