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पाप की मांफी
(मत्ती १८.६-७,२१-२२; मरकुस ९.४२)
1 फेर ईसु ने अपणा चेलाहुंण से क्यो, "जिणकासे लोग भटक्या करे वी बातहुंण तो होयगाज। पण धिक्कार उना मनख के, जेकी वजासे वी होय हे! 2 उका सरु यो भलो होतो के उका गळा माय घट्टी को पाटो लटकाड़्यो जातो अने उ समन्दर माय लाख्यो जातो, बजाय इका के उ उना नाना माय से कइंका एक के पाप करवा सरु उकसाड़े। 3 a होसियार!
"अगर थारो भई पाप करे तो उके डांट, अने अगर उ मन बदळे तो उके मांफ कर। 4 अगर उ हर दन सात कावा थारा बिरोद माय पाप करे अने साती कावा अई के थार से के, 'हूं पसतावो करूं हूं,' तो उके मांफ करजे।"
बिसास
5 तो परेरितहुंण ने परभु से क्यो, "हमारो बिसास बड़ई दे।"
6 परभु ने क्यो, "अगर तमारा माय रंई का दाणा बरोबर बिसास रे तो तम इना सेतूत का झाड़ से केता, 'उखड़ी के समन्दर माय लागी जा,' तो उ तमारी बात मानी लेतो।
दास को काम
7 "तमारा माय से कुंण असो जेको हळी हळ घेरे अने गाडरहुंण के चरातो रे, के जदे हळी खेत से आवे तो उ हळी से केवा लागे, 'भित्तरे अई के जिमवा बेठिजा'? 8 कंई उ उकासे यो नी केगा, 'म्हारा खावा सरु कंई बणा अने उजळा लतरा पेर अने जदत्तक हूं खई-पी नी लूं म्हारी सेवा करजे; बाद माय तू बी खई-पी लीजे'? 9 हुकम मानवा सरु कंई उ अपणा हळी के धन्यबाद देगा? 10 असीज तरा तम बी जदे उण सगळा हुकम के पाळो जो तमारे द्या ग्या हे, तो को, 'हम निकम्मा दास हे; हमने तो सिरप उज कर्यो जो हमारे करनों चइये थो'।"
परमेसर के धन्यबाद देणो
11 असो होयो के जदे ईसु यरुसलेम आड़ी जई र्यो थो तो सामरिया इलाका अने गलील का अदाड़ माय से हुई के हिट्यो। 12 ज्योंज उ कइंका गांम माय ग्यो तो दूर उब्या दस कोड़्या उकासे मिळ्या। 13 उणने उंची अवाज से हेला पाड़ी के क्यो, "हे ईसु स्वामी परभु, हमार पे दया करजे!"
अने असो होयो के जाताज जाता वी सुद्द हुई ग्या। 15 तो उणका माय से एक ने जदे देख्यो के नज हुई ग्यो हूं, तो उंची अवाज से परमेसर की बड़ई करतो होयो पाछो आयो, 16 अने ईसु के धन्यबाद देतो होयो सास्टांग परणाम कर्यो अने पग पे पड़ी ग्यो। उ सामरी जात को थो। 17 जदे ईसु ने क्यो, "कंई दस का दसज सुद्द नी होया था, तो फेर वी नो कंय्यांड़ी हे? 18 कंई इना परदेसी का सिवाय उणका माय से हजु कइंकोज नी र्यो जो पलटी के परमेसर की इसतुती करतो?" 19 तो ईसु ने उकासे क्यो, "उठी के चल्यो जा; क्योंके तने म्हार पे बिसास कर्यो तो थारा बिसास ने थारे नज कर्यो हे।"
ईसु को आवा वाळो राज
(मत्ती २४.२३-२८,३७-४१)
20 जदे फरीसिहुंण ने ईसु से पुछ्यो, "परमेसर को राज कदे आयगा?" तो उने उणके जुवाब द्यो, "परमेसर को राज परगट रुप माय नी आवे। 21 अने लोग या नी केगा, 'देखो, उ यां हे!' या 'वां हे!' क्योंके देखो, हूं तमारा गेले हूं तो परमेसर को राज तमारा अदाड़ मायज हे।"d
22 उने चेलाहुंण से क्यो, "वी दन आयगा जदे हूं मनख का बेटा का दन माय से एक दन के देखवा की मन्सा करोगा, पण तम म्हारे देखी नी सकोगा। 23 वी तमार से केगा, 'वां देखो!' 'यां देखो!' तम चल्या मती जाजो अने नी उणका पाछे भागजो। 24 क्योंके बिजळी जसे चळकी के असमान का इकाड़ी से दूसरा आड़ी तक चळके, असोज हूं मनख को बेटो बी अपणा दन माय परगटुंवां के, आखो जग म्हारे देखेगा। 25 पण पेलां यो जरुरी हे के हूं घणो दुःख झेलुं अने इनी पीड़ी का लोगहुंण से नकार्यो जउं। 26 f "जसा के जूना नबी नूहe का दनहुंण माय होयो थो, असोज हूं मनख का बेटा का दनहुंण मायज होयगा। 27 g जदत्तक नूह झाज माय नी चल्यो ग्यो लोगहुंण खाता-पीता अने ब्याव-सादी करता र्या। तो जळ परळय होयो अने सगळा खतम हुई ग्या। 28 h "लूत का दनहुंण माय बी असो होयो थो। वी खाणो-पीणो, लेणो-देणो करता, झाड़-पोदा लगाड़ता अने घर बणाता था, 29 i पण जदे लूत सदोम से हिट्यो, उना दन असमान से भस्ते अने तेजाब बरस्यो अने वी सगळा खतम हुई ग्या। 30 जेना दन हूं मनख को बेटो परगटुंवां, उ दन बी नठू असोज रेगा।
31 j "उना दन जो घर का अदरे रे अने समान निच्चे घर माय रे उ उके लेवा सरु नी उतरे; अने असोज उ जो खेत माय रे, पाछो नी पल्टे। 32 l लूत की घराळीk के रियाद करो! 33 m जो अपणो पराण बचाड़वा की कोसिस करेगा, उ हमेस्या का जीवन के खोयगा; अने जो म्हारो चेलो हुई के अपणो पराण खोयगा, उ उके सरग माय पाछो पायगा! 34 हूं तमार से कूं के उनी राते दो मनख खाट पे सोता रेगा; एक लई ल्यो जायगा अने दूसरो छेकी लाख्यो जायगा। 35 दो बइरा एकज जगा पे घट्टी पीसती रेगा, एक लई ली जायगा अने दूसरी छेकी लाखी जायगा।" 36 दो मनख खेत माय रेगा; एक लई ल्यो जायगा अने दूसरो छेक्यो जायगा।"n
37 तो उणने उकासे पुछ्यो, "हे परभु, यो कां होयगा?"
उने उणकासे केवाड़ा माय क्यो, "जां लास पड़ी रेगा वां चील-गरदन बी भेळी होयगा।"